अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 08, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2018
।।कविता अनवरत।।
पं. गिरिमोहन गुरु
ग़ज़ल
प्यार में धुल धवल हो गई
जिन्दगी एक ग़ज़ल हो गई
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
आजकल एक पल हो गई
स्वप्न की कामनाएँ सभी
जागते ही सफल हो गई
पंक का अंक प्यारा हुआ
सूर्य पाया कमल हो गई
धन्य सृष्टा हुआ देखकर
रिक्त गागर सजल हो गई
- श्री सेवाश्रम नर्मदा मन्दिरम, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, होशंगाबाद-461001/मो. 09425189042
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