अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 05-06, जनवरी-फरवरी 2014
।।हाइकु।।
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सामग्री : इस अंक में डॉ. ब्रह्मजीत गौतम के हाइकु युग्म व श्री राजेन्द्र बहादुर सिंह ‘राजन’ का हाइकु गीत।
डॉ. ब्रह्मजीत गौतम
हाइकु युग्म
(ये हाइकु युग्म कुछ इस तरह लिखे गये हैं, कि अलग-अलग प्रत्येक हाइकु का स्वतन्त्र अस्तित्व बना रहे और युग्म के दोनों हाइकु को एक साथ पढ़ने पर लयात्मक छन्द का आनन्द मिलता है।)
01.
आप हँसे तो
फूल हज़ारों खिले
मरुस्थल में
आप चले तो
साथ बहारें चलीं
02.
ग्रह-नक्षत्र
सभी तुम से ही हैं
रौनक पाते
कण-कण में
सौन्दर्य तुम्हारा, हैं
सब ही गाते
03.
भला हुआ जो
मन-कुटी में तुम
आखिर आये
मन के भाव
सुदामा बनकर
आँखों में छाये
04.
मन करता
लौटे बचपन, दौड़ें
अमराई में
तज चिंताएँ
प्रकृति संग खेलें
पुरवाई में
- गौतम कुटी, बी-85, मिनाल रेसीडेन्सी, जे.के.रोड, भोपाल-462023
राजेन्द्र बहादुर सिंह ‘राजन’
हाइकु गीत : आम आदमी
तंत्र लूटता
लोक, लोग कंगाल
हो रहे भाई।
नभ से बड़ी
अनैतिकता अब
विषधर हैं
छल छद्मों के अब
आज प्रीति में।
लोकतन्त्र के
रक्षक मालामाल
हो रहे भाई।
आज बन्धुओ
न्यायालय में न्याय
न मिल पाता।
गंदे मन के
तरु में कोई फूल
न खिल पाता।
आम आदमी
अब सारे बेहाल
हो रहे भाई।
- ग्राम-फत्तेपुर, पोस्ट-बेनीकामा, जिला-रायबरेली-229402 (उ.प्र.)
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