अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०४, दिसंबर २०११
आगरा में 19 वाँ अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्पन्न
‘राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास (भारत) एवं गाजियाबाद से प्रकाशित ‘यू.एस.एम. पत्रिका’ द्वारा भारतीय सांस्कृतिक संबन्ध परिषद, सुलभ इन्टरनेशनल, नेशनल बुक ट्रस्ट, डॉ. रामनर्मदा परशुराम धर्मार्थ सेवा सदन तथा श्री हरप्रसाद भार्गव व्यवहार संस्थान के सहयोग से आगरा में 8-9 अक्टूबर 2011 को ‘19वाँ अ.भा. हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ एवं ‘13वाँ अ.भा. राजभाषा सम्मान समारोह’ आयोजित किया गया। ‘हिन्दी साहित्य और आज का समाज’ विषय पर तीन सत्रों में विद्वानों ने अपने विचार/आलेख प्रस्तुत किए। प्रतिवर्ष की भांति सम्मेलन में पत्रिका व पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन के आयोजन के साथ तथा नामित सम्मान प्रदान किये गयै। इस वर्ष देश भर से चयनित 80 विद्वानों को विभिन्न सम्मानों से अलंकृत किया गया। सम्मेलन के मुख्य संयोजक व सम्पादक उमाशंकर मिश्र ने दो दिवसीय आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए देशभर से आये हुए विद्वानों का अभिनन्दन किया।
सम्मेलन के प्रथम दिन ‘यूथ हास्टल’ के खचाखच भरे सभागार में नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया द्वारा ‘हिन्दी साहित्य और आज का समाज’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि, अध्यक्ष डॉ. चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि डॉ. लाल बहादुर सिंह चौहान व डॉ. महेश भार्गव और स्वागताध्यक्ष डॉ. राम अवतार शर्मा मंचासीन रहे। इस सत्र के प्रमुख वक्ताओं में डॉ. मुरलीधर पांडेय (मुम्बई), डॉ. एस.टी. मेरवाड़े (वीजापुर), श्री नेहपाल सिंह वर्मा (हैदराबाद), श्री शिव प्रसाद भारती (मिर्जापुर), डॉ. राजेन्द्र मिलन (आगरा) तथा श्रीमती कुसुमलता सिंह (नई दिल्ली) के नाम उल्लेखनीय हैं। इस अवसर पर नेशनल बुक ट्रस्ट की दो पुस्तकों- ‘औषधीय पौधे (डॉ. सुधांशु कुमार जैन) तथा ‘भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों का योगदान’ (हीरेन गोहाई/अनुवाद: प्रवीण शर्मा) का लोकार्पण मंच से हुआ।
13वें अ.भा. राजभाषा सम्मान समारोह में आये हुए विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों के पदाधिकारियों ने अपने संस्थानों में हिन्दी में कामकाज की वस्तुस्थिति पर प्रकाश डाला। इनमें सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (धनवाद) के श्री मथुरा प्रसाद पाण्डेय, भारत कोकिंग कोल के श्री श्याम नारायण सिंह, नराकास, नागपुर के सचिव श्री संजीव कुमार गोयल के नाम प्रमुख हैं। वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुलभ अकादमी के सचिव श्री गंगेश गुंजन ने भी विषय पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये। संचालन पंकज चतुर्वेदी ने किया। चयनित लागों को राजभाषा सम्मानों से विभूषित किया गया। विभिन्न अतिथियों ने सम्मेलन को सम्बोधित किया।
सम्मेलन के दूसरे दिन के प्रारम्भिक सत्र में ‘सांस्कृतिक कार्यक्रम’ प्रस्तुत किए गये। इसके उपरान्त ‘हिन्दी साहित्य और आज का समाज’ विषय पर विचार गोष्ठी के दूसरे सत्र में विद्वानों एवं शोधार्थियों ने अपने आलेख व विचार प्रस्तुत किए। इसकी अध्यक्षता डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख ने तथा संचालन डॉ. हरिसिंह पाल ने किया। सम्मेलन के अन्तिम सत्र में श्रीमती निशिगंधा के कहानी संग्रह ‘सोंधी मिट्टी’, प्रकाश लखानी के निबन्ध संग्रह ‘ओम दर्शन’ तथा श्याम सुन्दर शर्मा के कविता संग्रह ‘बीच बाजार में आत्मबोध’ तथा डॉ. राजेन्द्र मिलन के अतिथि सम्पादन में प्रकाशित ‘यू.