अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 3, नवम्बर 2012
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : अनिता ललित की क्षणिकाएँ।
अनिता ललित
चार क्षणिकाएँ
1.
ए खुदा मेरे ! मैं करूँ तो क्या ?
ग़मज़दा हूँ मैं... ना-शुक़्र नहीं...
एक हाथ में काँच सी नेमतें तेरी...
दूजे में पत्थर दुनियां के.....
दुनियां को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर....
2.
काश ज़िंदगी ऐसी किताब होती......
कि जिल्द बदलने से सूरत-ए-हाल बदल जाते...
मायूस भरभराते पन्नों को कुछ सहारा मिलता....
धुंधले होते अश्आर भी चमक से जाते....
ज़िंदगी को... कुछ और जीने की वजह मिल जाती...
3.
हाथ उठाकर दुआओं में...
अक्सर तेरी खुशी माँगी थी मैनें...
नहीं जानती थी....
मेरे हाथों की लक़ीरों से ही निकल जाएगा तू...
4.
आँखों में चमक,
दिल में अजब सा सुक़ून हो जैसे...
माज़ी के मुस्कुराते लम्हों ने...
फिर से पुकारा हो जैसे......
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : अनिता ललित की क्षणिकाएँ।
अनिता ललित
चार क्षणिकाएँ
1.
ए खुदा मेरे ! मैं करूँ तो क्या ?
ग़मज़दा हूँ मैं... ना-शुक़्र नहीं...
एक हाथ में काँच सी नेमतें तेरी...
दूजे में पत्थर दुनियां के.....
दुनियां को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर....
2.
काश ज़िंदगी ऐसी किताब होती......
कि जिल्द बदलने से सूरत-ए-हाल बदल जाते...
मायूस भरभराते पन्नों को कुछ सहारा मिलता....
धुंधले होते अश्आर भी चमक से जाते....
छाया चित्र : पूनम गुप्ता |
3.
हाथ उठाकर दुआओं में...
अक्सर तेरी खुशी माँगी थी मैनें...
नहीं जानती थी....
मेरे हाथों की लक़ीरों से ही निकल जाएगा तू...
4.
आँखों में चमक,
दिल में अजब सा सुक़ून हो जैसे...
माज़ी के मुस्कुराते लम्हों ने...
फिर से पुकारा हो जैसे......
- 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ (उ.प्र.)
बहुत सुंदर और गहन भाव लिए हुये क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार।
जवाब देंहटाएंwww.yuvaam.blogspot.com
अति उत्तम।
जवाब देंहटाएंwww.yuvaam.blogspot.com
आप सभी का हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!