आपका परिचय

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  07-10,  मार्च-जून 2017



।।कविता अनवरत।।


विज्ञान व्रत



ग़ज़लें

01.
वो जब चुप्पी से समझाए
पूरी दुनिया शोर मचाए

दरपन मुझसे आँख चुराए
सच्ची बात न बतला पाए

वो गर मुझसे मिलने आए
कैसा मंजर होगा हाए

मेरे दिल में रहता है वो
लेकिन मेरे पास न आए

कबसे पीछे भाग रहा हूँ
उसका लहजा हाथ न आए

02.
मुझको जब ऊँचाई दे
मुझको ज़मीं दिखाई दे

रेखाचित्र : विज्ञान व्रत 
एक सदा ऐसी भी हो
मुझको साफ़ सुनाई दे

दूर रहूँ मैं खुद से भी
मुझको वो तन्हाई दे

एक ख़ुदी भी मुझमें हो
मुझको अगर ख़ुदाई दे

ख़ुद को देखूँ रोज़ नया
मुझको वो बीनाई दे
  • एन-138, सेक्टर-25, नोएडा-201301(उ.प्र.) / मो. 09810224571

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