एस.एम. पत्रिका’ के ‘आगरा महानगर विशेषांक’ का लोकार्पण किया गया। इसके वाद वर्ष 2011 के नामित सम्मानों से अनेक चयनित साहित्यकारों व पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ. रत्नाकर पाण्डेय ने हिन्दी साहित्य के व्यापक उत्थान में शासन की उदासीनता व उपेक्षा को बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि ‘राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास’ हिन्दी भाषा सहित समस्त भारतीय भाषाओं के विकास को कृत संकल्प है। ‘यू.एस.एम. पत्रिका’ के ‘आगरा महानगर विशेषांक’ का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि मिश्रजी ने इस पत्रिका के विशेषांकों का ऐसा कीर्तिमान बनाया है जो अपने आप में अद्वितीय है। इस अवसर पर विशेषांक के अतिथि सम्पादक डॉ. राजेन्द्र मिलन व उनके सहयोगी अशोक बंसल ‘अश्रु’ को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। दो दिवसीय आयोजन में सहयोग के लिए डॉ. रामअवतार शर्मा तथा डॉ. महेश भार्गव को भी सम्मानित किया गया। स्वागताध्यक्ष डॉ. रामअवतार शर्मा ने देश भर से आये विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका प्रतिष्ठान आप सभी के आगमन से पवित्र हो गया। (समाचार सौजन्य: विकास मिश्र)
जनसंदेश टाइम्स के लखनऊ कार्यालय में उद्भ्रांत का एकल काव्य पाठ
‘रवांल्टी’ बोली को पहचान दिलवाने में जुटे महावीर रवांल्टा
विगत दिनों उत्तराखंड के चर्चित साहित्यकार व रंगकर्मी महावीर रवांल्टा स्थानीय बोली ‘रवांल्टी’ को सम्मान एवं पहचान दिलवाने के प्रयासों के लिए मीडिया में काफी चर्चित रहे। उन्होंने रवांल्टी में काफी कविताएँ लिखी हैं। अपनी रवांल्टी कविताओं की उपस्थिति उन्होंने उत्तराखण्डी कविता संग्रह ‘डांडा कांडा स्वर, उड़ घुघुती उड़’, प्रमुख कवि सम्मेलनों एवं आकाशवाणी से प्रसारण में भी दर्ज कराई है। सुप्रसिद्ध चित्रकार बी.मोहन नेगी उनकी रवांल्टी कविताओं को अपने चित्रों में उतारकर प्रदर्शनियों में ले जा रहे हैं। महावीर जी साहित्यिक-सांस्कृतिक व सामाजिक परिदृश्य पर इस क्षेत्र को उभारने के लिए अपने रंवाई क्षेत्र की संस्कृति, लोक जीवन एवं वहां के लोगों की पीढ़ा को अपनी रचनाओं में प्रमुखता दे रहे हैं। कई प्रमुख अखबारों ने उनके कार्य को रेखांकित किया है। (समाचार सौजन्य: महावीर रवांल्टा)
डॉ. ब्रह्मजीत गौतम को 'डॉ. रमेश चन्द्र चौबे सम्मान'
सन्तोष सुपेकर को मिला रेलवे का ‘प्रेमचंद कथा सम्मान’
लघुकथाकार सन्तोष सुपेकर को उनके लघुकथा संग्रह ‘बन्द आँखों का समाज’ के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा ‘प्रेमचंद कथा सम्मान’ से विभूषित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें विगत दिनों नई दिल्ली के रेल भवन में आयोजित समारोह में सदस्य (कार्मिक) रेलवे बोर्ड एवं रेल राजभाषा त्रैमासिकी के संरक्षक श्री अरविन्द कुमार वोहरा द्वारा प्रदान किया गया। सम्मानस्वरूप सुपेकर जी को प्रमाण पत्र एवं नगद राशि प्रदान की गई। सन्तोष सुपेकर लघुकथा के चर्चित एवं वरिष्ठ लघुकथाकार हैं। उनके लघुकथा संग्रह ‘हाशिये का आदमी’ एवं ‘बन्द आँखों का समाज’ काफी चर्चित रहे हैं। (समाचार सौजन्य: संतोष सुपेकर)
कवि त्रिलोक सिंह ठकुरेला को ‘बाल साहित्य भूषण’ सम्मान
