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रविवार, 2 फ़रवरी 2014

गतिविधियाँ

अविराम  ब्लॉग संकलन :  वर्ष  : 3,   अंक  : 05-06, जनवरी- फरवरी 2014 

{आवश्यक नोट-  कृपया संमाचार/गतिविधियों की रिपोर्ट कृति देव 010 या यूनीकोड फोन्ट में टाइप करके वर्ड या पेजमेकर फाइल में या फिर मेल बाक्स में पेस्ट करके ही भेजें; स्केन करके नहीं। केवल फोटो ही स्केन करके भेजें। स्केन रूप में टेक्स्ट सामग्री/समाचार/ रिपोर्ट को स्वीकार करना संभव नहीं है। ऐसी सामग्री को हमारे स्तर पर टाइप करने की व्यवस्था संभव नहीं है। फोटो भेजने से पूर्व उन्हें इस तरह संपादित कर लें कि उनका लोड 02 एम.बी. से अधिक न रहे।}


कमल कपूर की कृति ‘हरी सुनहरी पत्तियां’ का लोकार्पण







कमल कपूर की नवीनतम कृति ‘हरी सुनहरी पत्तियां’ का लोकार्पण यशसिद्धा सुश्री चित्रा मुद्गल जी  के आवास पर उनके निजी कक्ष में लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और ‘सारिका’ पत्रिका के भूतपूर्व प्रधान सम्पादक श्री अवध नारायण मुद्गल जी के कर-कमलों से सुश्री चित्रा मुद्गल जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

        मात्र सुश्री चित्रा मुद्गल जी और श्री अवध नारायण मुद्गल जी कि उपस्थिति से ही वे क्षणिक पल भी एक सम्पूर्ण समारोह से खिल उठे थे। वस्तुतः अवध नारायण मुद्गल जी अपनी चिर अस्वस्थता के कारण किसी भी समारोह में जाने में असमर्थ हैं, इसलिए कमल कपूर ने स्वयं उन्ही के आवास में जा कर पुस्तक लोकार्पित करवाई। ज्ञातव्य हो कि सुश्री चित्रा मुद्गल जी (दीदी)  लेखिका की साहित्यिक गुरु भी हैं। (समाचार सौजन्य : कमल कपूर)



डा. तारिक असलम ’तस्नीम’ एवं आभा भारती को ’परिधि सम्मान’।
    





हिन्दी-उर्दू मजलिस, सागर म0 प्र0 के द्वारा आयोजित 20वें वार्षिक समारोह में दिनांक 12 जनवरी, 2014 को दो सत्रों में आयोजित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ’परिधि’ पत्रिका के 12 वें वार्षिकांक के विमोचन के पश्चात पटना, बिहार से आमंत्रित प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं संपादक (कथा सागर) डा. तारिक असलम ’तस्नीम’ एवं दमोह से पधारीं प्रसिद्ध छायाकार एवं साहित्यकार श्रीमती आभा भारती को नवंा ’परिधि सम्मान’ से सम्मानित किया गया। सम्मानस्वरूप उन्हें सम्मान पत्र, सम्मान राशि, प्रतीक चिन्ह, शाल एवं श्रीफल भेंट किया गया। इस अवसर पर हिंदी उर्दू मजलिस द्वारा आयोजित परिधि सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. उदय जैन (अवधेश प्रताप सिंह वि0 वि0 के पूर्व कुलपति) ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा- ’’कोई भी क्रांति या सामाजिक परिवर्तन विचारों से होता है और विचार साहित्य से आते हैं। विश्व में हुई सभी क्रांतियों में साहित्य का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।’’
    समारोह के प्रथम सत्र का संचालन संस्था की सचिव श्रीमती निरंजना जैन ने किया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष प्रो. सुरेश आचार्य, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. जीवन लाल जैन, विशिष्ट अतिथि प्रो. सुरेन्द्र सिंह नेगी (पूर्व अध्यक्ष दर्शन शास्त्र), संस्था के संरक्षक श्रीमंत नरेश चन्द जैन, संरक्षक डा.एन.पी. शर्मा ने भी अपने विचारों को अभिव्यक्ति दी। जिसके लिए कार्यक्रम के संयोजक एवं परिधि पत्रिका के संपादक डा. अनिल जैन ने आभार व्यक्त किया।
     दूसरे सत्र में ऋषभ समैया जलज के संचालन में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरा संपन्न हुआ जिसमें डा. तारिक असलम ’तस्नीम’, श्रीमती आभा भारती, मायूस सागरी, नेमी चन्द जैन, विनम्र, निर्मल चंद निर्मल, डा. गजाधर सागर, ऋषभ समैया जलज, वृन्दावन राय, सुश्री वर्षा सिंह, सुश्री डा. शरद सिंह, श्रीमती शशि मिश्रा पूजा, श्रीमती निरंजना जैन, डा. अनिल जैन, सिराज सागरी, असगर पयाम, शफीक अनवर, अबरार अहमद, नईम माहिर ने अपनी रचनओं से उपस्थित श्रोताओं को अभिभूत किया। इस  अवसर पर सभागार में असंख्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। (समाचार सौजन्य: श्रीमती निरंजना जैन, सचिव: हिंदी-उर्दू मजलिस, सागर, म0प्र0)


इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं : हामिद अंसारी

उपराष्ट्रपति निवास पर आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह की चर्चा

उपराष्ट्रपति श्री एम॰ हामिद अंसारी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता, अमनचैन एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए दलगत स्वार्थों से ऊपर उठना जरूरी है। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसके लिए आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन, नैतिकता और सांप्रदायिक सौहार्द के सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत है। इन सिद्धांतों को अपनाने से न केवल राष्ट्रीय बल्कि दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है। उपराष्ट्रपति श्री एम॰ हामिद अंसारी ने आज उपराष्ट्रपति निवास पर अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के विद्वान शिष्य अणुव्रत प्राध्यापक मुनिश्री राकेशकुमारजी, मुनिश्री सुधाकरजी, मुनिश्री दीपकुमारजी के सान्निध्य में आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के संदर्भ में आयोजित संगोष्ठी में उक्त उद्गार व्यक्त किए। इस विचार संगीति में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल पटावरी, आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह (दिल्ली) के निदेशक श्री मांगीलाल सेठिया, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रधान न्यासी श्री संपतमल नाहटा, श्री गोविंदमल बाफना, श्री शांतिकुमार जैन, सभा के महामंत्री श्री सुखराज सेठिया, श्री पदमचंद जैन, मीडिया प्रभारी श्री शीतल जैन, अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक श्री ललित गर्ग, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री श्री संदीप डूंगरवाल, श्री दीपक सिंघी आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए वर्ष-2014 में आयोजित तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। मुनिश्री सुधाकरजी एवं मुनिश्री दीपकुमारजी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
    श्री अंसारी ने अणुव्रत आंदोलन के कार्यक्रमों की अवगति के बाद कहा कि नैतिकता और चरित्र की स्थापना संतपुरुषों के मार्गदर्शन में ही हो सकती है। हर इंसान एक अच्छा इंसान बनने का संकल्प ले, यह जरूरी है। आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह निष्चित ही देश में इंसानियत एवं भाईचारे की प्रतिष्ठा का सशक्त माध्यम बनेगा।  श्री अंसारी ने अणुव्रत आंदोलन के द्वारा लोकतंत्र को सशक्त करने की दृष्टि से किए जा रहे प्रयत्नों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण आध्यात्मिक शक्ति के साथ संपूर्ण राष्ट्र में शांति व भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं। मौजूदा माहौल में अणुव्रत आंदोलन समाज में शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को जन-जन में स्थापित करने का सशक्त माध्यम है। 
इस अवसर पर अणुव्रत प्राध्यापक मुनिश्री राकेशकुमारजी ने विशेष उद्बोधन में अणुव्रत आंदोलन की संपूर्ण जानकारी प्रदत्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में दायित्व और कर्तव्यबोध जागे, तभी लोकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। सांप्रदायिक विद्वेष, भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक अस्थिरता के जटिल माहौल में अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से शांति एवं अमन-चैन कायम करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। यही वक्त है जब नैतिक और अहिंसक शक्तियों को संगठित किया जाना जरूरी है। इस संदर्भ में उन्होंने आचार्य श्री महाश्रमण की वर्तमान में संचालित हो रही अहिंसा यात्रा एवं आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह की चर्चा करते हुए कहा कि नैतिकता और साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण निर्मित करने के लिए आचार्य श्री तुलसी की शिक्षाओं को अपनाना जरूरी है। धर्म का वास्तविक लक्ष्य इंसानियत की स्थापना है। इसी के लिए आचार्य तुलसी ने उद्घोष दिया था- इंसान पहले इंसान फिर हिन्दू या मुसलमान। इसी तरह उनका दूसरा मुख्य उद्घोष था- निज पर शासन फिर अनुशासन। इन्हीं उद्घोषों का लक्ष्य था नफरत, घृणा एवं हिंसा पर नियंत्रण एवं नैतिकता की प्रतिष्ठा। अणुव्रत आंदोलन जैसे उपक्रमों से अहिंसा एवं समतामूलक समाज की प्रतिष्ठा हो सकती है। मुनि सुधाकरकुमार ने आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘सुखी बनो’ श्री हामिद अंसारी  को प्रदत्त की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के दिल्ली में विधिवत शुभारंभ के अवसर एवं आचार्य महाश्रमण के स्वागत समारोह में 8 जून 2014 को मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने के निवेदन पर शीघ्र ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया। (समाचार प्रस्तुति : ललित गर्ग, मीडिया प्रभारी: जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, अणुव्रत भवन, 210, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली-110002)



