अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 08, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2018
।।कविता अनवरत।।
मुकुट सक्सेना
अभी तक
जिन पूर्वजों ने
रोपे थे नीम, पीपल,
आम और बरगद के पौधे
अपनी ज़मीन पर
सींचे भी/बड़े मनोयोग से
फिर बढ़े वे,
उनके बच्चों के साथ-साथ
हुए जवान
कि उन्होंने/बड़े होते ही
बाँट लिया बाग
कई-कई हिस्सों में
और फिर बँट गए
दरख़्त भी!
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
किसी के हिस्से में
आया नीम,
किसी के पीपल/आम
तो किसी केे बरगद!
पर/बँट नहीं सकीं
उनकी जड़ें
जो बहुत गहराई में
गुंथी हैं/एक दूसरे में
अभी तक!!
- 5-ग 17, जवाहर नगर, जयपुर-302004 (राज0)/मोबा. 09828089417
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