अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 08, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2018
।।।।हाइकु।।
राजेन्द्र परदेसी
हाइकु
01.
प्रेम की नाव
आस्था डगमगाती
बचाए कौन
02.
मन सवाली
गुमसुम उदास
रहे अकेला
03.
दिल चाहता
लिखना प्रेम पाती
जग रोकता
04.
रही सालती
नीरवता रात की
बिना तुम्हारे
05.
सन्नाटा मिला
अक्सर शहर में
रिश्तों के बीच
06.
शेष निशान
समय की रबड़
मिटाती घाव
07.
स्वार्थ प्रेरित
गढ़ता रहा सदा
बोनसाई ही
08.
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता |
संवेदना में ढली
रास न आती
09.
सपने सभी
खुद देखती आँख
फिर क्यों रोती
10.
बँधी रहती
अतीत की साँकल
अक्सर द्वार
- 44, शिव विहार, फरीदीनगर, लखनऊ-226015/मो. 09415045584
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