अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०४, दिसंबर २०११
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : रतन चन्द्र रत्नेश, महावीर रवांल्टा एवं सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’ की क्षणिकाएं।
रतन चन्द्र रत्नेश
दो क्षणिकाएं
1. उदासी
एक उदासी जकड़ लेती है
यक-ब-यक
बिना किसी कारण
शायद देह में पैदा हो रहा है
कोई रसायन
रेखांकन : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा |
2. संतोष
मेरे लिए
बस इतना ही
तन्हाई, संगीत
और थोड़ी-सी नींद।
- 1859, सैक्टर 7-सी, चण्डीगढ़-160019
महावीर रवांल्टा
तीन क्षणिकाएं
1.
मैं उसके चेहरे को
अपने से मिलाने लगा
पर वहाँ तो
आँसू ही आँसू थे।
रेखांकन : सिद्धेश्वर |
2.
गुमनाम है जिन्दगी
उसी को
अंधेरा कहूँगा
सरकती आत्मा को खोजूँ
उसी को
सवेरा कहूँगा।
3.
जिन्दगी में
ख्वाब देखकर मैंने
विष घोला
जिसे
मुझे ही पीना था।
- ‘संभावना', महरगाँव, पत्रालय: मोल्टाड़ी, पुरोला, उत्तरकाशी-249185 (उत्तराखण्ड)
सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’
दो क्षणिकाएं
1. आत्मकथा
लिख गया
हवा का झोंका
तपा मरुथल में रेत कणों से
एक लहरदार लेख
ढलते सूरज की ओट में
पढ़ने का प्रयास करता हूँ
आत्मकथा की तरह।
2. विज्ञापन
संगमरमरी संसदों से
खुशहाली का वक्तव्य है
अभाव, तनाव, दहशत
देश का द्रष्टव्य है।
- ग्राम व पोस्ट- पथरहट (गौरीबाजार), जिला- देवरिया (उ.प्र.)
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