स्व. डॉ.मनोहर शर्मा ‘माया’ को श्रंद्धांजलि





        कथाकार स्व.डॉ.मनोहर शर्मा ‘माया’ को बक्सर में प्रतिश्रुति एवं भोज थिएटर ने संयुक्त रूप से एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 
         कुमार नयन की अध्यक्षता में इस सभा में श्याम श्रीवास्तव, शशांक शेखर ‘वियोगी’, दीपचन्द दास, संजीव कुमार अग्रवाल, दीपक कुमार राय, निर्मलकुमार सिंह, कुमार अनुराग, आमिर सुहैल, पवन कुमार ओझा, श्रीमननारायण आदि ने डॉ.माया के साहित्यिक अवदान को याद किया। डॉ. माया जी बेहद विनम्र स्वभाव के साहित्यकार थे। उनकी साहित्य सेवाओं पर विस्तार से  प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने डॉ. माया को सहज शिल्प का रचनाकार निरूपित किया। (समाचार सौजन्य : संजीव कुमार अग्रवाल)



अंगिका महोत्सव सम्पन्न
    
 दानवीर कर्ण के अंग देश की भाषा ‘अंगिका’ के सुप्रसिद्ध लेखक एवं ‘अंग माधुरी’ के संपादक डॉ. नरेश पाण्डेय ‘चकोर’ के 77वें जन्म दिन पर अंगिका भाषा के महत्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से ‘अंगिका महोत्सव’ का आयोजन किया गया। समारोह का आयोजन जाह्नवी अंगिका संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में किया गया था, जिसकी अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष डॉ.शशि शेखर तिवारी ने की। उद्घाटन बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सदानन्द सिंह ने किया।। संचालन कवि-समालोचक डॉ. शिवनारायण ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार चौबे। 
          उद्घाटन करते हुए श्री सदानन्द सिंह ने कहा कि अंगिका के बोलने वालों की संख्या सात करोड़ से अधिक होने एवं इस भाषा का साहित्य लोकभाषाओं में सर्वाधिक समृद्ध होने के बावजूद अंगिका भाषा और साहित्यकारों की उपेक्षा हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्य अतिथि श्री चौबे ने कहा कि डॉ. नरेश पाण्डेय ‘चकोर’ ने विगत 44 वर्षों से अंगिका की लोकप्रिय पत्रिका ‘अंग माधुरी’ का संपादन-प्रकाशन करने के साथ अंगिका भाषा-संस्कृति के लिए जितना काम किया है, उतना कोई संस्थान अकादमिक स्तर पर भी नहीं कर सकता। इसके लिए डॉ. चकोर को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए तथा अंगिका को उसका बाजिव हक दिया जाना चाहिए।
           समारोह में ‘अंग माधुरी’ के 45 वें वर्ष के प्रथमांक का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही डॉ. चकोर की अनूदित पुस्तक ‘अंगिका गीता’ तथा ‘सुखलऽ गाछ वाला जंगल’ तथा श्री राकेश पाठक की पुस्तक ‘नारी चरचा जुगऽ जुगऽ में’ तथा ‘कुछ हमरो’ का भी लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही हिन्दी-अंगिका के विद्वान डॉ.बहादुर मिश्र, डॉ.सकलदेव शर्मा, डॉ.अरुणेन्द्र भारती, श्री राकेश पाठक एवं व्यंग्यकवि श्री रामावतार राही को सम्मानित किया गया। महोत्सव में अंगिका पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। 
         समारोह को प्रो.रामदेव प्रसाद (अध्यक्ष: संस्कृत शिक्षा बोर्ड), डॉ. अनिल सुलभ (अध्यक्ष: बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन), डॉ.उत्तम कुमार सिंह, श्री राजीव परिमलेन्दु, भगवान सिंह भास्कर, आर. प्रवेश, राजकुमार प्रेमी आदि अनेक विद्वानों ने सम्बोधित किया। (समाचार सौजन्य :  डॉ. शिवनारायण)


