अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 3, नवम्बर 2012
।।जनक छन्द।।
सामग्री : मुखराम माकड़ ‘माहिर’ के छ: जनक छंद।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
छ: जनक छन्द
01.
आज याद प्रिय आ गये
अंग-अंग में धड़कने
नगमें मन सहला गये
02.
सुधा सरसती रात को
शरत चंद की चाँदनी
शीत सुहाता गात को
03.
माल मुफ्त का हाथ में
लुटा रहे दिल खोल के
मुफ्तखोर सब साथ में
04.
ऋचा वेद की खो गयी
प्यारी माया वतन से
रीत प्रीत की सो गयी
05.
डूबे अपने आप में
नहीं भरोसा प्यार का
हाथ सने हैं पाप में
06.
इस घर की मैना उड़ी
बजी प्रीत की घंटियाँ
उस घर की खिड़की खुली
।।जनक छन्द।।
सामग्री : मुखराम माकड़ ‘माहिर’ के छ: जनक छंद।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
छ: जनक छन्द
01.
आज याद प्रिय आ गये
अंग-अंग में धड़कने
नगमें मन सहला गये
02.
सुधा सरसती रात को
शरत चंद की चाँदनी
शीत सुहाता गात को
03.
रेखांकन : बी मोहन नेगी |
लुटा रहे दिल खोल के
मुफ्तखोर सब साथ में
04.
ऋचा वेद की खो गयी
प्यारी माया वतन से
रीत प्रीत की सो गयी
05.
डूबे अपने आप में
नहीं भरोसा प्यार का
हाथ सने हैं पाप में
06.
इस घर की मैना उड़ी
बजी प्रीत की घंटियाँ
उस घर की खिड़की खुली
- विश्वकर्मा विद्यानिकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़-335524 (राज.)
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