अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 09-10, मई-जून 2018
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डॉ. उमेश महादोषी
सकारात्मक चिंतन की रचनात्मक कहानियाँ
प्रतापसिंह सोढ़ी जी को देशभर में मूलतः एक लघुकथाकार के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन वे एक कहानीकार भी हैं और कवि भी। लघुकथाओं की तरह उनकी कहानियाँ भी प्रभावित करती हैं। लघुकथा हो या कहानी, सामाजिक सरोकारों के साथ पारिवारिक-सामाजिक रिश्तों की सोंधी गंध उनकी रचनात्मकता के केन्द्र में प्रायः उपस्थित रहती है। कहानी संग्रह ‘हम सब गुनहगार हैं’ में सोढ़ी जी की बारह मौलिक कहानियों के साथ छः लघुकथाएँ भी
संग्रहीत हैं। इन कहानियों में भाषागत सहजता-सरलता तो है ही, जीवन मूल्यों से जुड़ी भाव-प्रवणता भी पाठक मन को बाँधे रखती है। इनमें से अधिकांश कहानियों का सम्बन्ध आर्थिक रूप से निम्न एवं निम्न-मध्यम वर्ग के परिवेश से है। उस परिवेश की तमाम अच्छाइयों-बुराइयों के सजीव चित्रण के मध्य सकारात्मक भाव-चिंतन का प्रभावी सम्प्रेषण देखने को मिलता है।
संग्रहीत हैं। इन कहानियों में भाषागत सहजता-सरलता तो है ही, जीवन मूल्यों से जुड़ी भाव-प्रवणता भी पाठक मन को बाँधे रखती है। इनमें से अधिकांश कहानियों का सम्बन्ध आर्थिक रूप से निम्न एवं निम्न-मध्यम वर्ग के परिवेश से है। उस परिवेश की तमाम अच्छाइयों-बुराइयों के सजीव चित्रण के मध्य सकारात्मक भाव-चिंतन का प्रभावी सम्प्रेषण देखने को मिलता है।
संग्रह की पहली कहानी ‘उमंग के क्षण’ एक ऐसे ट्रक ड्राइवर गरमीत की कहानी है, जो आम ड्राइवरों के चाल-चलन और व्यवहार से इतर अपनी पूरी कमाई पत्नी के हाथ पर रखता है और परिवार के साथ खुश रहता है। इस बार ट्रक रास्ते में पलट जाने के कारण वह घर पर सही समय पर नहीं पहुँच पाया। तमाम शंका-आशंकाओं के बीच घर में उसकी पत्नी बेहद पेरशान होती है। वह गुरुद्वारे मन्नत माँगने जाती है, लौटने पर उसकी पड़ोसन शुभ समाचार देती है कि उसके ‘वो’ आये थे और ट्रक के पलटने व स्वयं के सकुशल होने की सूचना देकर गये हैं। पति की कुशल जानकर पत्नी खुशी की उमंग से भर जाती है। शराब के नशे में डूबते साथी ड्राइवरों के तंज भरे मजाकों के बीच गरमीत के आत्मनियंत्रण और उसके घर पर सही समय पर न पहुँचने से परेशान पत्नी की बेचैनी के दृश्य कथा को प्रभावशाली बनाते हैं।
‘सिद्धि की गुड़िया’ बाल्यावस्था में पनपे प्रेम के विछोह की भावपूर्ण कथा है। ‘नपे तुले कदम’ एक ऐसे निम्नवर्गीय ब्राह्मण लड़के की कहानी है, जो अपने घर व शहर से भागकर दूसरे शहर में गन्ने के रस की चर्खी पर नौकरी करता है और इस बात से डरता है कि उसके घर वालों को यह पता न चल जाये कि वह किसी की दुकान पर झूठे बर्तन धोता है। लेकिन जब वह नौकरी बदलता है तो घरों में काम करने वाली एक लड़की से प्रेम-विवाह करके अपने जीवन को व्यवस्थित कर लेता है। अब उसके मन से सारा