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शनिवार, 27 अगस्त 2016

गतिविधियाँ

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  5,   अंक  :  05-12,  जनवरी-अगस्त  2016 


{आवश्यक नोट-  कृपया संमाचार/गतिविधियों की रिपोर्ट कृति देव 010 या यूनीकोड फोन्ट में टाइप करके वर्ड या पेजमेकर फाइल में या फिर मेल बाक्स में पेस्ट करके ही भेजें; स्केन करके नहीं। केवल फोटो ही स्केन करके भेजें। स्केन रूप में टेक्स्ट सामग्री/समाचार/ रिपोर्ट को स्वीकार करना संभव नहीं है। ऐसी सामग्री को हमारे स्तर पर टाइप करने की व्यवस्था संभव नहीं है। फोटो भेजने से पूर्व उन्हें इस तरह संपादित कर लें कि उनका लोड लगभग 02 एम.बी. तक का रहे।}  


वृहद ‘हिन्दी लघुकथाकार कोश’ के प्रकाशन की तैयारी

       वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. बलराम अग्रवाल एवं श्री मधुदीप के संपादन में ‘हिन्दी लघुकथाकार कोश’ तैयार करके प्रकाशन की योजना बनाई गई है। इस कोश में अब तक के समस्त लघुकथाकारों के बारे में जानकारी को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। मधुदीप जी से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोश में शामिल होने के लिए एक निर्धारित प्रारूप पर लघुकथाकारों को अपने बारे में जानकारी उपलब्ध करवानी होगी। 
       इस प्रारूप में दो भाग हैं, पहले भाग में लघकथाकार को अपने बारे में व्यक्तिगत जानकारी देनी है। इसमें अपना नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, शिक्षा, विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रदत्त पुरस्कार एवं सम्मान, प्रकाशित लघुकथा-संग्रहों की सूची, संपादित लघुकथा संकलनों की सूची, अन्य प्रकाशित मौलिक, संपादित व अनूदित पुस्तकों की अलग-अलग सूची, सम्प्रति, सम्पर्क सूत्र- डाक का पता, मोबाइल नं., ई मेल आई डी की सूचना शामिल होगी। दूसरे भाग में लघुकथाकार को अपनी प्रकाशित (मौलिक, संपादित, अनूदित) लघुकथा पुस्तकों के बारे में परिचयात्मक जानकारी देनी है। इसमें पुस्तक का नाम, प्रकाशन वर्ष (प्रथम संस्करण), पृष्ठों की संख्या, मूल्य, संग्रहीत लघुकथाओं की संख्या, भूमिका लेखक का नाम, प्रकाशक का नाम तथा पता, आई.एस.बी.एन. (यदि है तो) शामिल होगी। 
       मधुदीप जी ने यह भी बताया कि यदि किसी साथी के पास किसी दिवंगत लघुकथाकार के बारें में भी जानकारी है, तो वह उसे भी संपादकों को निर्धारित प्रारूप में उपलब्ध करवा सकते हैं। सामग्री मधुदीप जी को द्वारा दिशा प्रकाशन, 138/16, त्रिनगर, दिल्ली-110035 (मोबाइल: 09312400709) या डॉ. बलराम अग्रवाल, एम-70, नवीन शाहदरा, गली नम्बर-5, जैन मन्दिर के सामने, दिल्ली-110 032 (मोबाइल: 088264 99115) के पते पर भेजी जा सकती है। (समाचार प्रस्तुति : अविराम समाचार डेस्क)



सुमित्रानंदन पंत एवं शेरदा अनपढ़ का भावपूर्ण स्मरण 



विगत 20 मई को उत्तराखंड के रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सष्जन पीठ में कविवर सुमित्रानंदन पंत एवं कुमाऊँनी कवि शेरदा अनपढ़ का भावपूर्ण स्मरण किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुमाऊँ वि.वि. के कुलपति प्रो. एच.एस.धामी ने की। विशिष्ट अतिथि वि.वि. के कुमाऊँनी भाषा विभाग के समन्वयक प्रो. एस.एस.विष्ट ने अपने लम्बे उद्बोधन में कहा कि उत्तराखंड को पहली बार सुमित्रानंदन पंत की रचनाओं के माध्यम से जाना गया। कुमाऊँनी कवि शेरदा अनपढ़ और उनकी कविता पर मथुरादत्त मठपाल एवं डॉ. दीपा गोबाड़ी ने विस्तार से अपने विचार रखे। इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्यगीत के रचनाकार हेमन्त बिष्ट को सम्मानित किया गया। डॉ. दीपा गोबाड़ी की पुस्तक ‘पहाड़िक फाम’ एवं पीठ निदेशक प्रो. देव सिंह पोखरिया के कहानी संग्रह ‘भतकौवे’ का विमोचन भी किया गया। दूसरे सत्र में हिन्दी कविता तथा तीसरे सत्र में कुमाऊँनी कविता पाठ का आयोजन भी किया गया। जिसमें उ.खंड तथा देश के अन्य राज्यों से आये अनेक कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। (समाचार सौजन्य : मोहन सिंह रावत)




