राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’
जन्म : 03 अप्रैल 1950।
शिक्षा : बी.ए.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : हिन्दी एवं मालवी- दोनों भाषाओं में कविता, लघुकथा आदि विधाओं में लेखन। पत्र-पत्रिकाओं एवं कई संकलनों में रचनाएँ संकलित। परशुराम चालीसा, मेरे भीतर का बीज (दोनों काव्य संग्रह), बात करना बेकार है, पहचान (दोनों लघुकथा संग्रह) तथा नी तीन में नी तेरा में (मालवी नानी वारता संग्रह) अपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं।
सम्मान : श्रीनाथ कृपानिधि साहित्य सम्मान-2004, नारद साहित्य सम्मान-2008 (नागदा जं.), शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान-2010 (उज्जैन), गीतेश स्मृति पांडुलिपि पुरस्कार-2011 (मालवी) आदि कई सम्मानों से विभूषित।
संप्रति : ग्राम सहायक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति के बाद साहित्य सेवा।
संपर्क : एलआईजी-2-14, सांदीपनी नगर, उज्जैन-456006 (म.प्र.)
मोबाइल : 09826816619
अविराम में प्रकाशन
ब्लॉग प्रारूप : दिसम्बर 2012 अंक में दो लघुकथाएँ- ‘सुदामा’ एवं ‘सुझाव’।
जन्म : 03 अप्रैल 1950।
शिक्षा : बी.ए.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : हिन्दी एवं मालवी- दोनों भाषाओं में कविता, लघुकथा आदि विधाओं में लेखन। पत्र-पत्रिकाओं एवं कई संकलनों में रचनाएँ संकलित। परशुराम चालीसा, मेरे भीतर का बीज (दोनों काव्य संग्रह), बात करना बेकार है, पहचान (दोनों लघुकथा संग्रह) तथा नी तीन में नी तेरा में (मालवी नानी वारता संग्रह) अपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं।
सम्मान : श्रीनाथ कृपानिधि साहित्य सम्मान-2004, नारद साहित्य सम्मान-2008 (नागदा जं.), शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान-2010 (उज्जैन), गीतेश स्मृति पांडुलिपि पुरस्कार-2011 (मालवी) आदि कई सम्मानों से विभूषित।
संप्रति : ग्राम सहायक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति के बाद साहित्य सेवा।
संपर्क : एलआईजी-2-14, सांदीपनी नगर, उज्जैन-456006 (म.प्र.)
मोबाइल : 09826816619
अविराम में प्रकाशन
ब्लॉग प्रारूप : दिसम्बर 2012 अंक में दो लघुकथाएँ- ‘सुदामा’ एवं ‘सुझाव’।
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे।
25 dec-2013 ko nirala sahitya evm sanskruti sansthan janpad basti uttar pradesh dwara sahitya gaueav samman pradaan kiya gaya.
जवाब देंहटाएं16-03-2014 ko saral kavyanjali ujjain dwara laghukathakar ke rup me sammanit kiya gaya. kripya parichay me jodne ka kasht kare