अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 6, अंक : 05-06, जनवरी-फ़रवरी 2017
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बरेली में डॉ. नरेन्द्र मोहन का काव्य पाठ
विगत 28-29 सितम्बर को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र मोहन बरेली नगर में थे। इस अवसर पर नगर के कई साहित्यकारों ने उनसे मुलाकात की। 29 सितम्बर की शाम डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी, डॉ. यू. सी. चतुर्वेदी, रमेश गौतम, डॉ. सविता मिश्रा, डॉ नितिन सेठी, डॉ. उमेश महादोषी आदि ने डॉ. नरेन्द्र मोहन जी के काव्य-श्रवण का कार्यक्रम बनाया और मोहन साहब जिस होटल में ठहरे हुए थे, वहीं सब एकत्र हुए। सबने डॉ. नरेन्द्र मोहन जी की कई कवताएँ सुनीं।
डॉ. नरेन्द्र मोहन ने अपनी आत्मकथा के सन्दर्भ में कई प्रसंग भी सबके साथ साझा किये, जो सृजन की दृष्टि से बेहद प्रेरणादायी थे। डॉक्टर साहब की इच्छानुरूप सभी उपस्थित स्थानीय कवियों ने भी अपनी रचनाएँ सुनाई।
निसन्देह उस खूबसूरत शाम में मोहन साहब जैसे मृदुल एवं प्रेरक व्यक्तित्व के स्नेहिल सानिध्य के साथ एक अनौपचारिक मिलन संगोष्ठी का संश्ल्ष्टि भाव-सम्प्रेषण भी समाहित था, जो औपचारिक कार्यक्रमों में प्रायः नहीं दिखता। (समाचार प्रस्तुति : अविराम समाचार डेस्क)
महाश्वेता चतुर्वेदी को साहित्य भूषण एवं अन्य सम्मान
बरेली की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा दो लाख रुपये का ‘साहित्य भूषण सम्मान-2015’ प्रदान किया गया। डॉ. महाश्वेता जी को इस सम्मान की प्राप्ति के अवसर पर नगर की कई संस्थाओं की ओर से उनका अभिनन्दन किये जाने की जानकारियाँ भी प्राप्त हुई हैं।
प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण ने भी अपने स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ. महाश्वेता जी को ‘रुहेलखण्ड गौरव’ सम्मान से विभूषित किया है। डॉ. महाश्वेता जी ने अनेक पुस्तकों की रचना के साथ द्विभाषी पत्रिका ‘मंदाकिनी’ के माध्यम से भी हिन्दी साहित्य की महती सेवा की है। (समाचार प्रस्तुति: अविराम समाचार डेस्क)
प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण ने भी अपने स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ. महाश्वेता जी को ‘रुहेलखण्ड गौरव’ सम्मान से विभूषित किया है। डॉ. महाश्वेता जी ने अनेक पुस्तकों की रचना के साथ द्विभाषी पत्रिका ‘मंदाकिनी’ के माध्यम से भी हिन्दी साहित्य की महती सेवा की है। (समाचार प्रस्तुति: अविराम समाचार डेस्क)
डी.एम. मिश्र के गजल संग्रह का विमोचन
जन संस्कृति मंच की ओर से हिन्दी के चर्चित कवि डी.एम. मिश्र के नये गजल संग्रह ‘आईना-दर-आईना’ का विमोचन 15 सितम्बर 2016 को लखनऊ के जयशंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग में किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ लोक गायिका व गजलकार डा. मालविका हरिओम के डी.एम. मिश्र की गजलों के सस्वर पाठ से हुआ। उन्होंने श्री मिश्र की गजलों को प्रगतिशीलता का परिचायक बताया। इस अवसर पर डी.एम. मिश्र ने भी अपनी गजलों का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कथाकार संजीव ने की। संजीव ने डा. मिश्र में वह चिनगारी देखी, वह ताप देखा,