स्टील के फलक पर सिंहस्थ की अभिनव कलाभिव्यक्ति का प्रदर्शन


      आस्था, विश्वास व धर्म के महाकुंभ के रंगों ने श्रद्धालुओं, जनमानस के साथ ही कलाधर्मियों को भी अपनी विशिष्टता, भव्यता व अलौकिकता से सराबोर किया। सिंहस्थ की इसी भव्यता, गरिमा और विशिष्टता को अपनी अभिनव कलाभिव्यक्ति में समेटे चित्र प्रदर्शनी ‘ए रेडियन्ट सिंहस्थ विद संदीप राशिनकरस्टील के फलक पर सिंहस्थ की अभिनव कलाभिव्यक्ति का प्रदर्शन आस्था, विश्वास व धर्म के महाकुंभ के रंगों ने श्रद्धालुओं, जनमानस के साथ ही कलाधर्मियों को भी अपनी विशिष्टता, भव्यता व अलौकिकता से सराबोर किया। सिंहस्थ की इसी  भव्यता, गरिमा और विशिष्टता को अपनी अभिनव  कलाभिव्यक्ति में समेटे चित्र प्रदर्शनी ‘ए रेडियन्ट सिंहस्थ विद संदीप राशिनकर’ का तीन दिना प्रभावी आयोजन इन्दौर के प्रीतमलाल दुआ कला वीथिका में किया गया। इसका उद्घाटन प.पू. श्री अण्णाजी महाराज, वरिष्ठ पत्रकार श्री कृष्णकुमार अष्ठाना एवं कलाधर्मी श्रीमती शरयू राशिनकर ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। 
      प्रदर्शित चित्रों में संदीप जी ने सिंहस्थ दृश्यों, गतिविधियों एवं उस वातावरण को अपनी अविष्कृत विशिष्ट कला शैली स्टील वेंचर के साथ स्टील पर इचिंग के माध्यम से अभिव्यक्त कर इस प्रदर्शनी का अनूठी बना दिया। 

      भित्तिचित्रों के वैशिष्ट्य को समाहितों करती अविष्कृत शैली स्टीलवेंचर हो रेखाओं की बारीकियों, फोर्स को धातु पर रेखांकित करती व स्पॉट कलर्स से श्रृंगारित करती इचिंग हो या रंगों से दृश्यों को नयनाभिराम बनाती पेपर पर अंकित कलाकृतियाँ हों, समूचे सिंहस्थ के रंगों से दर्शकों को भीतर तक सराबोर करती है। इस प्रदर्शनी से गुजरने वाले असंख्य दर्शकों को सिंहस्थ में हो आने का अनूठा एहसास यह प्रदर्शनी दिलाती है। (समाचार सौजन्य : संदीप राशिनकर)



