आपका परिचय

रविवार, 12 नवंबर 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  7,   अंक  :  01-04,  सितम्बर-दिसम्बर 2017




।।कविता अनवरत।।



प्रकाश श्रीवास्तव




ग़ज़लें

01.
ज़िन्दगी को आज़मा कर देखिए
मौत से नज़रें मिलाकर देखिए

ढूँढ़ते रह जायेंगे सम्वेदना
इस शहर में घर बनाकर देखिए

ख़ूबसूरत आप दिखते हैं मगर
आइना नज़दीक लाकर देखिए

सिर झुकाने से नहीं मिलता ख़ुदा
आप अपना मन झुकाकर देखिए

ज़िन्दगी को छीनना आसान है
रेखाचित्र : बी.  मोहन नेगी 
ज़िन्दगी को तो बचाकर देखिए

सामने आ जायेंगी सच्चाइयाँ
आँख से पर्दा हटाकर देखिए

02.
पत्थरों को गुमान है
आदमी बेज़ुबान है

ज़िन्दगी के खिलाफ अब
रोशनी का बयान है

आग की नदी के पास ही
मोम का इक मकान है

रोज़ लंकादहन यहाँ
रोज दुर्गा भसान है

सुबह बूढ़ी है जाने क्यों
दोपहर ही जवान है

  • ए-36/26 क-3, कोनिया शट्टी रोड, भदऊँ, वाराणसी-221001(उ.प्र.)/मो. 08009790463

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