कवि त्रिलोक सिंह ठकुरेला को राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास (भारत) द्वारा आगरा में आयोजित ‘19वें अ.भा. हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ में ‘बाल साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। आगरा के राम नर्मदा धर्मार्थ सेवा सदन में आयोजित सम्मेलन में श्री ठकुरेला जी को यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रत्नाकर पाण्डेय एवं राजकुमार सचान ‘होरी’ द्वारा अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति देकर प्रदान किया गया। श्री ठकुरेला जी के बाल गीत संग्रह ‘नया सवेरा’ क प्रकाशन में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा चुकी है। (समाचार सौजन्य: श्रीमती साधना ठकुरेला, आबू रोड, राजस्थान)
नोएडा में सबरस काव्य-संध्या एवं सम्मान समारोह
‘कायाकल्प साहित्य-कला फाउण्डेशन, नोएडा’ के तत्वावधान में कार्ल हूबर स्कूल, सेक्टर -62, नोएडा में ‘सबरस काव्य-संध्या एवं सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। कार्यक्र्रम के मुख्य-अतिथि श्री सुरेश कुमार, क्षेत्रीय प्रबन्धक, यूपीएसआईडीसी, ग्रेटर नोएडा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्र्रम का षुभारम्भ किया। देश के वरिष्ठ गीतकार श्री ओमप्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’ ने क्रार्यक्र्रम की अध्यक्षता की तथा संचालन लब्ध-प्रतिश्ठि गीतकार डा0 अशोक मधुप ने किया। इस अवसर पर वरिश्ठ शायर श्री ज़मील हापुड़ी एवं डॉ0 मधु भारतीय को ‘साहित्य शिरोमणि सम्मान’, श्री पारसनाथ बुलचंदानी, श्री आसिफ कमाल एवं श्री बाबा कानपुरी को ‘साहित्य-भूषण सम्मान’ तथा श्री मोहन द्विवेदी को ‘साहित्यश्री सम्मान’ से नवाजा गया। मुख्य-अतिथि श्री सुरेश कुमार ने अपने उद्बोधन में संस्था की ओर से प्रतिमाह शायरों, कवियों, साहित्यकारों एवं समाज-सेवियों का सम्मान करने की परम्परा की भूरि-भूरि सराहना की। कायाकल्प के मुख्य संरक्षक श्री एस0 पी0 गौड़ ने अपने उद्बोधन में संस्था द्वारा स्थापित इस सम्मान की परम्परा को और आगे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की।
काव्य-संध्या का शुभारम्भ अर्चना द्विवेदी ने माँ-वाणी की स्तुति से किया। प्रतिष्ठित शायर श्री ज़मील हापुड़ी के क़त्अे और ग़ज़लें -‘कैसी-2 निकाले है तान बॉसुरी, कहीं लेले न राधा की जान बॉसुरी’ सुनाकर पूरा वातावरण भाव-विभोर कर दिया। गीतकार डा0 अशोक मधुप ने अपने गीत - ‘बनजारन हो गयी ज़िन्दगी, ये है अपनी राम कहानी, ना है कोई ठौर ठिकाना, रमता जोगी, बहता पानी’ सुनाकर श्रोताओं की ख़ूब वाहवाही लूटी।
हास्य कवि बाबा कानपुरी ने अपनी ग़ज़ल - ‘सरहदें क्यों ग़ज़ल में बनायी गयीं, क्यों तदीफें़ बटीं, क्यों बंटे का़फ़िये’ सुनाकर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया। मोहन द्विवेदी ने भ्रश्टाचार पर प्रहार करते हुए व्यंग्य-गीत सुनाया - ‘चोर, उचक्के, डाकू को तुम कहते हो सरकार लिखूँ। अरुण सागर की ग़ज़ल-‘कोई अपना ही जब इज़्ज़त सरे-महफ़िल उछालेगा, तो इन आँखों के आँसू कौन आकर के संभालेगां’ का भी श्रोताओं ने ख़ूब लुत्फ़ उठाया। रोहित चौधरी ने राश्ट्रीय चेतना की कविता -‘बन्दे मातरम होठों पर और दिल में भारत रखता हूँ’ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। ।
इसके अतिरिक्त गीतकार आर0 एस0 रमन, राजेन्द्र निगम ‘राज’, डॉ0 वीना मित्तल, तूलिका सेठ, गौरव गोयल, देवेन्द्र नागर, पी0 के0 सिंह ‘पथिक’, उदितेन्दु निश्चल प्रदीप पहाड़ी, सुरेन्द्र साधक, सुध्ीर वत्स आदि ने भी अपनी कविताओं से काव्य-संध्या में चार चाँद लगाये।
