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सोमवार, 30 अप्रैल 2018

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  7,   अंक  :  07-08,  मार्च-अप्रैल 2017


।।जनक छंद ।।


उमेश महादोषी



जनक छंद

01.

मुस्काता शिव देखता
निर्धनता की बाढ़ में
मैकू कैसे तैरता

02.

आँख-आँख में शोर है
सपनों की घुसपैठिया 
काटे देखो डोर है

03.

सर्पीली पगडंडियाँ
अरु हरियाते खेत वे
निगल गईं ये मंडियाँ

04.

ताला लटका द्वार पर
चाबी लेकर उड़ रहा
कौआ है बाजार पर

05.

बगुला बैठा ताक में
पर मछली को ले उड़ा
बाज मुआं आकाश में

06.

आँखों में लहरा रहीं
इठलाती लहरें सघन
तन-मन से टकरा रहीं

07.

छायाचित्र :
डॉ. बलराम अग्रवाल
 

पतझड़ के आह्वान का
मंत्र मिला तुमको मगर
बिन बसन्त किस काम का

08.

धारा का मुख मोड़कर
सींच रहे निज खेत तुम
जनहित चुनरी ओढ़कर!

09.

इस आतंकी जोर से
चिड़ियां सारी गुम हुईं
हथियारों के शोर से

10.

लक्ष्मण रेखा लाँघ तू
शस्त्र उठा पर हाथ में
निसिचर को ललकार तू
  • 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004

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