अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०६, जनवरी २०१२
।।हाइकु।।
सामग्री : सुभाष नीरव, डॉ सतीश राज पुष्करणा, डॉ हरदीप सन्धु एवं रमेश कुमार सोनी के हाइकु ।
(अविराम के जून २०११ अंक, जो कि हाइकु, जनक छंद एवं क्षणिका पर केन्द्रित था, में अंक के अतिथि संपादक आदरणीय रामेश्वर कम्बोज हिमांशु जी द्वारा चयनित कई मित्रों के कुछ हाइकु स्थानाभाव के कारण प्रकाशित होने से रह गए थे। इस अंक में उन्हीं में से कुछ मित्रों के प्रकाशित होने से छूट गए हाइकु प्रस्तुत हैं। छूटे हुए शेष हाइकु भी यथासंभव प्रकाशित करने का प्रयास किया जायेगा।)
दो हाइकु
1.
तुम यूँ आए
तपती धरा पर
बादल छाए।
2.बाँधो न आस
अपने ही अब तो
तोड़ें विश्वास।
- 372, टाइप-4, लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली-110023
डॉ सतीश राज पुष्करणा
तीन हाइकु
१.
हँसो ऐ दोस्त !
रोने से रात छोटी
नहीं होती है ।
२.बचपन को
छोड़,सीधा जवान
हो रहे बच्चे ।
३.धोखा न देते
पेड़ कभी, आज के
बेटों के जैसा।
- लघुकथा नगर , महेन्द्र, पटना
हुई गलती
जीवन का किनारा
बन न पाया ।
2.दिल जो टूटे
मरने मत देना
अपनी इच्छा ।
3.दुख जो आता
जीवन को माँजता
आगे बढ़ाता ।
4.काटता जाए
दुविधा की बेड़ियाँ
दृढ़ संकल्प
- ई मेल : hindihaiku@gmail.com
चार हाइकु
धूप है गर्म
भटकती है छाँव
जलते पाँव
2.राहों में अब
पदचिह्न नहीं हैं
जूता चिह्न हैं!
3.आज का युवा
फैशन का कबाड़
मांस ना हाड़
4.न्योछावर हैं
पतझरी पत्तियाँ
बसंत पर
- जे.पी. रोड, किसान राइस मिल के पास, बसना, जिला-महासमुन्द्र-493554 (छत्तीसगढ़)
डॉ हरदीप सन्धु ,भाई नीरव जी और पुषकरणा जी के हाइकु बहुत अच्छे हैं। ये सभी हाइकुमर्मस्पर्शी हैं-
जवाब देंहटाएंसुभाष नीरव
1.
तुम यूँ आए
तपती धरा पर
बादल छाए।
2.
बाँधो न आस
अपने ही अब तो
तोड़ें विश्वास।
-0-
पुष्करणाजी-
१.
हँसो ऐ दोस्त !
रोने से रात छोटी
नहीं होती है ।
-0-
डॉ हरदीप सन्धु, सिडनी आस्ट्रेलिया
1.
हुई गलती
जीवन का किनारा
बन न पाया ।
2.
दिल जो टूटे
मरने मत देना
अपनी इच्छा ।
3.
दुख जो आता
जीवन को माँजता
आगे बढ़ाता ।
4.
काटता जाए
दुविधा की बेड़ियाँ
दृढ़ संकल्प