अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 7, अंक : 11-12, जुलाई-अगस्त 2018
।।कविता अनवरत।।
संदीप राशिनकर
कविताएँ
ठिठुरते समय में
बर्फबारी के
इस सर्दीले दौर में
जहाँ
जमती जा रही हैं
बर्फ़ की परतें
घरों पर
पेड़-पौधों पर/गाड़ियों पर
और तो और
मेरे, तेरे-उसके
आपसी संबंधों पर भी!
ऐसे सहमते/जमते,
ठिठुरते समय में
मैंने
बचा रखी है
संवेदना के कोने में
थोड़ी सी
रिश्तों की गर्माहट
जो वक्त आने पर
गला सके, तोड़ सके
जमी हुई बर्फ़
यहाँ, वहाँ
न जाने
कहाँ-कहाँ!!
याद
कह नहीं सकता
और न ही
कर सकता हूँ वादा
कि तुम्हें
सुबह, दोपहर, शाम
करूँगा याद,
कि
पल-पल गुज़ारूँगा
तुम्हारी याद में!
किन्तु
रेखाचित्र : रमेश गौतम |
दिला सकता हूँ तुम्हें
इस बात का यकीं
कि तुम्हें
भूलूँगा कभी नहीं!!
गौरेय्या
कैलेन्डर देखा
बीस मार्च- ‘‘गौरेय्या दिवस’’
इक्कीस मार्च- ‘‘कविता दिवस’’
सच ही तो है
गौरेय्या आती है
तब ही तो सिरजती है कविता
गौरेय्या के पंखों पर सवार
आसमां को नाप
उतरती है कविता
कागज़ पर हौले से!
गौरेय्या का होना
कविता का होना है
गर कहीं भी
उतरती है कविता
तो सच मानिए
कहीं आसपास ही होगी
गौरेय्या भी!!
- 11-बी, राजेन्द्र नगर, इन्दौर-452012, म.प्र./मो. 09425314422
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें