अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 07-08, मार्च-अप्रैल 2018
।।हाइकु।।
उमेश महादोषी
हाइकु
01.
कुछ हो न हो
श्वांस में सुगन्ध हो
ये उमंग हो!
02.
कुआँ ही कुआँ
ज़हर का उफान
और ये धुआँ
03.
खनक सुनी
और सुनता रहा
भागता कहाँ।
04.
किन्तु अकेला
मैं भीड़ की देह में
काल चक्र-सा!
05.
भुलाऊँ तुम्हें
और भूलता हुआ
रेखाचित्र : (स्व.) बी. मोहन नेगी |
कहाँ जाऊँ मैं!
06.
घड़ा था भरा
छलका तो ऐसा कि
बूँद न बची!
07.
आहट तेरी
सुनूँ बेखबर-सा
और मैं हसूँ!
- 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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