आपका परिचय

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

बाल अविराम

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 2,  अंक : 3,  नवम्बर  2012  

{कई प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, रुड़की एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य व अनेक विश्वविद्यालयों की शोध समितियों एवं पाठ्यक्रम समितियों के सदस्य रहे हैं एवं वर्तमान में केन्द्रीय साहित्य अकादमी तथा हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, गढ़वाल की कार्यपरिषद के सदस्य हैं। पिछले कई महीनों से उनका स्नेह एवं सामयिक मार्गदर्शन हमें भी प्राप्त होता रहा है। इसी दौरान बच्चों के लिए उनके प्रेरणादायी लेखन से भी हमें परिचित होने का अवसर मिला। उन्हीं की प्रेरणा से हमारे मन में भी बच्चों के लिए ‘अविराम’ के मंच से कुछ करने का विचार आया। इससे पूर्व सुप्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘बाल प्रहरी’ के संपादक श्री उदय किरोला जी ने भी पत्र लिखकर बच्चों के लिए ‘अविराम’ में कुछ पृष्ठ सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। मुद्रित ‘अविराम साहित्यिकी’ में तो फिलहाल हमारे लिए पृष्ठ जुटाना संभव नहीं हो पा रहा है, परन्तु इन्टरनेट पर इस ब्लॉग संस्करण में बच्चों का यह स्तम्भ हम सहर्ष आरम्भ कर रहे हैं।
         इस स्तम्भ में बाल साहित्य (बाल कविताएं, छोटी बाल कथाएं एवं प्रेरक प्रसंग आदि) के साथ बच्चों की स्वयं की गतिबिधियों (बच्चों के बनाये चित्र, पेटिंग्स तथा उनके रचनात्मक कार्यों के विवरण, समाचार आदि) को भी शामिल किया जायेगा। स्कूलों के प्राचार्य/अध्यापक/अभिभावक भी बच्चों की गतिविधियों संबन्धी सामग्री/रिपोर्ट भेज सकते हैं।}



।। बच्चों की दुनियाँ ।।  

सामग्री : इस अंक में डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’  एवं  नरेश कुमार ‘उदास’ की बाल कविताएँ। साथ में बाल चित्रकारों मिली भाटिया, अभय ऐरन  एवं आरुषी ऐरन की पेंटिंग्स व रेखांकन।


डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’



{डॉ. ‘अरुण’ जी की बाल कविताओं का संग्रह ‘अंधियारों में राह दिखायें’ अभी हाल ही में प्रकाशित हुआ है, जिसमें उनकी 52 प्रेरणादायी बाल कविताएँ शामिल हैं। अविराम ब्लॉग के इस स्तम्भ का आरम्भ हम डॉ. अरुण सर के इसी संग्रह की दो बाल कविताओं से कर रहे हैं।}




सारे मिलकर वृक्ष लगाओ

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
आओ सोहन, आओ श्यामू
राधा, गुड्डू तुम भी आओ!
हम सब मिलकर वृक्ष लगाएँ
सब को यह संदेश सुनाएँ!!

पेड़ लगाना धर्म सभी का,
यह सबको बतलाना है!
पेड़ सभी को जीवन देते,
सबको ही समझाना है!!

हरियाली से मिलता जीवन,
सबको ही यह बात बताओ!

रेखाचित्र : आरुषी ऐरन, रुड़की
वातावरण जब होता दूषित,
पेड़ शुद्ध वायु देते हैं!
कोई फीस लिए बिना ही,
जग को यह जीवन देते हैं!!

वृक्षों की महिमा न्यारी,
घर-घर जाकर सभी बताओ!

वृक्ष काटना बहुत बुरा है,
नए-नए हम वृक्ष लगाएँ!
पर्यावरण रक्षित करने को,
वृक्षारोपण अभियान चलाएँ!!

जीवन अगर बचाना है तो,
सारे मिलकर वृक्ष लगाओ!