डॉ. मधु चतुर्वेदी, योगेश पटेल एवं डॉ कुंवर बेचैन सम्मानित

       लंदन, 19 मई, वातायन पोएट्री ऑन साउथ-बैंक पुरस्कार-समारोह 2016 का आयोजन, विंडसर और मिडलैंड की बैरोनेस फ्लैदर, वातायन के संरक्षक एवं गुजरात समाचार और एशियाई आवाज समाचार पत्र के संपादक श्री सीबी पटेल और गीतकार-गायिका और संगीतकार तान्या वेल्स की उपस्थिति में हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक खचाखच भरे सभागार में किया गया। समारोह की अध्यक्षता इल्मी मजलिस- लन्दन के अध्यक्ष एवं इतिहासकार ज़िया शकेब ने की। प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल थे- लेखक और वातायन की संस्थापक अध्यक्ष दिव्या माथुर, ब्रिटेन में गुजराती शिक्षण के अग्रणी संस्थापक, लेखक एवं शोधकर्ता प्रोफ़ेसर जगदीश दवे एमबीई, लेखक और बीबीसी विश्व हिंदी सेवा की पूर्व प्रमुख डॉ अचला शर्मा, यू-3 आंदोलन की सदस्य एवं परिवार और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार मीरा चंद्रन, लेखक और काव्य रंग-नॉटिंघम की अध्यक्ष जय वर्मा, लेखक और वतायान कोषाध्यक्ष शिखा वार्ष्णेय। नेत्र सर्जन, फिल्म निर्माता, कवि और रेडियो-प्रस्तोता डॉ निखिल कौशिक द्वारा कार्यक्रम का सुन्दर ढंग से संचालन किया गया। वार्षिक-वातायन काव्य पुरस्कार से प्रसिद्ध और अनुभवी कवयित्री डॉ मधु चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया जिन्होंने गीत, ग़ज़ल, खंड-काव्य, कविता
और हाइकु की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। मधु जी की अनुपस्थिति में, उनकी बेटी, अंजलि बेदी ने यह पुरस्कार स्वीकार किया बैरोनेस फ्लैदर और डॉ ज़िया शकेब के करकमलों द्वारा। अन्तराष्ट्रीय कविता साधना सम्मान, श्री सी बी पटेल, बैरोनेस फ्लैदर और डॉ जिया शकेब द्वारा योगेश पटेल को, अंग्रेजी, गुजराती और हिंदी साहित्य में उनके असाधारण योगदान के माध्यम से कविता को बढ़ावा देने एवं विश्व साहित्य को समृद्ध बनाने हेतु दिया गया। अंग्रेजी और गुजराती साहित्य के जाने माने कवि एवं लेखक योगेश को आलोचकों ने ‘‘एक व्यवहारिक और अप्रत्याशित निरीक्षक और निर्भीक लेखक’’ के तौर पर चुना है। उन्होंने कई विश्व प्रसिद्ध नामों के साथ 1969 से अंतरराष्ट्रीय कविता की दुर्लभ आवाजों का प्रकाशन किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि वे दक्षिण-एशियाई प्रवासियों की रचनाओं को बढ़ावा देते हैं एवं प्रकाशित करते हैं। अंत में, प्रतिष्ठित भारतीय कवि डॉ. कुंवर बेचैन को वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे कुल मिलाकर 33 पुस्तकों (गीत, गजल, दोहा, हाइकू, मुक्त छंद, महाकाव्य, उपन्यास, यात्रा वृतांत, आदि) के लेखक है। एक सेवानिवृत्त हिंदी प्रोफेसर कुंवर बैचेन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है। 22 छात्रों ने उन पर अपना शोध कार्य लिखा है
और भारत सरकार कई देशों में विश्व हिंदी सम्मेलनों में भाग लेने के लिए भी उन्हें भेज चुकी है।
      मशहूर संगीतज्ञ बालूजी श्रीवास्तव, ने सरस्वती वन्दना की तो वकील और उभरती हुई प्रतिभाशाली कलाकार मेहताब मल्होत्रा ने मधु चतुर्वेदी की एक ग़ज़ल को गाकर सुनाया और तान्या वेल्स ने फैज़ अहमद फैज़ की ग़ज़ल “गुलों में रंग भरे” पेश करके दर्शकों का दिल जीत लिया। सबसे कम उम्र और बोर्ड की नई सदस्य दीप्ति संगानी ने वातायन की नवनिर्मित वेबसाइट का शुभारंभ किया। हालाँकि दीप्ति वेबसाईट की विशेषज्ञ नहीं हैं फिर भी उन्होंने इस पर बड़े धैर्य और सहजता से कार्य किया है। समय की कमी की वजह से, कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. शकेब ने संक्षेप में और सुन्दरता के साथ कार्यक्रम का सारांश प्रस्तुत किया। मेजबान बैरोनेस फ्लैदर ने, प्रतिभागियों का धन्यवाद और 2003 से लगातार वातायन द्वारा आयोजित अच्छे कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। इस कार्यक्रम में ब्रिटेन के बहुत से मशहूर विद्वान, राजनीतिज्ञ, मीडियाकर्मी और आर्टिस्ट्स शामिल थे, जिनमें प्रमुख रहे, बैरोनेस पराशर, डॉ हिलाल फ़रीद, प्रो श्याम मनोहर पांडये, प्रो दया थुस्सू, जेरू राय, अरुणा अजित्सरिया, राकेश माथुर, उषा राजे सक्सेना, कादम्बरी सक्सेना, और तोषी अमृता इत्यादि। (समाचार प्रस्तुति: दिव्या माथुर, वातायन)


निरंकार देव ‘सेवक’ जी की रचनावली का संपादन करेंगे जितेन्द्र जौहर

देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्व. निरंकार देव सेवक के सम्पूर्ण साहित्य को रचनावली के रूप में प्रकाशित कराने का बीड़ा उठाया है उनकी पुत्रवधू सुश्री पूनम सेवक ने। बाल साहित्य में स्व. सेवक जी देश को सर्वोच्च साहित्कारों में गिना जाता है, यद्यपि अन्य विधाओं में भी उन्होंने पर्याप्त सृजन किया है। सेवक जी बरेली शहर के निवासी थे। वर्तमान में उनके मूल आवास में उनकी पुत्रवधू श्रीमती पूनम सेवक निवास करती हैं। उनके विपुल साहत्य को संकलित करके रचनावली के रूप में सम्पादित करने का दायित्व स्वीकार किया है सुप्रसिद्ध युवा कवि एवं समालोचक श्री जितेन्द्र जौहर ने। रचनावली पर कार्य करने के सन्दर्भ में श्री जौहर विगत दिनों लगभग एक माह तक बरेली प्रवास पर रहे। उन्होंने सेवक जी के तमाम शुभचिन्तकों से अपील की है कि जिस किसी के पास सेवक जी की कोई अप्राप्य सामग्री एवं संस्मरण आदि रचनावली में देने योग्य हों, उन्हें अवश्य उपलब्ध करायें। इस कार्य में जितेन्द्र जौहर को हर प्रकार का सहयोग करने का आश्वासन बरेली के अनेक साहित्यकारों ने दिया है। (प्रस्तुति: अविराम समाचार डेस्क)


मीडिया कान्फ्रेंस में स्व-नियमन पर जोर


      प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू में आयोजित हुई राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस में देश के 500 से अधिक पत्रकार, मीडिया शिक्षक शामिल हुए। उत्तराखंड से वक्ता के तौर पर शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि मीडिया को ज्ञान रूपी गंगा का सक्रिय हिस्सा बनने की आवश्यकता है। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के मीडिया शिक्षक डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि मीडिया को स्व-नियमन के कार्य को ज्यादा गंभीरता से लागू करने की जरूरत है। उत्तराखण्ड के इन दोनों वक्ताओं ब्रहमाकुमारीज की ओर से शॉल और स्मूृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। माउंट आबू के ज्ञान सरोवर परिसर में संपन्न हुई इस पांच दिवसीय कान्फ्रेंस का उद्घाटन कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मानंिसह परमार, आईबीएन7 के संपादक सुमित अवस्थी और ज्ञान सरोवर की निदेशक बीके निर्मला ने संयुक्त रूप से किया। यह कांफ्रेंस 36 वर्ष से से लगातार आयोजित हो रही है। कान्फ्रेंस में देश के लगभग 30 राज्यों और नेपाल के 500 से अधिक पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों, मीडिया विशेषज्ञों ने भाग लिया। विभिन्न सत्रों में इस बात पर गहन चिंतन हुआ कि मीडिया किस प्रकार राष्ट्र और समाज के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभा सकता है। सभी वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि मीडिया के भीतर की नकारात्मकता को समाप्त किए जाने की जरूरत है। इसके लिए मीडियाकर्मियों को अपने लक्ष्यों और मूल्यों को उच्च स्तर पर निर्धारित करना होगा। कान्फ्रेंस के दौरान चार प्राथमिक-सत्र, दो संवाद-सत्र, एक टॉक-शो और छह ध्यान एवं मीडिया सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों में मीडियाकर्मियों ने संवाद, विमर्श और व्याख्यानों के जरिये सक्रिय भूमिका निभाई। इन सत्रों में मीडियाकर्मियों ने संवाद, विमर्श और व्याख्यानों के जरिये सक्रिय भूमिका निभाई। 
      टॉक-शो में पत्रकार डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि धर्म और अध्यात्म को व्यापक संदर्भाें में समझे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कर्मकांड और आध्यात्मिकता, दो भिन्न चीजें हैं। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान किया कि वे आध्यात्मिकता को सही संदर्भ में समझकर उसे अपनी दैनिक पत्रकारिता का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता और आध्यात्मिकता के समन्वय से बेहद सुखद परिणाम सामने आएंगे। संवाद-सत्र में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि पत्रकारिता और आध्यात्मिकता के समन्वय का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को इस अहंकार से मुक्त होने की जरूरत है कि वे ही समाज को नियंत्रित कर रहे हैं। मीडिया जिस प्रकार के मिथ गढ़ रहा है, उनसे अच्छा समाज बनने की संभावना पैदा नहीं होती। मीडिया को स्व-नियमन के कार्य को अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से लागू करने की जरूरत है।
      समापन पत्र में करुणा भाई ने कांफ्रेंस की अनुशंसाएं प्रस्तुत की। इन अनुशंसाओं को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। कान्फ्रेंस के विभिन्न सत्रों को ज्ञानामष्त पत्रिका के संपादक बीके आत्मप्रकाश, पीएमटीवी के कार्यकारी निदेशक हरीलाल भाई, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मीडिया विंग के चेयरपर्सन बीके करुणा, मुख्यालय समन्यक बीके शांतनु, राष्ट्रीय समन्वयक सुशांत भाई, पीएमटीवी के समाचार संपादक कोमल भाई, दिल्ली से आए टीवी पत्रकार सुशील खरे, छत्तीसगढ़ बंधु के संपादक मधुकर द्विवेदी, मराठी दैनिक देशोन्नति के संपादक राजेश राजौरे, लाइव इंडिया केे स्टेट हेड राजेश असनानी, सुखाड़िया विवि के पत्रकारिता के प्रो. कुंजन आचार्य, हिंदुस्तान टाइम्स की पत्रकार संचिता आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर उत्तराखंड सूचना विभाग के सहायक निदेशक मनोज श्रीवास्तव की किताब ‘मेडिटेशन के नवीन आयाम‘ किताब का विमोचन भी किया गया। विमोचन समारोह में पारसनाथ पाल, आभापाल, डॉ. रश्मि मिश्रा, सुनील मिश्रा आदि शामिल हुए। (समा. सौजन्य: डॉ. गोपाल नारसन)