इस अवसर पर कायाकल्प संस्था की ओर से ग़ज़ल-सम्राट जगजीत सिंह एवं वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर दत्त के आकस्मिक निधन पर शोक-सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित गणमान्य साहित्यकारों, कवियों, अतिथियों एवं श्रोताओं ने बैकुंठवासी जगजीत सिंह की पुण्यात्मा की शान्ति एवं शोकाकुल परिवार को इन कठिन क्षणों में धैर्य, साहस तथा इस असामयिक व अपूर्णनीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना की। (समाचार सौजन्य: रोहित चौधरी)
अमित कुमार लाडी 'सरस्वती रत्न सम्मान'
हिन्दी भवन में सम्मान-संध्या एवं पुस्तक लोकार्पण
नई दिल्ली, 25.11.11: दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास, भारत द्वारा प्रायोजित अमृत-जयंती सम्मान संध्या एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन 25 नवम्बर, 2011 को हिन्दी भवन के सभागार में सुरुचिपूर्ण ढंग से किया गया। अध्यक्ष थे पूर्व महापौर एवं दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष साहित्यवारिधी श्री महेश चन्द्र शर्मा जी तथा मुख्य अतिथि थे स्वनामधन्य पद्मश्री डाॅ. श्याम सिंह ‘शशि’। विशिष्ट अतिथियों में लखनऊ से पधारे डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय, आकाशवाणी दिल्ली के डाॅ. हरि सिंह पाल, राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास, भारत के राष्ट्रीय संयोजक गाजियाबाद के श्री उमाशंकर मिश्र, गाजियाबाद के ही प्रसिद्ध गीतकार डाॅ. धनंजय सिंह तथा कवि-लेखक-फिल्मकार डाॅ. कृष्ण कल्कि जी जिन्होंने लोकार्पित गं्रथ का संपादन किया है।
प्रारंभ में डाॅ. रमेश नीलकमल (जमालपुर-बिहार) के पचहत्तरवें वर्ष में प्रवेश करने पर अंगवस्त्राम् तथा पुष्पम् से उनका भव्य सम्मान किया गया। तत्पश्चात् मुख्य अतिथि डाॅ. ‘शशि’ ने बताया कि रमेश नीलकमल ने साहित्य को संघर्ष के माध्यम से जिया है। एक छोटे से कस्बे से संघर्षरत नीलकमल ने दिल्ली तक की अपनी दौड़ में कई आयाम जोड़े हैं। विशिष्ट अतिथियों में डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय ने रमेश नीलकमल की संपादन-कला की सराहना करते हुए उन्हें यशस्वी बताया तथा आकाशवाणी के अधिशासी डाॅ. हरि सिंह पाल ने नीलकमल जी की रचना-प्रक्रिया को विस्तार देते हुए इन्हें दर्जनाधिक पुस्तकों का लेखक-कवि बताया। राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक श्री उमाशंकर मिश्र ने नीलकमल जी के साहित्यिक अवदान की सराहना की तथा डाॅ. कृष्ण कल्कि ने ‘अदब के दौर में हारा नहीं है नीलकमल’ कहकर ‘रमेश नीलकमल बनने का अर्थ’ ग्रंथ में शामिल अपने मूल्यांकन आलेख की सम्पुष्टि की। डाॅ. धनंजय सिंह ने भी रमेश नीलकमल की गीत-लेखन-क्षमता की सराहना की। प्रत्युत्तर में डाॅ. रमेश नीलकमल ने अपने अभिभाषण में सबों का आभार मानते हुए अपने जीवन की कतिपय सच्चाइयों से परिचित कराया। इसके पूर्व ही डाॅ. कृष्ण कल्कि द्वारा संपादित ग्रंथ ‘रमेश नीलकमल बनने का अर्थ’ तथा डाॅ. रमेश नीलकमल द्वारा विरचित उपन्यास ‘न सूत न कपास’ का लोकार्पण सम्मिलित रूप से डाॅ. श्याम सिंह ‘शशि’, श्री महेश चन्द्र शर्मा, डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय, डाॅ. हरि सिंह पाल, श्री उमाशंकर मिश्र, डाॅ. धनंजय सिंह एवं डाॅ. कृष्ण कल्कि ने किया। मंच संचालन डाॅ. ए. कीर्तिवर्द्धन तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री समरेन्द्र कुमार दास ने किया। सभागार में श्री लाल बिहार लाल (दिल्ली), श्री कौशिक जी (मेरठ), डाॅ. चित्रा सिंह (दिल्ली विश्वविद्यालय), श्री सत्यप्रकाश गुप्ता (सी.ए., दिल्ली), श्री वीरेन्द्र शर्मा (एडवोकेट, दिल्ली) आदि ने भी पुष्प-गुच्छ तथा शुभकामना के संदेश देकर डाॅ. नीलकमल को सम्मानित किया। {विकास चन्द्र मै. मीनाक्षी प्रकाशन}
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