अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 11, जुलाई 2012
सामग्री : केशव शरण एवं शिव कुमार पाण्डेय ‘विराट’के हाइकु ।
आठ हाइकु
1.
शीशे सी धूप
त्वचा को कर रही
काला-कुरूप
2.
अति सुन्दर
पसरी हुई नदी
किनारो पर
3.
भराया तेल
तो अब मोटर का
इंजन फेल
4.
यह बसंत
रहने नहीं देता
संत को संत
5.
खोल गयी हैं
मेरे जख्मों के टांके
हंसती आखें
6.
लहरों पर
वसीयत लिखता
डूबने वाला
7.
हाथ में डोर
पर पतंग पर
नहीं है जोर
8.
हो गया काठ
कौन से सदमात
पेड़ को लगे
।।हाइकु।।
सामग्री : केशव शरण एवं शिव कुमार पाण्डेय ‘विराट’के हाइकु ।
केशव शरण
आठ हाइकु
1.
शीशे सी धूप
त्वचा को कर रही
काला-कुरूप
2.
अति सुन्दर
पसरी हुई नदी
किनारो पर
3.
भराया तेल
तो अब मोटर का
इंजन फेल
4.
छायाचित्र : ज्योत्सना शर्मा |
रहने नहीं देता
संत को संत
5.
खोल गयी हैं
मेरे जख्मों के टांके
हंसती आखें
6.
लहरों पर
वसीयत लिखता
डूबने वाला
7.
हाथ में डोर
पर पतंग पर
नहीं है जोर
8.
हो गया काठ
कौन से सदमात
पेड़ को लगे
- एस-2/564, सिकरौल, वाराणसी कैन्ट, वाराणसी-2 (उ0प्र0)
शिव कुमार पाण्डेय ‘विराट’
(मेरठ निवासी विराट जी का हाइकु संग्रह ‘सप्तरंग’ इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है। उनके संग्रह से प्रस्तुत हैं कुछ हाइकु।)
पाँच हाइकु
1.
बहुत भाता
पतझर का अन्त
लाता वसन्त
2.
2.
होलिका आती
प्यार परोस जाती
3.
नहीं सुहाता
मधुमास का जाना
गर्मी ले आना
4.
अहिंसा-गीत
बड़ी मछली गाती
छोटी को खाती
5.
राजा लाचार
आय के लिए करे
नशा व्यापार
- कार्यालय मुख्य अभियंता (सिविल), उ.प्र. पश्चिम सिविल जोन, बी.एस.एन.एल. मेरठ (उ.प्र.)
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