अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 11-12 , जुलाई-अगस्त 2013
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : श्री महावीर रंवाल्टा व सु-श्री मीना गुप्ता की क्षणिकाएँ।
मीना गुप्ता
दो क्षणिकाएं
1.
सूर्य की किरणों ने
छूकर यह कहा
किरणों सा चमको
धरा पर
बिखर जाओ
तुम गगन में
ऐसा कि
तुम जैसा कोई न हो
2.
मुझे पास बुलाते हैं
हरे-भरे जंगल
जिनमें जीवन बसता है
जिसमें सुन्दरता का
डेरा है
जिनमें पक्षियों का
बसेरा है
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : श्री महावीर रंवाल्टा व सु-श्री मीना गुप्ता की क्षणिकाएँ।
महावीर रवांल्टा
तीन क्षणिकाएं
1.
छोड़कर तुम्हारी राह
हम बढ़ चले
अनजाने वहाँ
जीवन भर जूझने को।
2.
मैं उस फूल को
कुछ समझकर
सहेजना चाहता था
लेकिन चाहने तक
3.
वह महानता की ओर
बढ़ा ही था
तभी जालिम जमाने की
चिंगारी गिरी
और वह
सड़क पर पड़ा था।
- ‘सम्भावना’ महरगॉव, पत्रा.- मोल्टाड़ी, पुरोला, उत्तरकाशी-249185, उत्तराखण्ड
मीना गुप्ता
दो क्षणिकाएं
1.
सूर्य की किरणों ने
छूकर यह कहा
किरणों सा चमको
धरा पर
बिखर जाओ
तुम गगन में
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
ऐसा कि
तुम जैसा कोई न हो
2.
मुझे पास बुलाते हैं
हरे-भरे जंगल
जिनमें जीवन बसता है
जिसमें सुन्दरता का
डेरा है
जिनमें पक्षियों का
बसेरा है
- द्वारा विनोद गुप्ता, निराला साहित्य परिषद, कटरा बजार,महमूदाबाद, सीतापुर-261203 (उ.प्र.)
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