अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 6, अंक : 07-10, मार्च-जून 2017
।।कविता अनवरत।।
डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’
तुम्हारी प्रीत ने
तुम्हारी प्रीत ने प्रियतम,
मुझे अमृत किया है!
आशा बन तुम जीवन में आए,
उल्लास जगा था तन-मन में।
चन्दन-सी सुगंध ले आऐ थे तुम
खुश्बू व्यापी थी मेरे जीवन में।।
तुम्हारी गंध ने प्रियतम,
मुझे उपकृत किया है!!
दीप्त सूरज की तरह आए थे तुम,
पावन प्रभा से भर दिया जीवन मेरा।
कलुष मन के दूर सारे कर दिए मेरे,
प्रीत से बस भर दिया है मन मेरा।।
तुम्हारी याद ने प्रियतम,
मुझे जागृत किया है!!
चन्द्रमा सी छवि तुम्हारी साथ है मेरे,
हृदय को शीतल सदा करती रहेगी।
पावन कथा प्रिय! तुम्हारी कीर्ति की,
जगत को प्रेरित सदा करती रहेगी।
तुम्हारी कीर्ति ने प्रियतम,
मुझे ज्योतित किया है!!
सृजन-शिल्पी के प्रहरी
सृजन-शिल्पी के प्रहरी हैं हम,
आत्म-ज्योति जग में फैलाएँ!
सृजन-मंत्र दे दें हम सब को,
रेखाचित्र : रमेश गौतम |
जग को पीड़ा से मुक्ति मिले।
मानवता फिर से मुस्काए,
नए सृजन का कमल खिले।।
गगन-शिल्पी के प्रहरी हैं हम,
सब विश्व-रूप चिंतन हो जाएँ!
क्षमा बने जीवन-शैली अब,
करुणा की गंगा हो मन में।
सारा जग हो परिवार हमारा,
अनुराग पले सबके जीवन में।
धरा-शिल्पी के प्रहरी हैं हम,
सहन-शक्ति के गीत सुनाएँ!
मनुष्यता के रक्षक बन कर,
दानवता का संहार करें हम।
मनु की हैं संतान सभी हम,
मानवता का श्रृंगार करें हम।।
सागर-शिल्पी के प्रहरी हैं हम,
बस रत्नाकर जैसे हो जाएँ!
- 74/3, न्यू नेहरू नगर, रुड़की-247667, जिला हरिद्वार (उ.खंड)/मो. 09412070351
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