अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 11, जुलाई 2012
सामग्री : इस अंक में डॉ. अनीता कपूर की क्षणिकाएं।
डॉ. अनीता कपूर
{प्रवासी कवयित्री डॉ. अनीता कपूर जी का काव्य संग्रह ‘साँसों के हस्ताक्षर’ भारत में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। उनके इस संग्रह में छन्दमुक्त कविताओं के मध्य कई लघुकाय कविताएँ ऐसी हैं, जिन्हें क्षणिका की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। इन्हीं क्षणिकाओं में से कुछ रचनाएँ हम इस बार प्रस्तुत कर रहे हैं।}
अलाव
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
तुमसे तुम्हारे लिए मिलूँ
या एक और
नयी कविता के लिए?
अलसायी सुबह
खुद सुबह सर्दी से ठिठुरती
अलसायी-अलसायी
पिछवाड़े की झाड़ियों में अटकी हुई
कोहरे की चादर में मुँह छिपा
इतनी सिकुड़ गयी है
घबराकर, बाहर आकर
चाय की चुस्की लेने से भी
डर गयी है।
बोंज़ाई
रोज़ चाँद
रात की चौकीदारी में
सितारों की फसल बोता है
पर चाँद को सिर्फ बोंज़ाई पसंद है
तभी तो वो सितारों को
बड़ा ही नहीं होने देता है।
रिश्ता
तुम्हारे साथ
मुझे
एक महज रिश्ता
एक सहज सम्बन्ध
और अपेक्षा भी थी
पर,
एक उफनते पुरुष की नहीं
एक सही साथी की
जो मेरे साथ सुस्ता सके
और सहला सके
मेरे कमजोर
क्षण।
पिघला चाँद
चाँद रात भर पिघलता रहा
पिघला चाँद टपकता रहा
मैं हथेलियाँ फैलाये बैठी रही
कोई बूँद बन तुम शायद गिरो।
गिलौरी
रात के मखमली गद्दों पर
चाँदनी के घुँघुँरू बाँधे
इठलाती रक्कासा सी हवाएँ
बनाकर चाँद को तश्तरी
सजाये
आसमानी वर्क लिपटी गिलौरी।
दरवाजा
चाँद का गोटा लगा
किरणों वाली साड़ी पहने
सजी सँवरी रात ने
बंद कर दिया
दरवाज़ा आसमान का।
ताजमहल
ताजमहल
है,
रिश्ता यूँ जोड़ता
चूमता माथा
भटकती कहानी का
इश्क भरे होठों से।
टँगी आँखें
मैं, तू
वीरान खामोशी
सूखे पत्ते
फिर एक
इतिहास
लेकिन
मेरी आँखें
ईसा सी रक्त-रंजित
तुम्हारे लिए
टँगी हैं आज भी
आसमान की सलीब पर।
वक्त का अकबर
नहीं सुन पाती अब
तेरी खामोशियों की दीवारों पर
लिखे शब्द
चुनवा दिया है
मेरे अहसासों को
वक्त के अकबर ने
नज़रों की ईंटों से
और मैं
एक और अनारकली
बन गयी हूँ।
kapooranita13@hotmail.com
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : इस अंक में डॉ. अनीता कपूर की क्षणिकाएं।
डॉ. अनीता कपूर
{प्रवासी कवयित्री डॉ. अनीता कपूर जी का काव्य संग्रह ‘साँसों के हस्ताक्षर’ भारत में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। उनके इस संग्रह में छन्दमुक्त कविताओं के मध्य कई लघुकाय कविताएँ ऐसी हैं, जिन्हें क्षणिका की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। इन्हीं क्षणिकाओं में से कुछ रचनाएँ हम इस बार प्रस्तुत कर रहे हैं।}
अलाव
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
रेखांकन : डॉ सुरेन्द्र वर्मा |
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
तुमसे तुम्हारे लिए मिलूँ
या एक और
नयी कविता के लिए?
अलसायी सुबह
खुद सुबह सर्दी से ठिठुरती
अलसायी-अलसायी
पिछवाड़े की झाड़ियों में अटकी हुई
कोहरे की चादर में मुँह छिपा
इतनी सिकुड़ गयी है
घबराकर, बाहर आकर
चाय की चुस्की लेने से भी
डर गयी है।
बोंज़ाई
रोज़ चाँद
रात की चौकीदारी में
सितारों की फसल बोता है
पर चाँद को सिर्फ बोंज़ाई पसंद है
तभी तो वो सितारों को
बड़ा ही नहीं होने देता है।
रिश्ता
तुम्हारे साथ
मुझे
एक महज रिश्ता
एक सहज सम्बन्ध
और अपेक्षा भी थी
पर,
एक उफनते पुरुष की नहीं
एक सही साथी की
जो मेरे साथ सुस्ता सके
और सहला सके
मेरे कमजोर
क्षण।
पिघला चाँद
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
पिघला चाँद टपकता रहा
मैं हथेलियाँ फैलाये बैठी रही
कोई बूँद बन तुम शायद गिरो।
गिलौरी
रात के मखमली गद्दों पर
चाँदनी के घुँघुँरू बाँधे
इठलाती रक्कासा सी हवाएँ
बनाकर चाँद को तश्तरी
सजाये
आसमानी वर्क लिपटी गिलौरी।
दरवाजा
चाँद का गोटा लगा
किरणों वाली साड़ी पहने
सजी सँवरी रात ने
बंद कर दिया
दरवाज़ा आसमान का।
ताजमहल
ताजमहल
है,
रिश्ता यूँ जोड़ता
चूमता माथा
भटकती कहानी का
इश्क भरे होठों से।
टँगी आँखें
मैं, तू
वीरान खामोशी
सूखे पत्ते
फिर एक
इतिहास
लेकिन
मेरी आँखें
ईसा सी रक्त-रंजित
तुम्हारे लिए
टँगी हैं आज भी
आसमान की सलीब पर।
वक्त का अकबर
नहीं सुन पाती अब
तेरी खामोशियों की दीवारों पर
लिखे शब्द
चुनवा दिया है
मेरे अहसासों को
वक्त के अकबर ने
नज़रों की ईंटों से
और मैं
एक और अनारकली
बन गयी हूँ।
- फ्रीमोन्ट, सी ए 94539, यू एस ए (Fremont, CA 94539 USA)
kapooranita13@hotmail.com
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