पूर्वाेत्तर भारत में नागरी लिपि एवं राष्ट्रीय भाषाओं के विकास में जुटी 

है पूर्वाेत्तर हिंदी अकादमी

 
    उत्तर पूर्वी परिषद, शिलांग के सहयोग से पूर्वाेत्तर हिंदी अकादमी के द्वारा दिनांक 27 मई 2016 से 29 मई 2016 तक श्री राजस्थान विश्राम भवन, लुकियर रोड, गाड़ीखाना, शिलांग में पूर्वाेत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं एवं नागरी लिपि के प्रोन्नयन विषय पर त्रि- दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस तरह का आयोजन अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मई-जून महीने में सन् 2008 से किया जा रहा है। इसके पूर्व 2002 में भी अखिल भारतीय लेखक शिविर का आयोजन इस अकादमी द्वारा किया गया था।
      दिनांक 27 जून को दोपहर 3.00 बजे सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री शंकरलाल जी गोयनका, समाजसेवी तथा जीवनराम मुंगी देवी पब्लिक चौरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिविशिष्ट
अतिथि के रूप में जे. एन. बावरी ट्रस्ट के निदेशक श्री पवन बावरी, नेशनल इन्स्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, वैश्य परिवार के संपादक श्री श्रीहरिवाणी, अकादमी के संरक्षक श्री पुरुषोत्तम दास जी चोखानी, मौलाना आजाद नेशनल उर्दु यूनिवर्सिटि हैदराबाद के सहायक प्रोफेसर डा. पठान रहीम खान, पूर्वाेत्तर हिंदी अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र में अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिका पूर्वाेत्तर वार्ता एवं कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी द्वारा प्रकाशित शुभ तारिका के डा. महाराज कृष्ण जैन विशेषांक सहित कई पत्रिकाओं के अंको एवं पुस्तकों का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों ने किया। सत्र का सफल संचालन किया डॉ.
अरुणा कुमारी उपाध्याय ने। श्री बिमल बजाज ने सभी अतिथियों, लेखकों, प्रतिभागियों का स्वागत किया। राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, आकोला, चित्तौड़गढ़ की ओर से श्री बिमल बजाज को पूर्वाेत्तर भारत में हिंदी के विकास के लिए सराहनीय कार्य हेतु अम्बालाल हींगड़ स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। शाम 6-30 बजे से काव्य संध्या का आयोजन पूर्वाेत्तर हिंदी अकादमी के संस्थापक सचिव डा. अकेलाभाइ की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें 15 राज्यों से विभिन्न भाषाओं के कवियों 49 कवियों ने काव्य पाठ किया। संचालन श्रीमती श्रुति सिन्हा (आगरा), श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर (कानपुर), श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव (भोपाल), श्रीमती जान मोहम्मद (मेघालय), श्री राजकुमार जैन राजन (आकोला) और डा. अकेलाभाइ ने किया। सुश्री बबीता जैन और मंजु लामा ने सभी कवियों का स्वागत गमोछा (खदा) पहना कर किया।
      दिनांक 28 मई 2016 को पूर्वाह्न 10.30 बजे से डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी सेवी की अध्यक्षता में पूर्वाेत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं और नागरी लिपि का प्रोन्नयन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये 17 विशेषज्ञों ने अपने-अपने आलेख पढ़े। संचालन डा. संगीता सक्सेना, जयपुर, राजस्थान ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल इंस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, अति विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. अमी आधार निडर (आगरा),
