अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 05-06, जनवरी-फरवरी 2014
।। व्यंग्य वाण ।।
सामग्री : इस अंक में गोविन्द चावला 'सरल' की व्यंग्य कविता।
गोविन्द चावला ‘सरल’
नेताजी बोले पी.ए. से...
नेताजी जब बोल चुके, युवकों ने शोर मचाया।
उल्लू रहे बनाते हमको, आज समझ में आया।
अब यह सुन लो, या तो हमको नौकरी दिलवाओगे।
वरना याद रहे, लौटकर यहाँ नहीं आओगे।
अपनी चतुरंगी सेना में, इनको भर्ती कर लो।
लूटपाट बन्दूक चलाना, इनको सिखलायेंगे।
अगले वर्ष की मतपेटियाँ, इनसे ही उठवायेंगे।
- 28-ए, दुर्गा नगर, अम्बाला छावनी (हरियाणा)
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