अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 02, अंक : 04, दिसम्बर 2012
रूड़कीवासियों ने दी दामिनी को श्रद्धांजलि
यूँ तो देश भर में दामिनी के साथ हुए हादसे एवं उसके बाद उसकी दुःखद एवं असामयिक मृत्यु से आक्रोश एवं शोक की अभिव्यक्ति हो रही है, पर छोटे-छोटे गांवों-कस्बों में भी इसकी अभिव्यक्ति निश्चित रूप से देश और समाज में व्याप्त उस छटपटाहट और संवेदना को दर्शाता है, जो इस तरह की तमाम सामाजिक बुराइयों और उनको नियन्त्रित कर पाने में शासन-प्रशासन, न्यायिक तन्त्र और काफी हद तक हमारी सामाजिक व्यवस्था विफल हो रही है। यह लोगों के दिलों में सुलगती वो आग है, जो कभी भी ज्वालामुखी का रूप धारण कर सकती है।
रूडकी में भी दरिंदगी और अन्याय का शिकार हुई दामिनी (कल्पित नाम) के निधन का समाचार सुनते ही नगरवासियों का ह्रदय दुःख से भर गया। कई संगठनों और समूहों ने जगह-जगह अपनी-अपनी तरह से आक्रोश एवं शोक को अभिव्यक्त किया। 29 दिसम्बर की शाम नगर के अनेक नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं ने आई आई टी के शताब्दी द्वार से आरम्भ करके नगर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए नहर के किनारे स्थिति रानी लक्ष्मी बाई पार्क तक जलती हुयी मोमबत्तियों के साथ जुलुस निकलकर जनमानस को इस समस्या के प्रति जागरूक होने का सन्देश देते हुए रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा के समक्ष जलती हुयी मोमबत्तियों को स्थापित करके मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
अगली सुबह यानी 30 दिसम्बर को गंग नहर के किनारे मृत आत्मा की शांति और देश में न्याय व्यवस्था एवं सुरक्षा की कामना के लिए एक महायग्य का आयोजन किया गया। नगर के लोगों ने यज्ञ में बड़ी संख्या में भाग लिया।
रूड़की कचहरी में अपने-अपने कार्य से अये किसानों एवं अन्य नागरिकों ने भी सामूहिक रूप से शोक संवेदना प्रकट की। इसी तरह के कार्यक्रम अनेक अन्य स्थानों पर भी विभिन्न संगठनों एव छात्रों के समूहों द्वारा आयोजित किये।(समाचार व फोटो : उमेश महादोषी )
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प्रो.शैलेन्द्रकुमार शर्मा 'आलोचना भूषण सम्मान' से अलंकृत
उज्जैन/ विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं प्रसिद्ध समालोचक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को आलोचना के क्षेत्र में किए गए अविस्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास [भारत] एवं यू॰ एस॰ एम॰ पत्रिका द्वारा अखिल भारतीय स्तर के आलोचना भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्हें यह सम्मान संस्था द्वारा हिन्दी भवन , गाजियाबाद में आयोजित बीसवें अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अंतर्गत राष्ट्रस्तरीय नामित सम्मान अलंकरण समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री , भारत सरकार एवं राज्यपाल, तमिलनाडु और असम डॉ॰ भीष्मनारायण सिंह एवं पूर्व सांसद डॉ॰ रत्नाकर पांडे के कर-कमलों से अर्पित किया गया। इस सम्मान के अन्तर्गत उन्हें सम्मान-पत्र, स्मृति चिह्न, पुस्तकें एवं उत्तरीय अर्पित किए गए। इस महत्त्वपूर्ण समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिक्षाविद डॉ॰ सरोजिनी महिषी, वरिष्ठ नृतत्वशास्त्री पद्मश्री डॉ॰ श्यामसिंह शशि, लोकसभा टी॰ वी॰ के वरिष्ठ अधिकारी डॉ॰ ज्ञानेन्द्र पांडे ,संस्था के संयोजक श्री उमाशंकर मिश्र आदि सहित पंद्रह से अधिक राज्यों के भारतीय भाषा प्रेमी एवं संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।
प्रो. शर्मा विगत ढाई दशकों से आलोचना, लोकसंस्कृति, रंगकर्म, राजभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि से जुड़े शोध एवं लेखन में निरंतर सक्रिय है। देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके आठ सौ से अधिक समीक्षाएँ एवं आलेख प्रकाशित हुए हैं। उनके द्वारा लिखित एवं सम्पादित पच्चीस से अधिक ग्रंथों में प्रमुख रूप से शामिल हैं-शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा, देवनागरी विमर्श, हिन्दी भाषा संरचना, अवंती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, मालवा का लोकनाट्य माच एवं अन्य विधाएँ, मालवी भाषा और साहित्य, आचार्य नित्यानन्द शास्त्री और रामकथा कल्पलता, मालवसुत पं. सूर्यनारायण व्यास, हरियाले आँचल का हरकारा : हरीश निगम, मालव मनोहर आदि। प्रो. शर्मा को देशभर की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें प्राप्त सम्मानों में संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय सम्मान, अक्षरादित्य सम्मान, अखिल भारतीय राजभाषा सम्मान,शब्द साहित्य सम्मान, राष्ट्रभाषा सेवा सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, हिन्दी भाषा भूषण सम्मान आदि प्रमुख हैं।
प्रो. शर्मा को राष्ट्रीय स्तर के आलोचना भूषण सम्मान से अलंकृत किए जाने पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टी.आर. थापक, पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, कुलसचिव डॉ. बी.एल. बुनकर, म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष प्रो. हरीश प्रधान, इतिहासविद् डॉ. श्यामसुन्दर निगम, साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, डॉ. शिव चौरसिया, डॉ. प्रमोद त्रिवेदी, डॉ. जगदीशचन्द्र शर्मा, प्रभुलाल चौधरी, अशोक वक्त, डॉ. अरुण वर्मा, डॉ. जफर मेहमूद, प्रो. बी.एल. आच्छा, डॉ. देवेन्द्र जोशी, डॉ. तेजसिंह गौड़, डॉ. सुरेन्द्र शक्तावत, श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव 'नवनीत', श्रीराम दवे, श्री राधेश्याम पाठक 'उत्तम', श्री रामसिंह यादव, श्री ललित शर्मा, डॉ. राजेश रावल सुशील, डॉ. अनिल जूनवाल, डॉ. अजय शर्मा, संदीप सृजन, संतोष सुपेकर, डॉ. प्रभाकर शर्मा, राजेन्द्र देवधरे 'दर्पण', राजेन्द्र नागर 'निरंतर', अक्षय अमेरिया, डॉ. मुकेश व्यास, श्री श्याम निर्मल आदि ने बधाई दी। (समाचार सौजन्य : प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा)
शब्द को औकात से बढ़कर बोलना ही काव्य है : जितेन्द्र जौहर
फिरोजाबाद की साहित्यिक संस्था ‘मनीषा’ द्वारा स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय ढोला गायक स्व. पं.गयाप्रसाद शर्मा की स्मृति में आयोजित लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी समारोह में कोलकाता से प्रकाशित साहित्यक त्रैमासिकी ‘साहित्य त्रिवेणी’ के ‘यायावर विशेषांक’ एवं डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ की तीन कृतियों का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर भोपाल, कोलकाता एवं सोनभद्र से पधारे विद्वानों एवं स्थानीय मनीषियों ने पं. गयाप्रसाद जी का स्मरण करते हुए विचार प्रकट किए। इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ भी किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ निराला सृजन पीठ के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध गीतकार दिवाकर वर्मा एवं मुख्य अतिथि ‘साहित्य त्रिवेणी’ के संपादक कुंवर वीर सिंह ‘मार्तण्ड’ द्वारा सरस्वती के विग्रह पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मुख्य वक्ता श्री जितेन्द्र जौहर (सोनभद्र) ने पं.गयाप्रसाद शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया। सरस सरस्वती वन्दना ब्रज भाषा के ललित कवि श्री चन्द्र प्रकाश चन्द्र ने की। मनीषा का परिचय सह सचिव पूरन चन्द गुप्त ने प्रस्तुत किया। सत्यदेव शर्मा ने पंडित जी से जुड़े संस्मरण सुनाये। डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। डा. अशोक तिवारी, डा. एम.एल.