क्षणिकाएं : बलराम अग्रवाल व विवेक सत्यांशु की क्षणिकाएं।
बलराम अग्रवाल
तानाशाह
सिर्फ तलवार नहीं रखता
पालता है
कुत्ते भी
कभी भी
तलवार से नहीं करता वह
कुत्तों से करता है
तलवार तो होती है
कुत्तों को
डराए-धमकाए रखने के लिए।
2. प्रेम
प्रेम को
रखिए दूर शरीर से
भाव-मात्र है वह
नहीं है वस्तु
भौतिक स्पर्श की ।
- 70, उल्धनपुर, नवीन शाहदरा, दिल्ली
1. औरत- एक
औरत के पल्लू में बंधी
चाभी सिर्फ चाभी भर नहीं है
यह उसके बनाये घर का
अभेद्य किला है
जिसको बनाने-सँवारने में
बीत जाता है
एक औरत का
पूरा जीवन।
2. औरत- दो
बाल खोले औरत की देह
चमक रही है धूप में
वातावरण में बेहद सनसनी है
फिर भी मुस्करा रही है औरत
जैसे इस भयानक समय को
सुन्दरता में तब्दील कर रही हो!
3. मैं लिखूँगा
मैं लिखूँगा
संघर्ष के सबसे प्यारे
अंतिम दिनों तक लिखूँगा
असफल बेनाम मानवीय
आत्माओं के बारे में लिखूँगा
मैं एक दिन दुनियां के
सबसे गरीब आदमी के बारे में लिखूँगा!
- 14/12, शिवनगर कालौनी, अल्लापुर, इलाहाबाद-211006
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