अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 05-06, जनवरी-फरवरी 2017
।।जनक छंद ।।
पं. गिरिमोहन ‘गुरु’
पाँच जनक छंद
01.
सन्ध्या लम्बी ताड़ सी
एक मीत तेरे बिना
रातें हुई पहाड़ सी।
02.
मन रेतीले हो गए
पतझर का संकेत है
पत्ते पीले हो गए।
03.
बचपन बीता गाँव में
रहने का मन आज भी
आम नीम की छाँव में।
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
04.
जोड़ न भाषा धर्म से
भाषा का तो है रहा
रिश्ता माँ के मर्म से।
05.
भ्रष्टाचारी फल रहे
राजनीति की आग में
सीधे सादे जल रहे।
- श्री सेवाश्रम नर्मदा मन्दिरम, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, होशंगाबाद-461001/मोबाइल: 09425189042
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