अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 11, जुलाई 2012
।।जनक छन्द।।
सामग्री : पं. ज्वालाप्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ के जनक छंद।
पं. ज्वालाप्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’
जनक छन्द
1.
गगन रूप गोविन्द हैं
सबका मन मोहित करें
हृदय भूप गोविन्द हैं।
2.
कृष्णा देखी टेर कर
हुए सहायक कृष्ण तब
हम भी देखें टेर कर।
3.
रेखांकन : बी मोहन नेगी |
परिवर्तन के दौर में
फैशन चंगी हो गयी।
4.
अब यदि मन हनुमान हो
बादल संकट के छटें
जन-गण का कल्याण हो।
5.
उन्मुख सुन्दर गेय हो
विश्व पटल फहरे ध्वजा
हम सबका यह ध्येय हो
- 251/1, दयानन्द नगरी, ज्वालापुर, हरिद्वार-249407 (उत्तराखण्ड)
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