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शुक्रवार, 26 मई 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  05-06,  जनवरी-फ़रवरी  2017




डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा



सत्य छुपाया तम ने....
आज पुकारा है जननी ने, जाग ज़रा सोई सन्तान!
फ़र्ज़ निभाने की बेला है, बदनीयत ताके शैतान।।

बढ़े शहर की ओर, बोलते, फिरें घूमते रंगे सियार।
इनके दिल में खौफ जगा दे, तू भी भर ऐसी हुंकार।।

भाँति-भाँति के भ्रम फैलाते, कुछ अपने घर के ग़द्दार।
सबक़ सिखाना बहुत ज़रूरी, बनना दो-धारी तलवार।।

चन्दन वन को खूब मिले हैं, सत्य सदा सर्पों के हार।
लेकिन मानव के हित, रखना, उन्हें कुचलने का अधिकार।।
छायाचित्र : उमेश महादोषी 


जिनके पास दया ना ममता, जिन्हें प्रिय मारक हथियार।
सीख यही इतिहास सिखाता, करो तुरत उनका संहार।।

एक बार की भूल क्षमा हो, फिर कुटिलों पर कुटिल प्रहार।
सोलह बार छोड़िए, ज़िंदा, रहे न दुश्मन दूजी बार।।

मुझे सुहाए गले मात के, वीरा अरि मुण्डों की माल।
दिप-दिप दमके स्वर्ण शिखरिणी, फिर जननी का उन्नत भाल।।

सूरज चमका ज़ोर गगन में, दिशा-दिशा फैला उजियार।
सत्य छुपाया तम ने लेकिन, आकर रवि ने दिया उघार।।

  • टॉवर एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवडा रोड, वापी , जिला वलसाड-396191(गुजरात)

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