अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०४, दिसंबर २०११
।।हाइकु।।
सामग्री : देवेन्द्र नारायणदास एवं डॉ. गौरीशंकर श्रीवास्तव ‘पथिक’ के पाँच-पाँच हाइकु तथा दिलबाग विर्क के चार तांका।
देवेन्द्र नारायणदास
पाँच हाइकु
1.
तेरी यादें, तो
रेखांकन : नरेश उदास |
लेकर आता
2.
मृगनयनी
फुहार सावन की
हंसी तुम्हारी
3.
मंहगाई में
आंसू से लेख लिखे
जीवन भर
4.
दुःख के आंसू
आज मुझे पीने दो
बह जाने दो
5.
प्रेम परिधि
असीमित-विस्तृत
बैरी न कोई
- साधना कुटीर, मु.पो.- बसना, जिला: महासमुंद-493554 (छत्तीसगढ़)
डॉ. गौरीशंकर श्रीवास्तव ‘पथिक’
पाँच हाइकु
1.
सूखे पोखर
नदी गई सिमट
रोया केवट
2.
जल का स्तर
चला गया जो नीचे
आए न खीचे
3.
आ गई होली
मिलेंगे हमजोली
तिलक रोली
द्रश्य छाया चित्र : रोहित कम्बोज |
दोगली हवा
रौदती चल रही
ठंडे संस्कार
5.
चम्पई धरा
इन्द्र धनुष ओढे़
वर्षा की शाम
- पथिक कुटीर, जवाहर नगर, सतना (म.प्र.)
दिलबाग विर्क
चार तांका
०१.
कितना सच्चा
कितना झूठा है तू
न सोचा कभी
जब प्यार किया तो
सब मंजूर किया ।
०२.
तू चला गया
बहार चली गई
मुरझा गए
ख्वाबों के सब फूल
बेजान हुआ दिल ।
०३.
जोगिन हुई रूह
कैसा ये प्यार
भुलाया सब कुछ
बस याद है तू ही ।
०४.
मेरे ये नैन
छमाछम बरसे
बादल जैसे
आया था याद प्रिय
संभलता मैं कैसे ।
- संपर्क :
dilbagvirk23@gmail.com
अविराम का अंक देखा। बहुत अच्छा लगा। भाई रामेश्वर काम्बोज हिमांशु जी के दोहे वर्तमान समय की सच्चाई को बड़ी बेबाकी से व्यक्त कर रहे हैं…
जवाब देंहटाएंसभी हाईकू और तांका अपने आप में गहन अभिव्यक्ति लिए हुए
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-749:चर्चाकार-दिलबाग विर्क