भयवाद के जनक श्री देश सुब्बा और अतिथि के रूप में श्री हरिवाणी (कानपुर), श्री पुरुषोत्तम दास चोखानी (शिलांग) मंच पर उपस्थित थे। डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी विद्वानों के आलेखों की प्रशंसा करते हुए उनकी समीक्षा प्रस्तुत की। अकादमी के इस प्रयास की सहारना करते हुए बताया कि इस तरह के सम्मेलनों के आयोजन से पूर्वाेत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदी का विकास होगा। हिंदी के विकास के लिए सभी हिंदी सेवियों को एक मंच पर लाना होगा तथा हमें इस कार्य के लिए भरपूर प्रोत्साहन देने का भी आवश्यकता है। 
      दोपहर 3-00 बजे से अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह में अनेक साहित्यकारों को उनके समस्त लेखन
एवं साहित्यधर्मिता के लिए डा. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। इस वर्ष का केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर, कानपुर, उ. प्र. डा. अम्बूजा एन. मलखेडकर, गुलबर्गा, कर्नाटक, श्री राजकुमार जैन ‘राजन’, अकोला, राजस्थान, श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, भोपाल, म. प्र., श्री विशाल के. सी., विश्वनाथ चारिआली, असम, श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, कानपुर, श्री जे. पी. शर्मा, गुवाहाटी, असम को हिंदी भाषा, साहित्य एवं नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान भारतीय संस्कृति एवं
सामाजिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों हेतु श्री संजय अग्रवाल, रङ्पो, सिक्किम और श्री शरद चन्द्र बाजपेई, कानपुर, उ. प्र. को प्रदान किया गया। जे. एन. बावरी स्मृति सम्मान 2016, श्री रमेश मिश्र आनंद, कानपुर, उ. प्र., श्री रामस्वरूप सिंह चन्देल, कानपुर, उ. प्र, श्री सौमित्रम, गुवाहाटी को जन कल्याण एवं समामजिक विकास के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया।
      सायं 6-30 बजे से सांस्कृतिक संध्या का सफल संचालन श्री संजय अग्रवाल ने किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे श्री देश सुब्बा। इस नृत्य एवं संगीत समागम में, असम प्रदेश का लोकप्रिय बिहु लोक नृत्य, बागरुम्बा लोक नृत्य, आधुनिक गीतों पर आधारित नृत्य, असमीया लोकगीत, भजन, आधुनिक गीत आदि विभिन्न कलाकारों ने प्रस्तुत किया। इस संगीत और नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम में श्रीमती जयमती नार्जारी, श्री मिनोती सेनापति, श्री सुरेन्द्र गुप्ता, श्री कन्हैया लाल सलिल, श्रीमती शारदा गुप्ता, श्रीमती सुरेश गुप्त राजहंस, श्रीमती सुमेश्वरी
सुद्धी बरदोलाई, साधना उपाध्याय, सुमिता धर बसु ठाकुर, कुमारी अपूर्वा चौमाल रमा वर्मा श्याम, रोजी देवी भुईँयाँ, श्री अभिषेक सिंह राठौर आदि कलाकारों का सराहनीय योगदान रहा। इन सभी कलाकारों को अकादमी की ओर से मुख्य अतिथि ने मेडल एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया।
      रविवार 29 मई 2016 को कुल प्रतिभागी लेखकों ने बस द्वारा मतिलांग पार्क, मौसमाई गुफा, थांगखरांग पार्क आदि स्थानों  का भ्रमण किया। इस सम्मेलन के आयोजन में उत्तर-पूर्वी परिषद्, केशरदेव गिनिया देवी बजाज चौरिटेबुल ट्रस्ट, जीवनराम मुंगी देवी गोयनका पब्लिक चौरिटेबुल ट्रस्ट, जे. एन. बावरी चौरिटेबल ट्रस्ट, महाबीर जनकल्याण निधि, नेशनल इन्स्योरेन्स (कम्पनी) इण्डिया लिमिटेड, मेसर्स केशरीचंद जयसुखलाल, मेसर्स सीताराम ओमप्रकाश, राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, वैश्य परिवार पत्रिका, स्टार सिमेन्ट, अजमेरा मार्बल्स, कहानी लेखन महाविद्यालय, असम राइफल्स महानिदेशालय, सीमा सुरक्षा बल, श्री मारवाड़ी पंचायत आदि संस्थाओं के सहयोग और समर्थन के लिए आयोजन समिति ने आभार प्रकट करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। (समाचार प्रस्तुति : डा. अकेलाभाइ, सचिव, पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी)


