अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 01-04, सितम्बर-दिसम्बर 2017
केशव चन्द्र सकलानी ‘सुमन’
उदास होना
उदास होना
मेरी फितरत
मेरी आदत में नहीं
मेरे दुःख...
मुझे कभी दुखी नहीं कर पाते
पर जब टहनियों पर
फूल नहीं खिलते
आज के इस दौर में
दोस्त....
दिल खोलकर नहीं मिलते
वसंत समय पर नहीं आते
सावन में मेघ नहीं मड़राते
मैं उदास हो जाता हूँ
जब बागों में
तितलियों
रेखाचित्र : विज्ञान व्रत |
बीरबहुटियों को
(प्रदूषण से विनष्ट प्रजातियाँ)
नहीं ढूँढ़ पाता हूँ
मैं उदास हो जाता हूँ
जब मुनियाँ की आँखों में
एक अच्छी सी फ्रॉक के लिए
देखता हूँ मोतियों के कतरे
मैं उदास हो जाता हूँ
जब धरती माँ दे नहीं पाती
सबके पेट के लिए दाने
जब औरों के दुःख
दौड़ कर आते हैं मुझे काट खाने
मैं उदास हो जाता हूँ
याद आते हैं
उसके साथ बिताए चंद उदास लम्हे पुराने
मैं उदास हो जाता हूँ।
- 125-बी, टैगोर कॉलोनी, देहरादून-248001, उ.खण्ड/मोबा. 09410619205
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