अग्रवाल, डा. राजेश उपाध्याय, डा. सुन्दरवीर सिंह, प्रमोद बाबू दुबे, चन्द्र प्रकाश यादव एवं राजेश सरल ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं अभिनन्दन किया। साहित्य त्रिवेणी के ‘यायावर विशेषांक’ एवं डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ की कृतियों, ‘चीखती टिटहरी: हांफता अलाव’ (नवगीत संग्रह), ‘अनहद नाद बंसुरिया कौ (ब्रज गीत संग्रह) एवं कांधे पै घर (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण फिरोजाबाद विधायक मनीष असीजा, प्राचार्य डी.के.अग्रवाल, मनीषा के संरक्षक डा. म. ला. पाराशर सहित समूचे मंच ने किया। विधायक असीजा ने डा. यायावर को प्रेरक कवि एवं आदर्श शिक्षक बताया। मुख्य वक्ता असिधारव्रती समीक्षक जितेन्द्र जौहर ने अपने उद्बोधन में यायावर जी को उत्कृष्ट काव्य विशेषज्ञ बताते हुए कहा कि ‘‘शब्द को काशीय अर्थ की औकात से बढ़कर बोलना चाहिए, अन्यथा उसका मौन रहना ही उचित है।’’ मुख्य अतिथि मार्तण्ड जी ने यायावर जी के काव्य को ‘कालजयी’ बताया।
इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव ‘कनक’, गौरव गाफिल, डा. यायावर, डा. ए.बी.चौबे, सत्येन्द्र सत्यम, प्रमोद बाबू दुबे, राजेश सरल एवं डा. पाराशर ने काव्य पाठ किया। अध्यक्ष श्री दिवाकर वर्मा ने अपने उत्कृष्ट नवगीतों का पाठ करके वातावरण को गरिमामय बनाया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा- ‘अच्छा और सच्चा व्यक्ति ही अच्छा और सच्चा कवि बन सकता है, जो कि यायावर जी हैं।’ संचालन डा. सुन्दरवीर सिंह यादव एवं डा. ए.बी. चौबे ने संयुक्त रूप से किया। संस्था के अध्यक्ष प्रमोद दुबे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गरिमामय आयोजन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। (समाचार प्रस्तुति : डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, फिरोजाबाद)
ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह 'बिजूका' का लोकार्पण
लघुकथा की लोकप्रियता का ग्रॉफ सबसे ऊपर है : डॉ. सतीश दुबे
'लघुकथा की दुनिया बहुत बड़ी होती है। लघुकथा क्षण-विशेष में उपजे भाव, घटना या विचार की संक्षिप्त फलक पर शब्दों की कूंची और शिल्प से तराशी गई प्रभावी अभिव्यक्ति है। लघुकथा किसी क्षण विशेष की तात्विक अभिव्यक्ति है। कथ्य, पात्र, चरित्र-चित्रण, संवाद व उद्देश्य लघुकथा के मूल तत्व होते हैं। कथा-विधा में इसकी लोकप्रियता का ग्रॉफ सबसे ऊपर है।'
उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीश दुबे ने चर्चित युवा लेखिका ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह 'बिजूका' के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। जाल सभागृह में आयोजित इस सुअवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की। जानेमाने कवि-कथाकार श्री पंकज सुबीर बतौर प्रमुख वार्ताकार तथा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रुप में सुश्री अनुराधा शंकर शामिल हुईं। आरंभ में स्वागत संबोधन संजय पटेल ने दिया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह चानी, एनी और निवेदिता जैन ने प्रदान किए। अनुराधा शंकर का स्वागत मंजूषा मेहता ने, डॉ. सतीश दुबे का स्वागत प्रताप सिंह सोढ़ी ने तथा पंकज सुबीर का स्वागत हरेराम वाजपेयी ने किया। हेमंत बड़जात्या, राजू बड़जात्या तथा कोणार्क बड़जात्या ने पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का आयोजन भारत विकास परिषद के तत्वावधान में हुआ। लेखिका ज्योति जैन की इससे पूर्व तीन पुस्तकें(जलतरंग(लघुकथा संग्रह), भोरवेला(कहानी संग्रह) व मेरे हिस्से का आकाश(कविता संग्रह) साहित्य जगत में दस्तक दे चुकी हैं।
पुस्तक में संकलित रचनाओं के विषय में प्रमुख चर्चाकार पंकज सुबीर ने कहा कि ज्योतिजी की लघुकथाओं ने मुझे चौंकाया है। आमतौर पर साहित्यकार जिन विषयों को स्पर्श करने से बचते हैं ज्योति जैन ने लगभग उन सभी विषयों पर अपनी कलम चलाई है। लघुकथा संक्षिप्तता में जीवन की बड़ी बात कहती है। ‘बिजूका’ शीर्षक के विषय में पंकज सुबीर ने कहा कि वर्तमान संदर्भ में यह बड़ा प्रासंगिक है और लगता है जैसे हम सभी बिजूका बन गए हैं। उन्होंने कमाल और पत्थर शीर्षक की लघुकथाओं का विशेष रूप से जिक्र भी किया। मुख्य अतिथि आईजी अनुराधा शंकर ने अपने सहज संबोधन में कहा कि पुलिस भी इन दिनों खेत में खड़ा बिजूका ही है सीधे-सादे कौवे उनसे डर जाते हैं लेकिन चतुर कौवे नहीं। ज्योति जैन की लघुकथाएं प्रयोजनयुक्त साहित्य कही जा सकती हैं। क्योंकि वे बोधगम्य है और सरलतम साहित्य के हर मानदंड पर खरी उतरती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीश दुबे के अनुसार जीवन अगर पौधा है तो लघुकथा उस पौधे में लगे खूबसूरत फूल की पांखुरी है। लघुकथा ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। लघुकथा की सशक्त परिभाषाओं पर ज्योति जैन की लघुकथाएं उपयुक्त बैठती हैं। लघुकथा जीवन के नन्हे पल में छुपे विराट अर्थ की तात्विक अभिव्यक्ति है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिव्या गुप्ता ने किया। अंत में लेखिका ज्योति जैन ने अपनी सृजन प्रक्रिया के साथ प्रतिभावना और आभार प्रकट किया। (समाचार प्रस्तुति : ज्योति जैन)
डा. रामकुमार घोटड़ को ‘लघुकथा गौरव’ सम्मान
विगत दिनों अखिल भारतीय लघुकथा मंच द्वारा पटना में आयोजित राष्ट्र स्तरीय लघुकथा सम्मेलन में साहित्य समिति, चूरू, राजस्थान के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लघुकथाकार डा. रामकुमार घोटड़ को लघुकथा में उनके शोधपरक कार्यों के लिए ‘लघुकथा गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में देश भर के प्रतिष्ठित लघुकथाकार एवं लघुकथा-शोधार्थी उपस्थित हुए थे। इस उपलब्धि पर डा. घोटड़ को अनेक साहित्यकारों एवं शुभचिन्तकों ने बधाइयां एवं शुभकामनाएं दी हैं। (समाचार प्रस्तुति: अनिल शास्त्री, मंत्री, साहित्य समिति, राजगढ़, चुरू, राजस्थान)
राकेश 'मधुर' को "देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2012"
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वावधान में कम्पनी बाग, मुरादाबाद स्थित प्रेस क्लब सभागार में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, तथा स्व. श्री देवराज वर्मा की पुण्य स्मृति में उन्हें भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित की गयी। इसके पश्चात् आयोजित सम्मान समारोह में झज्जर (हरियाणा) के चर्चित युवा कवि श्री राकेश 'मधुर' को निर्णायक मंडल द्वारा चयनित उनकी काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' के लिए "देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2012" से सम्मानित किया गया। श्री मधुर को सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्र, सम्मानपत्र, श्रीफल नारियल एवं रु. 1100 की सम्मान राशि भेंट की गयी।
इस अवसर पर सम्मान प्रक्रिया के सन्दर्भ में बताते हुए संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा -"सम्मान प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 35 साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित सम्मान हेतु प्रविष्टि आमंत्रण विषयक विज्ञप्ति के क्रम में देश के 8 राज्यों से कुल 28 काव्य -कृतियाँ प्राप्त हुयीं जिनमें से सर्वोत्कृष्ट काव्यकृति के चयन हेतु गठित निर्णायक मंडल द्वारा झज्जर (हरियाणा) के चर्चित युवा कवि श्री राकेश 'मधुर' की काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' का सम्मान हेतु चयन किया गया।" कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार नवगीतकवि श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा -"राकेश 'मधुर' की कवितायेँ भाषाई सहजता और बिम्बों की ताजगी की चाशनी में पगी हुयी होती हैं।" मुख्य अतिथि लखनऊ से पधरे वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर अष्ठाना ने कहा -"मधुर की रचनाधर्मिता में समाज के सांस्कृतिक संकट की फ़िक्र साफ झलकती है।" विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ गीतकार श्री अनुराग गौतम ने कहा -"मधुर की कवितायेँ संवेदनात्मक अनुभूति जगातीं हैं।" विशिष्ट अतिथि प्रख्यात शायर डॉ. स्वदेश भटनागर ने इस अवसर पर कहा -" काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' की कविताएँ आज की युवा कविता की चर्चा को में ला खड़ा हैं।" कार्यक्रम में सम्मानित कवि श्री राकेश 'मधुर' ने काव्यपाठ करते हुए कविता पढ़ी -"धुआँ / चूल्हे से उठकर / आँखों में जाता है / चुभता है सुई-सा /बहुत गुस्सा आता है / फिर दब भी जाता है / गुस्सा भूख से डर जाता है "
सम्मान समारोह में राम दत्त द्विवेदी, राजेश भारद्वाज, मनोज 'मनु', अशोक विश्नोई, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, डॉ . मीना नकवी, अंजना वर्मा, रामेश्वरी देवी, डॉ . प्रेमकुमारी कटियार, अतुल कुमार जौहरी, शिशुपाल मधुकर, अवनीश सिंह चौहान, विकास मुरादाबादी, निज़ाम हतिफ,सुप्रीत गोपाल आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल सञ्चालन मशहूर शायर डॉ . कृष्ण कुमार 'नाज़' ने किया। आभार अभिव्यक्ति संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने प्रस्तुत की। {समाचार प्रस्तुति : योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', संयोजक - 'अक्षरा' मुरादाबाद (उ.प्र.)}
त्रिलोक सिंह ठकुरेला को 'राष्ट्रीय साहित्य गौरव ' सम्मान
साहित्यकार एवं इंजीनियर त्रिलोक सिंह ठकुरेला को उनके साहित्यिक योगदान के लिए निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान ,बस्ती ( उ .प्र .) द्वारा 'राष्ट्रीय साहित्य गौरव 'सम्मान से सम्मानित किया गया है । सत्येन्द्र गेस्ट हाउस में आयोजित भव्य समारोह में त्रिलोक सिंह ठकुरेला को बस्ती मंडल आयुक्त सुशील कुमार ,वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र परदेसी एवं निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष डॉ .रामकृष्ण लाल 'जगमग ' द्वारा शाल , स्मृति-चिन्ह एवं सम्मान -पत्र देकर सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से आये अनेक साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया .कार्यक्रम में 'हिंदी की दशा एवं दिशा ' विषय पर आयोजित गोष्ठी पर पंजाब केसरी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी एवं कथाकार बलराम सैनी तथा हरियाणा लोक साहित्य के अध्येता तथा छायाकार ओमप्रकाश कादयान ने अपने विचार व्यक्त किये। अन्तिम चरण में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मलेन में उपस्थित कवियों ने काव्य-पाठ करके श्रॊताओ को मन्त्र -मुग्ध कर दिया। (समाचार प्रस्तुति : त्रिलोक सिंह ठकुरेला)
'दक्षिण और हिन्दी' विषय पर प्रकाशन की महत्वपूर्ण योजना
'दक्षिण और हिन्दी' विषय पर प्रकाशन की महत्वपूर्ण बृहत् योजना बनी है, जिसमें दक्षिण भारत का हिन्दी को योगदान, दक्षिण के हिन्दी रचनाकार, हिन्दी जन संचार माध्यम इत्यादि के योगदान को लेकर अब तक प्रकाशित/अप्रकाशित आलोचनात्मक/विवरणात्मक सामग्री प्रकाशित करने करने का निर्णय हुआ है। इसके दस खण्ड होंगे।
प्रकाशन की इस योजना के विवरण (पत्र एवं विषय की रूपरेखा) हेतु आनंद पाटील, हिन्दी अधिकारी, तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कलक्टरी उपभवन, तंजावुर रोड, तिरुवारूर - 610 004 (तमिलनाडु), चलवार्ता : +91 94860 37432, दूरभाष : +91 94890 54257, ई मेल : anandpatil.hcu@gmail.com वेबसाइट : www.cutn.ac.in पर संपर्क कर सकते हैं। आपसे विनम्र निवेदन है कि इस विषय के किसी भी पहलू/पहलुओं पर आलेख भेजें। आलेख एकाधिक हो सकते हैं। { समाचार प्रस्तुति : आनंद पाटील, हिन्दी अधिकारी, तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कलक्टरी उपभवन, तंजावुर रोड, तिरुवारूर - 610 004 (तमिलनाडु)}
निधि पब्लिकेशन्स की साहित्यिक सम्मान योजना
जम्मू की संस्था ‘निधि पब्लिकेशन्स की ओर से विभिन्न विधाओं तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं में निम्न चार सम्मानों हेतु प्रविष्टियां सादर आमन्त्रित हैं। 1. पदम देव सिंह निर्दोश सम्मान, 2. गोगाराम साथी सम्मान, 3. लाला रामधन सम्मान तथा 4. स्वामी ब्रह्मानंद तीर्थ सम्मान।
साहित्यकारों से वर्ष 2009 से 2012 के मध्य प्रकाशित उनकी कृतियां 27फरवरी 2013 तक निम्न पते पर आमन्त्रित हैं।
निधि पब्लिकेशन्स, मुख्यालय: 524, पिण्डी दर्शन माता रानी दरबार, नरवाल पाई, सतवारी, जम्मू-180003
निधि पब्लिकेशन्स, शाखा कार्यालय: चमन निवास, गढ़ी विशना, ज्यौंड़ियां, अखनूर, जम्मू-181202
मोबाइल: 09796147708 एवं 07298430198
ई मेल : nidhipublication@gmail.com एवं dogriacademy@gmail.com (समाचार प्रस्तुति : ज्योति शर्मा एवं यशपाल निर्मल)
रूड़कीवासियों ने दी दामिनी को श्रद्धांजलि
यूँ तो देश भर में दामिनी के साथ हुए हादसे एवं उसके बाद उसकी दुःखद एवं असामयिक मृत्यु से आक्रोश एवं शोक की अभिव्यक्ति हो रही है, पर छोटे-छोटे गांवों-कस्बों में भी इसकी अभिव्यक्ति निश्चित रूप से देश और समाज में व्याप्त उस छटपटाहट और संवेदना को दर्शाता है, जो इस तरह की तमाम सामाजिक बुराइयों और उनको नियन्त्रित कर पाने में शासन-प्रशासन, न्यायिक तन्त्र और काफी हद तक हमारी सामाजिक व्यवस्था विफल हो रही है। यह लोगों के दिलों में सुलगती वो आग है, जो कभी भी ज्वालामुखी का रूप धारण कर सकती है।
रूडकी में भी दरिंदगी और अन्याय का शिकार हुई दामिनी (कल्पित नाम) के निधन का समाचार सुनते ही नगरवासियों का ह्रदय दुःख से भर गया। कई संगठनों और समूहों ने जगह-जगह अपनी-अपनी तरह से आक्रोश एवं शोक को अभिव्यक्त किया। 29 दिसम्बर की शाम नगर के अनेक नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं ने आई आई टी के शताब्दी द्वार से आरम्भ करके नगर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए नहर के किनारे स्थिति रानी लक्ष्मी बाई पार्क तक जलती हुयी मोमबत्तियों के साथ जुलुस निकलकर जनमानस को इस समस्या के प्रति जागरूक होने का सन्देश देते हुए रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा के समक्ष जलती हुयी मोमबत्तियों को स्थापित करके मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
अगली सुबह यानी 30 दिसम्बर को गंग नहर के किनारे मृत आत्मा की शांति और देश में न्याय व्यवस्था एवं सुरक्षा की कामना के लिए एक महायग्य का आयोजन किया गया। नगर के लोगों ने यज्ञ में बड़ी संख्या में भाग लिया।
रूड़की कचहरी में अपने-अपने कार्य से अये किसानों एवं अन्य नागरिकों ने भी सामूहिक रूप से शोक संवेदना प्रकट की। इसी तरह के कार्यक्रम अनेक अन्य स्थानों पर भी विभिन्न संगठनों एव छात्रों के समूहों द्वारा आयोजित किये।(समाचार व फोटो : उमेश महादोषी )
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प्रो.शैलेन्द्रकुमार शर्मा 'आलोचना भूषण सम्मान' से अलंकृत
उज्जैन/ विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं प्रसिद्ध समालोचक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को आलोचना के क्षेत्र में किए गए अविस्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास [भारत] एवं यू॰ एस॰ एम॰ पत्रिका द्वारा अखिल भारतीय स्तर के आलोचना भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्हें यह सम्मान संस्था द्वारा हिन्दी भवन , गाजियाबाद में आयोजित बीसवें अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अंतर्गत राष्ट्रस्तरीय नामित सम्मान अलंकरण समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री , भारत सरकार एवं राज्यपाल, तमिलनाडु और असम डॉ॰ भीष्मनारायण सिंह एवं पूर्व सांसद डॉ॰ रत्नाकर पांडे के कर-कमलों से अर्पित किया गया। इस सम्मान के अन्तर्गत उन्हें सम्मान-पत्र, स्मृति चिह्न, पुस्तकें एवं उत्तरीय अर्पित किए गए। इस महत्त्वपूर्ण समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिक्षाविद डॉ॰ सरोजिनी महिषी, वरिष्ठ नृतत्वशास्त्री पद्मश्री डॉ॰ श्यामसिंह शशि, लोकसभा टी॰ वी॰ के वरिष्ठ अधिकारी डॉ॰ ज्ञानेन्द्र पांडे ,संस्था के संयोजक श्री उमाशंकर मिश्र आदि सहित पंद्रह से अधिक राज्यों के भारतीय भाषा प्रेमी एवं संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।
प्रो. शर्मा विगत ढाई दशकों से आलोचना, लोकसंस्कृति, रंगकर्म, राजभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि से जुड़े शोध एवं लेखन में निरंतर सक्रिय है। देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके आठ सौ से अधिक समीक्षाएँ एवं आलेख प्रकाशित हुए हैं। उनके द्वारा लिखित एवं सम्पादित पच्चीस से अधिक ग्रंथों में प्रमुख रूप से शामिल हैं-शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा, देवनागरी विमर्श, हिन्दी भाषा संरचना, अवंती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, मालवा का लोकनाट्य माच एवं अन्य विधाएँ, मालवी भाषा और साहित्य, आचार्य नित्यानन्द शास्त्री और रामकथा कल्पलता, मालवसुत पं. सूर्यनारायण व्यास, हरियाले आँचल का हरकारा : हरीश निगम, मालव मनोहर आदि। प्रो. शर्मा को देशभर की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें प्राप्त सम्मानों में संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय सम्मान, अक्षरादित्य सम्मान, अखिल भारतीय राजभाषा सम्मान,शब्द साहित्य सम्मान, राष्ट्रभाषा सेवा सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, हिन्दी भाषा भूषण सम्मान आदि प्रमुख हैं।
प्रो. शर्मा को राष्ट्रीय स्तर के आलोचना भूषण सम्मान से अलंकृत किए जाने पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टी.आर. थापक, पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, कुलसचिव डॉ. बी.एल. बुनकर, म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष प्रो. हरीश प्रधान, इतिहासविद् डॉ. श्यामसुन्दर निगम, साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, डॉ. शिव चौरसिया, डॉ. प्रमोद त्रिवेदी, डॉ. जगदीशचन्द्र शर्मा, प्रभुलाल चौधरी, अशोक वक्त, डॉ. अरुण वर्मा, डॉ. जफर मेहमूद, प्रो. बी.एल. आच्छा, डॉ. देवेन्द्र जोशी, डॉ. तेजसिंह गौड़, डॉ. सुरेन्द्र शक्तावत, श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव 'नवनीत', श्रीराम दवे, श्री राधेश्याम पाठक 'उत्तम', श्री रामसिंह यादव, श्री ललित शर्मा, डॉ. राजेश रावल सुशील, डॉ. अनिल जूनवाल, डॉ. अजय शर्मा, संदीप सृजन, संतोष सुपेकर, डॉ. प्रभाकर शर्मा, राजेन्द्र देवधरे 'दर्पण', राजेन्द्र नागर 'निरंतर', अक्षय अमेरिया, डॉ. मुकेश व्यास, श्री श्याम निर्मल आदि ने बधाई दी। (समाचार सौजन्य : प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा)
शब्द को औकात से बढ़कर बोलना ही काव्य है : जितेन्द्र जौहर
