अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 05-06, जनवरी-फरवरी 2014
।। क्षणिका ।।
सामग्री : इस अंक में श्री सुरंजन जी की चार क्षणिकाएं।
।। क्षणिका ।।
सामग्री : इस अंक में श्री सुरंजन जी की चार क्षणिकाएं।
सुरंजन
चार क्षणिकाएं
01.
रोज-रोज का
जीना और मरना है
सारे दिन
इस भूखे पेट को
भरना है
02. सृष्टि
एक
छोटी-सी
सृष्टि
और
इतनी तृप्ति
इतना आनन्द
इतनी परम अनुभूति
अद्भुत है
यह सृष्टि
हर माह भीतर से
एक लाल नदी!
03. दोस्ती
सिर्फ एक बार
मुझसे दोस्ती कर लो
तमाम उम्र मैं
निभाता रहूँगा!
04. वर्तमान
प्रातः
नींद की खिड़की
खुलते ही
अंबर के दर्पण में
देखता हूं
तुम्हारा चेहरा
और संवार लेता हूं
दिन भर का वर्तमान!
- एफ-5, एम.आई.जी. फ्लैट्स, प्रताप विहार, गाजियाबाद-201009, उ.प्र.
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