डर निकल चुका है और वह जातिगत भेदभाव की भावना से दूर निडरता के साथ जीना सीख जाता है। प्रेम-डगर पर जीवन की सहजता-सरलता मिल जाये तो उसे निडरता के साथ अपनाने का सन्देश देती एक सकारात्मक कथा है। संग्रह की शीर्षक कथा ‘हम सब गुनहगार हैं’ पति-पत्नी के गहरे प्रेमान्त की कथा होने के साथ हमारे समाज के पिछड़े तबके, विशेषतः मुस्लिम समाज में बीमारियों का विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज कराने की वजाय नीम-हकीमों के साथ मन्नतों और गंडे-तावीजों के लिए बाबाओं-पीरों-फकीरों के पीछे दौड़ने के दुष्प्रभावों को रेखांकित करती है।
जीवन का कुछ अर्थ अपने लिए भी होता है, लेकिन उस अर्थ वाला अध्याय समाप्त हो जाये तो भी जीवन पलायन के लिए नहीं होता। जीवन का दूसरा अर्थ अपनी जिम्मेवारियों एवं स्वयं से जुड़े निकट संबन्धियों की खुशियों के लिए भी होता है। एक ट्रक दुर्घटना के कारण अपनी टाँगे गंवाने पर डॉक्टर से मौत माँगते ‘एहसास’ के जयदयाल को जब इस बात का एहसास होता है तो उसकी जीने की मर चुकी इच्छा पुनः जाग उठती है। ‘बीस साल बाद’ की अनु, ‘सांवली’ की सांवली, ‘मर्द’ की मंगली भी जीवन के दूसरे अर्थ का अध्याय खोलकर ही जीवन-संघर्ष को अपनाती हैं। ‘नई कमीज’ व ‘अपना खून’ कहानियों में ‘पारिवारिक रिश्तों’ की सोंधी गंध पाठक मन को अच्छी लगती है। ‘मायूस आँख बन्द होंठ’ अधूरे प्रेम की प्रभावशाली कहानी है। कई निम्न आयवर्ग के शोरशराबे का कारण बनते परिवारों के मध्य एक शालीन परिवार रहने आ जाता है, जिससे सभी प्रसन्न हैं। उस परिवार की लड़की घर की खिड़की से रोजाना झाँकती है, जिसे देखकर कथानायक सत्यजीत आकर्षित हो जाता है। वह उसका परिचय जानना और घनिष्ठता बढ़ाना चाहता है। लेकिन यह काम कैसे करे, इसी कशमकश में काफी समय निकल जाता है। एक दिन वह उसे पत्र लिखने का निर्णय करता है, लेकिन उसी दिन वह परिवार उस घर को छोड़कर जाने लगता है साथ ही सत्यजीत को पता चलता है कि उस लड़की को थ्रॉट कैंसर है। सत्यजीत का सपना टूट जाता है। ‘एक कप चाय में शायरी’ एक बुजुर्ग शायर की व्यथा-कथा है, जिसे एक कप चाय पिलाकर होटल में एक होटलवाला उसका कलाम इसलिए पढ़वाना चाहता है कि इससे उसके होटल में ग्राहकों की संख्या बढ़ जायेगी। संग्रह में गुरुबख्श सिंह की पंजाबी कहानी का सोढ़ी जी द्वारा अनुवाद (स्त्री मोहरा है पुरुष की शतरंज का) भी शामिल किया गया है, जो पुरुषों द्वारा स्त्री को उपयोग करने के प्रसंग की एक प्रभावशाली कथा है। संग्रह में शामिल सोढ़ी जी की छः लघुकथाएँ बहुचर्चित और पठनीय हैं।
कुल मिलाकर संग्रह की कहानियाँ सकारात्मक चिंतन की पठनीय दस्तावेज हैं।
हम सब गुनहगार हैं : कहानी संग्रह : प्रतापसिंह सोढ़ी। प्रका.: रिसर्च लिंक प्रकाशन, 81, सर्वसुविधा नगर एक्यटेंशन, कनाड़िया रोड, इन्दौर-452016, म.प्र.। मूल्य: रु. 120/- मात्र। सं.: 2017।
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