अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 3, नवम्बर 2012
सामग्री : इस अंक में डॉ. सुधा गुप्ता के पाँच तांका।
डॉ. सुधा गुप्ता
पाँच ताँका
1.
सुन रे बच्चे!
सपने तेरे बड़े
नयन छोटे
आकाश तेरा घर
ले उड़ान जी-भर
2.
नाप धरा है
आकाश औ‘ पाताल
पल भर में
मुट्ठी भर का दिल
कितनी हलचल!
3.
सूरज हँसे
धरा कैसी दीवानी
अजब नशा
रोज़ देखे सपने
कभी न हों अपने
4.
निडर चोर
सब चुरा ले गया
नींद, सपने
छोड़ गया तो बस
सूजी-सूजी पलकें
5.
धान की पौध
रोपती हैं औरतें
बोती सपने
बँधे नया छप्पर
बेटी जाये ‘पी’ घर
।।हाइकु।।
डॉ. सुधा गुप्ता
पाँच ताँका
1.
सुन रे बच्चे!
सपने तेरे बड़े
नयन छोटे
आकाश तेरा घर
ले उड़ान जी-भर
2.
नाप धरा है
आकाश औ‘ पाताल
पल भर में
मुट्ठी भर का दिल
कितनी हलचल!
3.
सूरज हँसे
रेखांकन : के. रविन्द्र |
अजब नशा
रोज़ देखे सपने
कभी न हों अपने
4.
निडर चोर
सब चुरा ले गया
नींद, सपने
छोड़ गया तो बस
सूजी-सूजी पलकें
5.
धान की पौध
रोपती हैं औरतें
बोती सपने
बँधे नया छप्पर
बेटी जाये ‘पी’ घर
- 120 बी/2, साकेत, मेरठ (उ.प्र.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें