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सोमवार, 30 अप्रैल 2018

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  7,   अंक  :  07-08,  मार्च-अप्रैल 2018 


।।कविता अनवरत।।


शील कौशिक




काव्य रचनाएँ

01. बादल से रिश्ता

बादल से रिश्ता है
पहाड़ का
नहलाते हैं बादल पहाड़ को
प्रेम रस की फुहार से
हरा-भरा करके
सँवारते हैं उसका रूप
और समा जाते हैं
उसी की गोद में।

02. व्यापार का हिस्सा

कमाल की 
शातिर नज़रें हैं आदमी की
ख़ुदा की नियामत
पहाड़ को भी नहीं बख़्शा
बना लिया है उसे भी
अपने व्यापार का हिस्सा।

03. पहाड़ी चुनौतियाँ

पहाड़ पर चढ़ते-उतरते
रेखाचित्र : रमेश गौतम 

मिल जाते हैं कहीं भी
किसी भी छोटी 
पहाड़ी की ओट में
जगह-जगह बने/देवों के घर
अक्षत, चन्दन-रोली न सही
पर झट से चढ़ाते हैं 
पहाड़ी वाशिंदे
फूल-पत्ते उन पर
पग-पग पर चुनौतियों
और डर से पार पाने के लिए
माँगते हैं कुशलता की मनौती।

04. सजीव हो उठती है

जब बारिश की बूँदें
छूती हैं धरती को
सजीव हो उठती है धरती
छमाछम बरसती बूँदें
नाचती हैं
और धरती हर्षाकर 
समो लेती है उन्हें
अपने आगोश में।

05. पेड़ का दर्द

मैं विज्ञापन की पीठ पर
लिखती हूँ कविता
पेड़ का जीवन/उकेरती हूँ,
बादल, वर्षा, पानी के चित्र
निरखती हूँ
ताल-तलैया और वन-सघन
पेड़ से काग़ज बनने का सफ़र
लहराता है मेरी आँखों में
इसलिए लिखती हूँ उनके
दुःख-दर्द और डर
बसी है पेड़ों की आत्मा
इन कागज़ों में 
इसलिए कागज़ के छूने मात्र से
करती हूँ महसूस छटपटाहट
पेड़ कटने की
कागज़ बचाने की ख़ातिर
लिखती हूँ/विज्ञापन की पीठ पर
दिल का हाल/और पेड़ के हालात

06. चित्रकार की तरह

प्रकृति ने थाम अपनी तूलिका
रचे हैं कितने ही मनोरम दृश्य
समुद्र की गोद से उगता सूरज
क्षितिज में छपाक से गुम होता सूरज
जगमगाते चाँद-सितारे
पारदर्शी झील-झरने
एक चित्रकार की तरह।

07. बहता झरना

बहते झरने का जल
इतराता है अपनी शान पर
भूल जाता है वह
पर्वतों और उसकी चोटियों को
जिन्होंने उसे देकर ऊँचाई
झरना बनने का रूप दिया। 

08. धूप की रंगोली
दिशाओं की खाली दीवारों पर
रोज नये चित्र टाँक
धरती के खाली सफ़े पर
उजले हस्ताक्षर कर
हिम शिखरों के होठों पर बैठ
मुस्कुराती है धूप
छायाचित्र : उमेश महादोषी 
गर्म-नरम अहसासों की तितलियाँ
दिलों में भर कर
सार्थकता की रंगोली
सजाती है धूप।

09. जादू बसंत का

जादू भरा खत 
लिखा है वसंत ने
गेहूँ, सरसों की फसलों को
तितलियों, भौरों को
वृक्ष की फुनगियों को
हर्षित होकर ये सब 
बिखेर रहे हैं सुवास
बाँट रहे हैं मुस्कुराहट।

  • मेजर हाउस नं. 17, हुडा सेक्टर-20, पार्ट-1, सिरसा-125055, हरि./मोबा. 09416847107  

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