आपका परिचय

बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

अविराम विस्तारित

।। कथा प्रवाह ।।



के. एल. दिवान



सोच
      थोड़ी देर पहले मैंने सोचा था, ‘‘तीन-तीन बच्चे पढ़ रहे हैं- प्रिंस, नीरज, हेमा। साल से ऊपर हो गया है। फीस नहीं आई। कल से इन बच्चों को वापस घर भेज दूँगा। मुझे संस्था के साथ भी इन्साफ करना है। कुछ और भी हैं। उनकी भी यही हालत है, उनको भी वापस भेजूँगा। 
     तीनों में हेमा बड़ी है। मैं उसे बुलाता हूँ। मन की बात कहता हूँ। हेमा का उत्तर है- ‘‘सर! प्रिंस की किडनियों में इन्फेक्शन है। आप देख लें, उसका चेहरा हमेशा सूजा रहता है। लगातार इलाज चल रहा है। पापा बीमार रहते हैं। मम्मी का तीसरी बार आप्रेशन होना है। मैं और नीरज दिन में ठेली लगाते हैं। उसी से घर के कुछ जरूरी ख़र्चे पूरे होते हैं। जैसा आप ठीक समझो। आप कहोगे तो कल से नहीं आयेंगे।’’ हेमा चुप हो जाती है। उसकी आँखें नम हैं। मैं उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता हूँ- ‘‘तुम तीनों आते रहना, नाम नहीं कटेगा।’’
     अब मैं सोच रहा हूँ, काश! मैं इनकी कुछ आर्थिक मदद कर सकता। तभी मुझे डॉ. विजय वर्मा का ख़्याल आता है। वह मेरी बात नहीं टालेंगे। समय-समय पर उनसे चैक-अप करवाया जा सकता है। एडवाइज ली जा सकती है। कुछ दवाइयों की मदद भी मिल जाएगी। मैं उनसे बात करूँगा।
  • द्वारा लिटिल ऐन्जेल्स प्रीपरेटरी स्कूल, 59, श्यामाचरण एन्क्लेव, विष्णु गार्डन, पो. गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार, उ.खंड/मो. 09756258731

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें