अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 2, अंक : 11-12, जुलाई-अगस्त 2013
13 अगस्त की शाम हरिद्वार के संत समाज और बुद्धिजीवियों के लिए यादगार बन गई, जब ख्यातिलब्ध कवि, शोधकर्ता एवं समर्पित शिक्षक डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ को जगद्गुरु रामानंद द्वारा स्थापित ‘श्री मठ’, वाराणसी के वर्तमान पीठाधीश्वर श्री राम नरेशाचार्य जी ने राष्ट्रीय ‘तुलसी सम्मान’ से विभूषित किया!
डॉ. ‘अरुण’ ‘श्री मठ’ के प्रतिष्ठित ‘तुलसी सम्मान’ से विभूषित
13 अगस्त की शाम हरिद्वार के संत समाज और बुद्धिजीवियों के लिए यादगार बन गई, जब ख्यातिलब्ध कवि, शोधकर्ता एवं समर्पित शिक्षक डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ को जगद्गुरु रामानंद द्वारा स्थापित ‘श्री मठ’, वाराणसी के वर्तमान पीठाधीश्वर श्री राम नरेशाचार्य जी ने राष्ट्रीय ‘तुलसी सम्मान’ से विभूषित किया!
‘तुलसी जयन्ती’ के पावन अवसर पर श्रद्धा भाव से मनाई गई महाकवि तुलसीदास की जयन्ति पर ‘श्री मठ’ के पीठाधीश श्री रामनरेशाचर्य जी ने ‘जैन राम काव्य’ के शोधकर्ता एवं विद्वान् डॉ ‘अरुण’ को ‘महाकवि तुलसी’ का प्रतिरूप मानकर ‘मंगल तिलक’ लगाया और अंग-वस्त्र, स्मृति-चिन्ह, प्रसाद और 51000/- रुपए देकर सम्मानित किया! ‘अभिनन्दन पत्र’ में डॉ ‘अरुण’ को ‘साहित्य, शिक्षा और शोध की त्रिवेणी’ बताते हुए उनके बहुमुखी साहित्यिक अवदान को सराहा गया! विभिन्न पीठों के धर्माचार्यों ने डॉ ‘अरुण’ को यह ‘सम्मान पत्र’ एक साथ मिल कर समर्पित किया!
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि महाकवि तुलसी की पावन जयन्ति पर ’गंगा-तीर्थ’ हरिद्वार में मिला यह सम्मान निस्संदेह प्रभु श्री राम का वरदान ही है! डॉ ‘अरुण’ ने कहा कि महाकवि तुलसी ने ‘राम’ को घर-घर पहुंचा कर भारत को नवजीवन और आस्था का अमृत दिया था, जिस ने भारत को आज तक प्राणवान बना रक्खा है!
श्री मठ के पीठाधीश्वर राम नरेशाचार्य जी ने कहा कि तुलसी जैसा महाकवि विश्व में आज तक कोई हुआ ही नहीं, जिसकी रचना को घर-घर में ‘पूजा’ जाता है! इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ कमल कान्त बुधकर एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ सुशील उपाध्याय सहित अनेक संत, महंत एवं ‘श्री मठ’ के विद्वान व्यक्ति उपस्थित रहे!
बाल साहित्य चिंतन पर द्वीप लहरी का महत्वपूर्ण विशेषांक प्रकाशित
हिन्दी साहित्य कला परिषद, पोर्टब्लेयर द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित प्रत्रिका ‘द्वीप लहरी’ का बाल साहित्य चिंतन पर बहुप्रतीक्षित एवं महत्वपूर्ण विशेषांक (अगस्त-दिसंबर 2013) प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. बलराम अग्रवाल के सौजन्य संपादन में प्रकाशित हो गया है। इस विशेषांक में बाल चिंतन पर डॉ. हरिकृष्ण देवसरे, राजकमल, दिविक रमेश, रूप सिंह चन्देल, अनिल पतंग, ओमप्रकाश कश्यप आदि 17 लेखकों के महत्वपूर्ण आलेख हैं, जिनमें बाल साहित्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। अन्य सामग्री के साथ श्री महावीर प्रसाद जैन ने संस्मरण में अपने पराग के संपादन से जुड़े दिनों को याद किया है। उम्मीद है यह अंक बाल साहित्य में कुछ नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। विशेष बात यह है कि हिन्दी के प्रसारार्थ परिषद ने इस अंक को निशुल्क वितरित करने का फैसला किया है।
अभिनव इमरोज का लघुकथा विशेषांक शीघ्र
सुप्रसिद्ध पत्रिका ‘अभिनव इमरोज’ का दिसम्बर अंक लघुकथा विशेषांक होगा, जिसके अतिथि संपादक वरिष्ठ लघुकथाकार श्री सुकेश साहनी एवं श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमान्शु’ होंगे। लघुकथाएं 15 अक्टूबर 2013 तक यूनीकोड, सुषा, वाकमैन, चाणक्य या कृतिदेव 010 फोण्ट में ईमेल द्वारा संहीनांजीं89/हउंपसण्बवउ पर या डाक द्वारा श्री सुकेश साहनी, 193/21, सिविल लाइन्स, बरेली-243001, उ.प्र. के पते पर भेजी जा सकती हैं। (समा. सौजन्य: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमान्शु’)
राजेन्द्र परदेसी को केरल हिन्दी साहित्य अकादमी का सम्मान
वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजेन्द्र परदेसी को केरल हिन्दी साहित्य अकादमी का ’साहित्य श्री’ सम्मान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दस हजार रुपये के पुरस्कार के साथ प्रदान किया गया है। परदेसी जी को यह सम्मान हिन्दी भाषा एव साहित्य के उन्नयन एवं संवर्धन में उत्कृष्ट उपलब्धियों तथा महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया गया है। (समा. सौजन्य : राजेन्द्र परदेसी)
साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला को अकादमी पुरस्कार
सुपरिचित साहित्यकार श्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला को बाल साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी ,उदयपुर द्वारा शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उनकी चर्चित बाल साहित्य कृति ‘नया सवेरा’ के लिए दिया गया है। राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के सभागार में आयोजित साहित्य पर्व -2013 एवं मीरा समारोह में श्री ठकुरेला को इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। अकादमी के उपाध्यक्ष श्री आबिद अदीव ने श्री ठकुरेला का माल्यार्पण कर स्वागत किया। अकादमी अध्यक्ष श्री वेद व्यास ने शॉल, सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी ने सम्मान-पत्र, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय ने स्मृति-चिन्ह, अकादमी सचिव डॉ. प्रमोद भट्ट ने पुरस्कार राशि (रु.15000 /=) एवं गुजराती के चर्चित साहित्यकार डॉ. केशुभाई देसाई ने पुष्पगुच्छ भेंट किया। इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य की विविध विधाओं में किये गए उल्लेखनीय कार्य के लिए कुल 26 साहित्यकारों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय कार्य के लिए कुल 26 साहित्यकारों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। (समाचार सौजन्य: त्रिलोक सिंह ठकुरेला)
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