।।कविता अनवरत।।
सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधान्शु’
गीत
कर रहा संकोच महुआहो गये हैं पत्तियों से
पेड़ सूने से।
दे रहे न पेड़ अब
ठंडी हवाएँ।
पंछियों ने घोंसले
तक न बनाए।
दर्द मौसम दे रहा,
दिन-रात दूने से।।
फूल अपनी सुगन्ध
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
खोते जा रहे।
तितलियों को अब वे
तनिक न भा रहे।
कर रहे परहेज भौंरे
तलक छूने से।।
अतिक्रमित हैं मार्ग
शूलों से भरे।
कदम कोई कहो
भला कैसे धरे।
कर रहा संकोच महुआ
नित्य चूने से।।
- ब्रह्मपुरी, पिन्दारा रोड, बिसौली-243720, जिला बदायूँ, उ.प्र./मो. 9451644006
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