अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 08, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2018
।।कविता अनवरत।।
नरेश कुमार उदास
काव्य रचनाएँ
01.
जीवन
महासागर समान है
जिसमें उठता है
दुःखों का ज्वार भाटा
और कभी उमंगों से
भरा दिल
लहरों समान
मचलने लगता है।
02.
मेरे भाग्य में ही
लिखा होगा दर्द
होगी इतनी सारी पीड़ा
तभी मेरे भीतर
दर्द का सागर बहता रहता है
हरदम।
03.
उसने कहा-
मेरी कविताओं में है
जनमानस की पीड़ा
सारे जग के आँसू
लेकिन मैं खुश हूँ
मुझे कोई गम नहीं।
04.
आँगन में
दीवार/खिंच गई है
मानो मन में
कोई लकीर
खिंच गई हो।
05.
जीवन की/आड़ी-तिरछी
पगडण्डी पर
चल रहा हूँ
दौड़ रहा हूँ
हाँफ रहा हूँ
थककर
बैठ जाना चाहता हूँ।
06.
औरत कहीं-कहीं
जूझ रही है
लड़ रही है
फिर भी
पीछे धकेली जा रही है।
रेखाचित्र : नरेश कुमार उदास |
07.
जब भी आइने में
देखता हूँ अपना चेहरा
तो डर जाता हूँ
अपने भीतर
और बाहर के रूप में
अन्तर देखकर!
08.
पहाड़ की धूप
भली लगती है
लेकिन यह
सबको तरसाती है
कभी-कभी आती है
आँख-मिचौली खेलती
चली जाती है।
- अकाश कविता निवास, 54, गली नं. 03, लक्ष्मीपुरम, सैक्टर-बी-1(चनौर), पो. बनतलाब, तह. एवं जिला- जम्मू-181123 (जम्मू-कश्मीर)/09418193842
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