अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 01-04, सितम्बर-दिसम्बर 2017
उषा अग्रवाल ‘पारस’
हाइकु
01.
बात जरा सी
पानी-पानी हुआ है
आँख में जो था।
02.
पिया बसंती
रुत पतझर की
हरी है प्रीति।
03.
प्यारी सूरत
उससे भी सुंदर
तेरी सीरत।
04.
हाथ जो टूटा
परखे रिश्ते नाते
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
मोह ही छूटा।
05.
बिटिया मेरी
है बिल्कुल मुझसी
और मैं माँ सी।
06.
टूटते हुये
फौलादी बन गये
पिघले जो थे।
- 201, सांई रिजेन्सी, रविनगर चौक, अमरावती रोड, नागपुर-440033, महा./मो. 09028978535
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