श्री ललित गर्ग को ‘सृजन गौरव-2013’ 
   


राजधानी नई दिल्ली की रचनात्मक एवं सृजनात्मक संस्था श्री सृजन (रजि॰) द्वारा आयोजित स्वरांजलि राष्ट्रसंत तुलसी को भव्य सांस्कृतिक संध्या में लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को ‘सृजन गौरव-2013’ से सम्मानित किया गया। शाह ऑडोटिरियम सिविल लाइंस-दिल्ली में आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के परिप्रेक्ष्य में आयोजित इस भव्य समारोह में श्री गर्ग को समारोह के मुख्य अतिथि श्री पवन दुगड़ ने प्रशस्ति पत्र, शील्ड एवं शॉल ओढ़ाकर श्री सृजन का यह सर्वाेच्च सम्मान प्रदत्त किया। श्री गर्ग पिछले तीन दशक से राष्ट्रीय स्तर पर लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं प्रदत्त करते हुए अणुव्रत आंदोलन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। विदित हो वर्तमान में श्री गर्ग सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी (रजि॰) द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल के विकास एवं मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन एवं ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक है।
      श्री सृजन के अध्यक्ष श्री राजेश पटावरी ने श्री गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा
करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं, उनके लेखन में जीवंतता है और वर्तमान समस्याओं का सजीव चित्रण है। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने वाले श्री गर्ग राजधानी की विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हैं। ऐसी प्रतिभा को सम्मानित कर श्री सृजन गौरव का अनुभव करती है। समारोह के मुख्य अतिथि श्री पवन दुगड़ ने श्री सृजन संस्था की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि सेवा और जनकल्याणी कार्यक्रमों मंे इस संस्था के सदस्यों की उल्लेखनीय भूमिका रहती है। उन्होंने आगे कहा कि श्री ललित गर्ग हमारे समाज की एक विशिष्ट प्रतिभा है। साहित्य, पत्रकारिता और जनसंपर्क की दृष्टि से इनकी समाज को विशिष्ट सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। कार्यक्रम का संयोजन श्रीमती सुनीता जैन ने करते हुए श्री गर्ग के साहित्यिक अवदानों की चर्चा की। विदित हो गर्ग को हाल ही में राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक पुरस्कार एवं पूर्व में महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम का प्रारंभ गणेश वंदना एवं नमोकार मंत्र से हुआ।
     इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री मांगीलाल सेठिया, चिंतक एवं समाजसेवी श्री टी.एम. लालानी, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के महामंत्री श्री सुखराज सेठिया, श्री शांतिकुमार जैन, श्री गोविंद बाफना, श्री सृजन के संस्थापक अध्यक्ष श्री मोहित मनोत, महामंत्री श्री उम्मेद नाहटा आदि ने श्री गर्ग को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान प्रतिभा के साथ-साथ संस्कारों का भी सम्मान है। इस अवसर पर विभिन्न प्रतिभाओं ने आचार्य तुलसी को समर्पित अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। श्रीमती सरोज जैन के संयोजन में आचार्य तुलसी के शिक्षाओं पर आधारित एक नाटिका का मंचन किया गया। ज्ञानशाला के बच्चों ने जैन जीवनशैली पर आधारित नवआयामी जैन जीवनशैली की प्रभावी प्रस्तुति दी। (समाचार सौजन्य : बरुण कुमार सिंह, ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2, नई दिल्ली-110024)


‘एक गधे का प्रमोशन’ पर चर्चा

विगत दिनों उज्जैन में लघुकथा लेखन की ‘दशा और दिशा’ विषय पर एक सार्थक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान व्यंग्य लघुकथाओं के संग्रह ‘एक गधे का प्रमोशन’ के लेखक व्यंग्यकार व लघुकथाकार श्री ललित नारायण उपाध्याय की रचनात्मकता पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकमत के संपादक ओम उपाध्याय ने की। कार्यक्रम में डॉ. अखिलेश चौरे, डॉ. रामकुमार घोटड़, श्री प्रतापसिंह सोढ़ी, डॉ. शिवनन्दन कपूर की समीक्षाएं पढ़ी गईं। रंजना देशपांडे, रामचन्द्र सौंचे, काशीनाथ भारंभे तथा अन्य द्वारा अनुवादित ‘एक गधे का प्रमोशन’ की रचनाओं का वाचन भी किया गया। संगोष्ठी में अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों के संदेशों का वाचन भी किया गया। प्रदेश भर के अनेक लघुकथाकारों ने इस संगोष्ठी में सहभागिता की। (समाचार सौजन्य : ललित नारायण उपाध्याय)



शिवशंकर यजुर्वेदी को ‘जगत चर्चा सम्मान-2013’



           ‘सरिता लोक सेवा संस्थान, सहिनवाँ, सुल्तानपुर’ द्वारा आयोजित 13 वें अखिल भारतीय सम्मान समारोह-2013 में बरेली के साहित्यकार व ‘गीतप्रिया’ के सम्पादक श्री शिवशंकर यजुर्वेदी को उनके काव्य संग्रह ‘अभिव्यंजना’ हेतु ‘जगत चर्चा सम्मान-2013’ से सम्मानित किया गया। 
           सम्मान स्वरूप श्री यजुर्वेदी को शील्ड, सम्मान पत्र, अभिनन्दन पत्र एवं रु.1100/- की नगद धनराशि कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.रामनिवास ‘मानव’, मुख्य अतिथि प्रो. हेमराज मीणा तथा संस्थाध्यक्ष ‘दैनिक जगत चर्चा‘ के प्रधान संपादक कृष्णमणि चतुर्वेदी ‘मैत्रेय’ द्वारा भेंट की गयी। इस अवसर पर देश के अनेक साहित्यकार उपस्थित थे। (समाचार सौजन्य : रामशंकर शर्मा ‘प्रेमी’, अध्यक्ष: पुष्पादेवी स्मृति-सम्मान समिति, बरेली)



लघु पत्रिकाओं पर संगोष्ठी सम्पन्न

 पालमपुर, हि.प्र. की संस्था हिन्दी साहित्य निर्झर मंच ने विगत दिनों लघुपत्रिकाओं पर संगोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए संस्था के अध्यक्ष श्री नरेश कुमार उदास ने कहा कि लघु पत्रिकाएं साहित्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हमें इनकी महत्ता को गंभीरता से लेना चाहिए तथा इनसे जुड़कर इन्हें दीर्घजीवी बनाने में योगदान करना चाहिए। ये जन-जन तक पहुंचकर जागृति का काम करती हैं। इस सत्र में सुमन शेखर, कमलेश सूद, उषा कालिया, तनोजा तथा अर्जुन कनौजिया ने भी लघु पत्रिकाओं की महत्ता पर अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें नगर के अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया। अध्यक्षता श्री नरेश कुमार उदास ने की। (समाचार सौजन्य :  उषा कालिया)



सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’ सम्मानित


विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’ को उनकी सुदीर्घ हिन्दी सेवा, सारस्वत साधना तथा उपलब्धियों के लिए ‘विद्यासागर’ की मानद उपाधि प्रदान की गई। विद्यापीठ की अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर उन्हें सम्मान स्वरूप उपाधि प्रमाण पत्र, प्रतीक चिह्न आदि विद्यापीठ के कुलाधिपति डॉ. सुमनभाई ‘मानस भूषण’ एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ जी ने संयुक्त रूप से प्रदान किया। (समाचार सौजन्य : सूर्यनारायण गुप्त 'सूर्य')

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