जो किसी भी कवि को उसकी परंपरा से अलग चमक देकर महत्वपूर्ण बना देता है। उन्होंने कई उदाहरणों के साथ डा. मिश्र को जनता का कवि बताया। विशिष्ट अतिथि कमल नयन पांडेय ने डा. मिश्र को एक साधक कवि बताया। वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति, डा. हरिओम, सुभाष राय, ओमप्रकाश नदीम के साथ संचालन कर रहे कौशल किशोर ने भी अपने वक्तव्यों में डॉ. मिश्र की ग़ज़लों की प्रशंसा की। इस अवसर पर गिरीशचंद्र श्रीवास्तव, दयाशंकर पांडेय, नसीम साकेती, सुधाकर अदीब, ज्ञानप्रकाश चौबे, राकेश, विजय राय, राम किशोर, नाइश हसन, संध्या सिंह, श्याम अंकुरम, क.ेके. वत्स, तरुण निशांत, कल्पना, आदियोग, लालजीत अहीर, एस.के. पंजम, प्रज्ञा पांडेय, अजीत प्रियदर्शी, महेश चंद्र देवा, सुशील सीतापुरी आदि उपस्थित रहे। (समाचार सौजन्य : विमल किशोर)
डॉ. शिवशंकर यजुर्वेदी अभिनन्दन ग्रन्थ लोकार्पित
विगत 31 जुलाई को सुप्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचन्द जयन्ती एवं ‘गीतप्रिया’ पत्रिका के संपादक डॉ. शिवशंकर यजुर्वेदी के षष्ठिपूर्ति के अवसर पर सम्पन्न वृहद आयोजन में डॉ. शिवशंकर यजुर्वेदी अभिनन्दन ग्रन्थ का लोकार्पण मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्यमंत्री व स्थानीय सांसद श्री संतोष गंगवार तथा मंचासीन वरिष्ठ साहित्यकारगण सर्वश्री रमेश चन्द्र शर्मा ‘विकट’ (कार्यक्रम अध्यक्ष), वीरेन्द्र अटल (विशिष्ट अतिथि), डॉ. मुरारीलाल सारस्वत व आचार्य देवेन्द्र ‘देव’ (मुख्य वक्ता) द्वारा अर्बन कोआपरेटिव बैंक के सभागार में किया गया। अभिनन्दन ग्रन्थ का संपादन सुप्रसिद्ध गीतकार श्री रमेश गौतम ने किया है।
आरम्भिक सत्र में मुंशी प्रेमचन्द का भावपूर्ण स्मरण किया गया। कई वक्ताओं ने उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ श्रोताओं के साथ साझा कीं। दूसरे चरण में डॉ. यजुर्वेदी के षष्ठिपूर्ति के अवसर पर उनका अभिनन्दन अनेक साहित्यकारों एवं संस्थाओं ने किया, जिनमें सर्वश्री धर्मपाल सिंह चौहान ‘धर्म’, रामशंकर शर्मा ‘प्रेमी’, राधेश्याम शर्मा ‘श्याम’, देवेन्द्रनाथ शर्मा, धर्मेन्द्र सहाय, उपमेन्द्र कुमार सक्सेना, सुधीर कुमार चन्दन आदि प्रमुख थे। कार्यक्रम में सर्व सुश्री (डॉ.) ममता गोयल, मीना अग्रवाल, नीलिमा रावत, प्रेमा यजुर्वेदी तथा सर्वश्री रमेश गौतम, हरिशंकर सक्सेना, सतीश गुप्ता ‘द्रवित’, प्रताप मौर्य ‘मृदुल’, डॉ. रंजन विशद, रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’, रामकुमार भारद्वाज ‘अफरोज’, राम कुमार कोली, गुडवन मसीह, अविनाश अग्रवाल, रामप्रकाश सिंह ‘ओज’, एस. ए. हुदा ‘सोंटा’, रामेश्वर दयाल शर्मा ‘दयाल’, ए. के. तन्हा, चित्रभानु मित्र ‘बादल’, शिवनाथ बिस्मिल, विपिन यजुर्वेदी आदि अनेक साहित्यकार एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। भावपूर्ण संचालन डॉ. नितिन सेठी ने किया। (समाचार प्रस्तुति : अविराम समाचार डेस्क)
अहिसास का हिन्दी साहित्य सम्मान समारोह
अखिल हिन्दी साहित्य सभा (अहिसास) का राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मान समारोह नासिक में शंकराचार्य पूर्तकोटि सभागार में 16 अक्टूबर को आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि वैज्ञानिक श्री विपुल सेन, समारोह अध्यक्ष श्रीमती मनीषा अधिकारी, विशिष्ट अतिथि श्री प्रदीप शैणे थे। अहिसास के अध्यक्ष श्री सुबोध मिश्र द्वारा अहिसास की स्थापना के औचित्य के उद्बोधन से हुई। इसके बाद स्मारिका ‘विद्याभारती‘, त्रैमासिक पत्रिका ‘सार्थक नव्या’ के ‘विदर्भ विशेषांक’, डा. आकुल के नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर डा. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ को विद्योत्त्मा साहित्य सम्मान, डा. राम सनेही लाल ‘यायावर’ को ‘साहित्य साधना पुरस्कार’, श्री रमेश यादव को ‘साहित्य सृजन सम्मान’, श्री विजय कुमार संपति को ‘साहित्य आराधना सम्मान’ तथा शायर नासिर शाकेब को ‘अहिसास गौरव सम्मान’ प्रदान किया गया। कोटा के जनकवि और साहित्यकार डा. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ व उनकी पुस्तक का परिचय अनीता दुबे ने पढ़ा। कार्यक्रम में सभी निर्णायकों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने प्राप्त 18 प्रविष्टियों से पाँँच साहित्यकारों को सम्मान हेतु चयन किया। समारोह में सहयोगी बने सभी विज्ञापनदाता, प्रायोजकों को भी सम्मानित किया गया। अंत में शीला डोंगरे, संस्थापक अध्यक्ष अहिसास ने आभार व्यक्त किया। दूसरे सत्र में पधारे सम्मानित साहित्यकारों एवं कवि सम्मेलन के लिए विशेष रूप से आमंत्रित कवियों द्वारा मिश्रित काव्यपाठ किया गया। (समाचार सौजन्य : अखिल हिन्दी साहित्य सभा, नासिक)
माधुरी राऊलकर का ग़ज़ल संग्रह लोकार्पित
नागपुर की कवयित्री माधुरी राऊलकर के ग़ज़ल संग्रह ‘परिंदे ये नहीं कहते’ का लोकार्पण श्री गिरीश गाँधी की अध्यक्षता में नागपुर में सम्पन्न एक समारोह में हुआ। इस अवसर पर विधायक गिरीश व्यास व प्रकाश गजभिये प्रमुख अतिथि थे। एम. ए. कारर व डॉ. सागर खादीवाला की विशेष उपस्थिति में आयोजित इस समारोह में माधुरी जी को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में शब्बीर विद्रोही, विनोद नायक, टीकाराम साहू, अरुण खरे, विलासिनी नायर, डॉ. प्रेमलता तिवारी, इन्दिरा किसलय, कमलेश चौरसिया, उषा अग्रवाल, डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव आदि अनेक साहित्यकार उपस्थित थे। संचालन अविनाश बागड़े तथा आभार प्रदर्शन अनिल मालोकर ने किया। (समाचार सौजन्य : माधुरी राऊलकर)
ईश्वर करुण को हिंदी सेवी सम्मान
केरल राज्य के त्रिशूर जिले के तटवर्ती इलाके में स्थित एम. ई. एस. अस्माबी कॉलेज की ओर से कवि ईश्वर करुण को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया गया। सरकारी, साहित्यिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में हिंदी भाषा को दिए गए योगदान को मानते हुए यह सम्मान कॉलेज सभागार में आयोजित समारोह में डॉ. पी.ए.फसल गफूर द्वारा प्रदान किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजिम्स पी मुहम्मद, सचिव अब्दुल सलाम, एम. ई. एस. त्रिशूर जिला अध्यक्ष के.के कुंजू मोयतीन आदि उपस्थित रहे। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रंजित एम ने स्वागत व डॉ. सूर्यबोस ने धन्यवाद अर्पण किया। (समाचार सौजन्य : डॉ. रंजित एम)
ताल दरवाजा में हुआ कवि सम्मेलन
म.प्र. के ताल दरवाजा में ‘म.प्र लेखक संघ’ के संयोजन में ‘कवि सम्मेलन’ आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि बुन्देली के ख्यातिप्राप्त कवि डॉ. दुर्गेश दीक्षित रहे एवं अध्यक्षता साहित्यकार आर. एस. शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि थे व्यंग्यकार रामगोपाल रैकवार। संचालन राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने किया तथा आभार प्रदर्शन वीरेन्द्र चंसोरिया ने किया।
काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे- दीनदयाल तिवारी, योगेन्द्र तिवारी ‘योगी’, डॉ. दुर्गेश दीक्षित,
बुन्देली कवि गुलाब सिंह भाऊ, राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, गण्ेश पन्नालाल शुक्ला, रामगोपाल रैकवार, वीरेन्द्र चंसोरिया, अनवर ‘साहिल’, आर. एस. शर्मा, पूरन चन्द्र गुप्ता आदि। तालदरवाजा अखाड़ा समिति के अध्यक्ष दीपक गिरि गोस्वामी व सहयोगियों द्वारा सभी कवियों को सम्मानित किया गया। (समाचार सौजन्य : राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’)
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