पंकज सुबीर के उपन्यास ‘अकाल में उत्सव’ पर संगोष्ठी सम्पन्न 


      कथाकार पंकज सुबीर के बहु प्रशंसित उपन्यास ‘अकाल में उत्सव’ पर केन्द्रित विचार संगोष्ठी का आयोजन स्पंदन द्वारा भोपाल में किया गया। कार्यक्रम में उपन्यास के दूसरे संस्करण का विमोचन भी किया गया। हिन्दी भवन के महादेवी वर्मा सभागार में सोमवार शाम आयोजित विचार संगोष्ठी की अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ कहानीकार, उपन्यासकार श्री महेश कटारे ने की। उपन्यास पर वरिष्ठ पत्रकार श्री ब्रजेश राजपूत, तथा प्रशासनिक अधिकारी द्वय श्री राजेश मिश्रा तघ्था श्री समीर यादव ने अपना वक्तव्य दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्पंदन के अध्यक्ष डॉ. शिरीष शर्मा, सचिव गायत्री गौड़ तथा संयोजक उर्मिला शिरीष ने पुष्प गुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्घ्वागत किया। तत्पचश्चात उपन्यास अकाल में उत्सव के दूसरे संस्करण का लोकार्पण किया गया। शिवना प्रकाशन के प्रकाशक शहरयार खान ने अतिथियों के हाथों उपन्यास का विमोचन करवाया। 
      उपन्यास पर चर्चा की शुरुआत करते हुए श्री समीर यादव ने कहा कि उपन्यास की सफलता से यह बात सिद्ध होती है कि आज भी पाठक गांव की कहानियां पढ़ना चाहते हैं। गांव से हम सब किसी न किसी रूप में जुड़े रहे हैं। यह उपन्यास इस मायने में महत्घ्तवपूर्ण है कि इसने वर्तमान समय की एक बड़ी समस्या की न केवल पड़ताल की है बल्कि उसके मूल में जाने की और उसका हल तलाशने की भी कोशिश की है। राजेश मिश्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि उपन्यास का सबसे सशक्त पक्ष इसकी भाषा है। यह उपन्यास कहावतों, मुहावरों, लोक कथाओं और श्रुतियों की भाषा में बात करता हुआ चलता है। पाठक को अपने साथ बहा ले जाता है। कहावतों और मुहावरों का जिस प्रकार इस उपन्यास में उपयोग किया गया है वह उपन्यास की भाषा को विशिष्ट बना देता है। लोक की भाषा और शैली का इतना सुंदर उपयोग बहुत समय बाद किसी उपन्यास में पढ़ने को मिला है। पत्रकार ब्रजेश राजपूत ने अपने वक्घ्तव्घ्य में कहा कि आमतौर पर अखबारों में गाहे बगाहे और पिछले दिनों तो तकरीबन रोज छपने वाली किसानों की आत्महत्या की खबरें हम शहरी पाठकों को उतनी ज्यादा परेशान नहीं करतीं जितनी सरकार और विपक्षी दलों को। अकाल में उत्सव पढने के बाद किसानों की ऐसी आत्महत्या की दुर्भाग्यपूर्ण खबरों को आप सरसरी तौर पर नहीं पढ़ पायेंगे। इसके बाद आप किसानों की मौत की सिंगल कालम खबर को पढकर बैचेन हो जायेंगे और पंकज के इस उपन्यास की घटनाएं याद आयेंगी आप समझेंगे कि किसान पागलपने में आकर आत्महत्या नहीं करता। कितने सारे मुसीबतों के पहाड़ उस पर जब लगातार टूटते हैं तब वो ये भारी कदम उठाता है। इसे पढ़ने के बाद आप को उन छोटे और मंझोले खेतिहर किसानों से सहानुभूति हो जायेगी जो हर साल फसल खराब होने की तय परंपरा और संवेदनाहीन सरकारी तंत्र होने के बाद भी खेती से जुडे़ हैं और जिनकी तस्वीरें हमें सरकारी विज्ञापनों में अन्नदाता के रूप में दिखती हैं।वरिष्ठ कहानीकार तथा उपन्यासकार श्री महेश कटारे ने अपनी अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिन्दी की युवा साहित्यकार तथा पाठक का गांव की ओर मुड़ना स्वागत योग्य कदम है। अकाल में उत्सव केवल एक उपन्यास नहीं है, यह एक यात्रा है, यात्रा उस त्रासदी की जो भारतीय किसान के हिस्से में आई है। पंकज सुबीर ने बड़े विश्वसनीय तरीके से किसान के जीवन का पूरा चित्र प्रस्तुत कर दिया है। और उतने ही अच्छे से प्रशासनिक व्घ्यवस्था की भी कलई खोली है। उपन्यास समस्या की भी बात करता है और समस्या के कारणों की भी बात करता है। प्रेमचंद के होरी के बाद पंकज सुबीर के उपन्यास के रामप्रसाद को भी बरसों याद रखा जाएगा। श्री कटारे ने कहा कि उपन्यास को पढ़ते समय लेखक का शोध पर किया गया श्रम साफ महसूस होता है और वही कारण है कि इतने कम समय में इस उपन्यास को इतनी लोकप्रियता प्राप्त हुई है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्पंदन की संयोजक डॉ. उर्मिला शिरीष ने जानकारी दी कि किसानों की समस्या पर केंद्रित पंकज सुबीर का यह उपन्यास इस वर्ष की सबसे चर्चित कृति है, हिन्दी के सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने न केवल इसे पसंद किया है बल्कि अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया भी व्यक्त की है। जनवरी में नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में उपन्यास का पहला संस्करण आया था तथा चार माह के अंदर प्रथम संस्करण के समाप्त होने का रिकार्ड इस उपन्यास ने रचा है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के साहित्यकार, पत्रकार तथा बुद्धिजीवी उपस्थित थे। (समाचार प्रस्तुति : उर्मिला शिरीष, संयोजक स्पंदन) 



