अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 2, अक्टूबर 2012
गिरीश पंकज
1.
साँस बेवफा
क्या भरोसा इसका
मुसकरा दें
2.
बुरे छा गए
मगर भले लोग
हाशिये पर
लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
1.
समुद्र देख
दंग है मरुवासी
इतना पानी!
2.
क्या पा लिया था,
ये तब जाना, जब
उसे खो दिया।
सुरेश यादव
1.
लोहा लुहार
पीटता रोज़ रोज़
बैठा सुनार।
2.
आसपास वे
डरे हुए लोग थे
छुईमुई-से।
के0 एल0 दिवान
1.
सच तो ये है-
चुभती किरचों-सी
टूटी उम्मीदें
2.
देखा तुझे तो
लगा, गुलाब खिला
काँटों के बीच
3.
मीठा बोलेगा
मिटेगी जीवन की
कटुता सारी
डॉ सुरेन्द्र वर्मा
1.
उम्र बितादी
समझ ही न पाए
समझदारी
रमेश चन्द्र श्रीवास्तव
1.
खिलखिलाना
सरसता से खोले
मन की गाँठ।
प्रदीप गर्ग ‘पराग’
1.
मन उदास
लिये जल की प्यास
सूखती घास
एन एल गोसाई
1.
करें पागल
कजरारे बादक
धरा सजल
अमिता कोंडल
1.
माँ की दो आँखें-
प्रभु का आशीर्वाद,
है मेरे पास
2.
नन्हा-सा तारा
तू दिल का उजाला
मेरा दुलारा
3.
तुम न आए
ये याद चली आई
जाए न अब
नीलू गुप्ता
1.
माँ है सहेली
माँ ही है हमजोली
माँ मीठी बोली
2.
माँ का आँचल
ममता भरा हुआ
देता सम्बल
ममता किरण
1.
तुमसे दूर
यादों में लिपटी मैं
साथ तुम्हारे।
मीरा ठाकुर
1.
बीता गुबार
जरूरी था संघर्ष
मुदित मन
कृष्ण कुमार यादव
1.
खलनायक?
नेता या अभिनेता
खामोश सब।
2.
पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।
3.
सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।
मुमताज-टी एच ख़ान
1.
बहन चाहे
हर एक जनम
चाँद-सा भाई।
।।हाइकु।।
सामग्री : इस अंक में गिरीश पंकज, लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, सुरेश यादव, के.एल. दिवान, डॉ. सुरेन्द्र वर्मा, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, प्रदीप गर्ग 'पराग', एन.एल. गोसांई, अमिता कोंडल, नीलू गुप्ता, ममता किरण, मीरा ठाकुर, कृष्ण कुमार यादव एवं मुमताज-टी.एच.खान के हाइकु।
(अविराम के हाइकू विशेषांक (जून 2011) के लिए अतिथि संपादक श्री रामेश्वर कम्बोज हिमांश जी द्वारा चयनित हाइकुओं में से स्थानाभाव के कारण छूट गए शेष हाइकु इस आखिरी क़िस्त में प्रस्तुत हैं।)
1.
साँस बेवफा
क्या भरोसा इसका
मुसकरा दें
2.
बुरे छा गए
मगर भले लोग
हाशिये पर
- संपादक, सद्भावना दर्पण, जी-31, नया पंचशील नगर, रायपुर-492001, छत्तीसगढ़
लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
1.
समुद्र देख
दंग है मरुवासी
इतना पानी!
2.
क्या पा लिया था,
ये तब जाना, जब
उसे खो दिया।
- 304, टाइप-4, लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली-110023
सुरेश यादव
1.
लोहा लुहार
पीटता रोज़ रोज़
बैठा सुनार।
2.
आसपास वे
डरे हुए लोग थे
छुईमुई-से।
- 2/1, एम सी डी फ्लैट्स, (एंड्रूजगंज), साउथ एक्सटेंशन (पार्ट-2), नई दिल्ली-110049
के0 एल0 दिवान
1.
सच तो ये है-
चुभती किरचों-सी
टूटी उम्मीदें
2.
देखा तुझे तो
लगा, गुलाब खिला
काँटों के बीच
3.
मीठा बोलेगा
मिटेगी जीवन की
कटुता सारी
- ज्ञानोदय अकादमी, 8, निर्मला छावनी, हरिद्वार-249401 (उ.खण्ड)
डॉ सुरेन्द्र वर्मा
1.
उम्र बितादी
समझ ही न पाए
समझदारी
- 10 एच आई जी , 1-सर्कुलर रोड , इलाहाबाद (उप्र)211001
रमेश चन्द्र श्रीवास्तव
1.
खिलखिलाना
सरसता से खोले
मन की गाँठ।
- एल आई यू, मऊ, उत्तर प्रदेश
प्रदीप गर्ग ‘पराग’
1.
मन उदास
लिये जल की प्यास
सूखती घास
- 1785, सेक्टर-16, फ़रीदाबाद-121001
एन एल गोसाई
1.
करें पागल
कजरारे बादक
धरा सजल
- 5-बी/18 ए, एन आई टी, फ़रीदाबाद-121001
अमिता कोंडल
1.
माँ की दो आँखें-
प्रभु का आशीर्वाद,
है मेरे पास
2.
नन्हा-सा तारा
तू दिल का उजाला
मेरा दुलारा
3.
तुम न आए
ये याद चली आई
जाए न अब
- डैलस, यू.एस.ए.
नीलू गुप्ता
1.
माँ है सहेली
माँ ही है हमजोली
माँ मीठी बोली
2.
माँ का आँचल
ममता भरा हुआ
देता सम्बल
- कैलिफोर्निया
ममता किरण
1.
तुमसे दूर
यादों में लिपटी मैं
साथ तुम्हारे।
- 304, टाइप-4, लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली-110023
मीरा ठाकुर
1.
बीता गुबार
जरूरी था संघर्ष
मुदित मन
- शारजाह
कृष्ण कुमार यादव
1.
खलनायक?
नेता या अभिनेता
खामोश सब।
2.
पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।
3.
सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।
- निदेशक डाक सेवाएं, इलाहाबाद, उ.प्र.
मुमताज-टी एच ख़ान
1.
बहन चाहे
हर एक जनम
चाँद-सा भाई।
- 111, कांकरटोला, पुराना शहर, बरेली-243001 (उ प्र)
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