पेंटिंग : मिली भाटिया, रावतभाटा 
छुक-छुक करती चल दी रेल

छुक-छुक करती चल दी रेल।
सब बच्चों में हो गया मेल।।

अक्षत इंजन इस गाड़ी का,
छुक-छुक दौड़ लगाता है।
अपनी रेल के सब डिब्बों को,
साथ-साथ ले जाता है।

तेज बड़ी चलती यह रेल।
बड़े मजे का है यह खेल।।

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
मिक्कू झंडी लिए हाथ में,
हँसकर दौड़ लगाती है।
गार्ड बनी झंडी दिखलाती,
सीटी खूब बजाती है।।

भाग रही दोनों की रेल।
सब बच्चों में हो गया मेल।।

गुड्डू, शिवम, प्रिंस संग सारे,
रेल के डिब्बे बने हुए हैं।
दौड़-दौड़ के थके सभी हैं,
फिर भी सारे तने हुए हैं।।

रुक गई छुक-छुक, खतम है खेल,
अब तो कल ही जाएगी रेल।।

  • 74/3, न्यू नेहरू नगर, रुड़की-247667, जिला हरिद्वार (उत्तराखण्ड)


नरेश कुमार ‘उदास’






{वरिष्ठ कवि-कथाकार श्री नरेश कुमार ‘उदास’ जी की बाल कविताओं का संग्रह ‘बच्चे होते है अच्छे’ पिछले वर्ष प्रकाशित हुआ था, जिसमें उनकी 59 बाल कविताएँ शामिल हैं। इसी संग्रह से प्रस्तुत हैं उदास जी की दो बाल कविताएं।}


सरकस का जोकर

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
सरकस का जोकर स्टेज पर आया
अपनी हरकतों से
उसने दर्शकों को खूब हँसाया
बच्चे खूब हँसे, खिलखिलाए
जोकर बात-बात पर सबको हँसाए।
उसके करतब हैं निराले
कपड़े पहने उसने ढीले-ढाले
टोपी उसकी रंग-बिरंगी
बना फिरता है वह बजरंगी।
वह जादू के खेल दिखाता
दर्शक हैरान रह जाता
गिल्ली-गिल्ली के मंत्र से
सबको मंत्रमुग्ध करता
अपने खाली झोले से 
कभी खरगोश तो कभी 
पेंटिंग : मिली भाटिया, रावतभाटा 
कबूतर निकाल दिखाता
और भीड़ से तालियाँ बजवाता।
सरकस में और भी जादूगर आए
कोई रस्सी पर चले
तो दूसरा मौत के कुएँ में
मोटर साइकल चलाए
सरकस के हैं खेल निराले
सबको चकित करने वाले।

तितली रानी

तितली रानी, तितली रानी
मैंने पकड़ने की तुझे है ठानी
लेकिन छूने से पहले ही, 
उड़ जाती हो
रेखाचित्र : आरुषी ऐरन, रुड़की
लगती हो तुम खूब सयानी।
कभी इधर और कभी उधर
उड़-उड़कर आती-जाती हो,
फूल-फूल पर बैठ-बैठकर
रस पीकर जाती हो।
तेरे अनेकों रंग मुझे हैं भाते
तुझे पकड़ते-पकड़ते हम थक जाते
कब तक चलेगी तेरी मनमानी
तितली रानी, तितली रानी।

  • हिमालय जैव सम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पो. बा. न. 6, पालमपुर (हि.प्र.)

बच्चे, जिन्होंने अपनी कला से सजाया है बाल अविराम का यह अंक 

1. आरुषी ऐरन,     रुड़की




छात्रा : कक्षा 11, सैंट ऐंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रुड़की 
माँ : श्रीमती बबिता गुप्ता, पिता : डॉ शशि मोहन गुप्ता 

(इस अंक में शामिल सभी चित्र  कक्षा 8 में अध्ययन के दौरान बनाये गए)






2. मिली भाटिया,  रावतभाता (राजस्थान)
                                




सौजन्य : श्री दिलीप भाटिया (साहित्यकार)









3. अभय ऐरन,     रुड़की






छात्र : कक्षा 5, मोंट फोर्ट  सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रुड़की 
माँ : श्रीमती बबिता गुप्ता, पिता : डॉ शशि मोहन गुप्ता 

(इस अंक में शामिल सभी चित्र  कक्षा 4 में अध्ययन के दौरान बनाये गए)


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