स्टोरीमिरर.कॉम ने संतोष श्रीवास्तव को सम्मानित किया



      16 जुलाई 2016 की शाम मुंबई के मणिबेन नानावटी महाविद्यालय में एक भव्य आयोजन में प्रसिद्ध अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने वरिष्ठ कहानीकार संतोष श्रीवास्तव को हिंदी कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के उपलक्ष्य में 50000 रुपये और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राजेंद्र गुप्ता ने स्टोरीमिरर परिवार को बधाई देते हुए कहा कि स्टोरीमिरर एक बहुत अच्छा काम कर रहा है कि वह गिफ्ट ऑफ नॉलेज के जरिए कहानी और कविता को घर-घर में पहुँचा रहा है। हमारे देश में एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग है जिस तक किताबें नहीं पहुँच पातीं। किताबें उन तक पहुँचाने के लिए नये तरीके अपना कर स्टोरीमिरर लेखक और पाठक के बीच एक सार्थक पुल बना रहा है।
      स्टोरीमिरर के सीईओ बिभु राउत ने इस अवसर पर कंपनी के विजन और मिशन की बात की और कहा कि हम चाहते हैं कि हर घर में कम से कम एक पाठक तैयार करें और जो किताबें लिखी जा रही हैं उन्हें अपने प्रयासों से उन तक पहुँचाए। संतोष श्रीवास्तव ने किताबें खरीदकर पढ़ने की आदत पर बल देते हुए कहा कि पाठक और लेखक के बीच का सेतु किताबें ही होती हैं। स्टोरी मिरर.कॉम इस दिशा में बेहतरीन काम कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि ईमेल द्वारा ये बताये बिना कि कोई इस प्रकार की कहानी प्रतियोगिता भी वे आयोजित करते है वे लेखकों से रचनाएँ आमंत्रित करते हैं। उन्होने अपनी कहानी ‘‘शहतूत पक गये हैं’’ का भावपूर्ण पाठ किया। कार्यक्रम में महानगर के लेखक, पत्रकार तथा महाविद्यालय के छात्र भारी संख्या में मौजूद थे। (समाचार प्रस्तुति : स्टोरीमिरर.कॉम)


डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल रचनावली प्रकाशित




डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल के साहित्य को  रचनावली के रूप में प्रकाशित किया गया है। रचनावली को ग्यारह भागों में प्रकाशित किया गया है-1. ग़ज़ल समग्र; 2. काव्य समग्र दो (कविताएँ, गीत, मुक्तक, दोहा);  3. कहानी समग्र; 4. गद्य समग्र (निबंध, साहित्यिक अनुभव, शोध, समीक्षा आदि); 5. जीवनी समग्र; 6. नाटक समग्र एक (बाल-नाटक); 7. नाटक समग्र दो (हास्य-नाटक, सामाजिक नाटक, नुक्कड़ नाटक); 8. व्यंग्य समग्र एक; 9. व्यंग्य समग्र दो; 10. भूमिका समग्र; 11. बालसाहित्य समग्र। लगभग छ हजार पृष्ठों की इस रचनावली का संपादन सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कमलकिशोर गोयनका एवं डॉ. मीना अग्रवाल तथा प्रकाशन हिन्दी साहित्य निकेतन, 16 साहित्य विहार, बिजनौर (उ.प्र.) ने किया है। (समाचार सौजन्य : डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल)



कृष्ण कुमार यादव ‘गिरिराज सम्मान’ से विभूषित 

प्रशासन के साथ-साथ हिंदी साहित्य और लेखन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव को गगन स्वर प्रकाशन द्वारा ‘गिरिराज सम्मान-2016’ से सम्मानित किया गया। श्री यादव को यह सम्मान उनके रफी अहमद किदवई नेशनल पोस्टल एकेडमी, गाजियाबाद में प्रवास के दौरान गगन स्वर के सम्पादक ए. के मिश्र ने शाल ओढ़ाकर, नारियल फल देकर एवं प्रशस्ति पत्र देकर अभिनन्दन के साथ किया। श्री यादव को यह सम्मान गत माह हिंदी भवन, नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय साहित्यकार समारोह में पद्मभूषण डॉ. गोपाल दास नीरज द्वारा पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुँवर बेचैन की सादर उपस्थिति में प्रदान किया जाना था। पर अपनी व्यस्तताओं के चलते कार्यक्रम शामिल न हो पाने पर श्री यादव को यह सम्मान गाजियाबाद में उनके प्रवास के दौरान दिया गया। (समा. सौ. : ए. के. मिश्र, प्रधान सम्पादक-गगन स्वर)।

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