फिरोजाबाद की साहित्यिक संस्था ‘मनीषा’ द्वारा स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय ढोला गायक स्व. पं.गयाप्रसाद शर्मा की स्मृति में आयोजित लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी समारोह में कोलकाता से प्रकाशित साहित्यक त्रैमासिकी ‘साहित्य त्रिवेणी’ के ‘यायावर विशेषांक’ एवं डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ की तीन कृतियों का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर भोपाल, कोलकाता एवं सोनभद्र से पधारे विद्वानों एवं स्थानीय मनीषियों ने पं. गयाप्रसाद जी का स्मरण करते हुए विचार प्रकट किए। इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ भी किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ निराला सृजन पीठ के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध गीतकार दिवाकर वर्मा एवं मुख्य अतिथि ‘साहित्य त्रिवेणी’ के संपादक कुंवर वीर सिंह ‘मार्तण्ड’ द्वारा सरस्वती के विग्रह पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मुख्य वक्ता श्री जितेन्द्र जौहर (सोनभद्र) ने पं.गयाप्रसाद शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया। सरस सरस्वती वन्दना ब्रज भाषा के ललित कवि श्री चन्द्र प्रकाश चन्द्र ने की। मनीषा का परिचय सह सचिव पूरन चन्द गुप्त ने प्रस्तुत किया। सत्यदेव शर्मा ने पंडित जी से जुड़े संस्मरण सुनाये। डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। डा. अशोक तिवारी, डा. एम.एल.अग्रवाल, डा. राजेश उपाध्याय, डा. सुन्दरवीर सिंह, प्रमोद बाबू दुबे, चन्द्र प्रकाश यादव एवं राजेश सरल ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं अभिनन्दन किया। साहित्य त्रिवेणी के ‘यायावर विशेषांक’ एवं डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ की कृतियों, ‘चीखती टिटहरी: हांफता अलाव’ (नवगीत संग्रह), ‘अनहद नाद बंसुरिया कौ (ब्रज गीत संग्रह) एवं कांधे पै घर (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण फिरोजाबाद विधायक मनीष असीजा, प्राचार्य डी.के.अग्रवाल, मनीषा के संरक्षक डा. म. ला. पाराशर सहित समूचे मंच ने किया। विधायक असीजा ने डा. यायावर को प्रेरक कवि एवं आदर्श शिक्षक बताया। मुख्य वक्ता असिधारव्रती समीक्षक जितेन्द्र जौहर ने अपने उद्बोधन में यायावर जी को उत्कृष्ट काव्य विशेषज्ञ बताते हुए कहा कि ‘‘शब्द को काशीय अर्थ की औकात से बढ़कर बोलना चाहिए, अन्यथा उसका मौन रहना ही उचित है।’’ मुख्य अतिथि मार्तण्ड जी ने यायावर जी के काव्य को ‘कालजयी’ बताया।
इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव ‘कनक’, गौरव गाफिल, डा. यायावर, डा. ए.बी.चौबे, सत्येन्द्र सत्यम, प्रमोद बाबू दुबे, राजेश सरल एवं डा. पाराशर ने काव्य पाठ किया। अध्यक्ष श्री दिवाकर वर्मा ने अपने उत्कृष्ट नवगीतों का पाठ करके वातावरण को गरिमामय बनाया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा- ‘अच्छा और सच्चा व्यक्ति ही अच्छा और सच्चा कवि बन सकता है, जो कि यायावर जी हैं।’ संचालन डा. सुन्दरवीर सिंह यादव एवं डा. ए.बी. चौबे ने संयुक्त रूप से किया। संस्था के अध्यक्ष प्रमोद दुबे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गरिमामय आयोजन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। (समाचार प्रस्तुति : डा. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, फिरोजाबाद)
‘दीप शिखा सम्मान-2012’ डॉ. उमेश महादोषी को
फोटो : सम्मानित होते उमेश महादोषी |
विगत दिनों ज्ञानोदय अकादमी, हरिद्वार की साहित्यिक संस्था ‘दीप शिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच’ के तत्वावधान में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ कवि एवं कथाकार श्री के.एल.दिवान द्वारा एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन नगर के लिटिल एन्जिल्स प्रीपरेटरी स्कूल में संस्था की अध्यक्षा एवं कवयित्री डा. मीरा भारद्वाज की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस समारोह में रुड़की निवासी विचारक, लेखक समीक्षक एवं समग्र साहित्य की समकालीन पत्रिका ‘अविराम साहित्यिकी’ के अंक संपादक डा. उमेश महादोषी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए माला, दुशाला, प्रतीक चिह्न, पुस्तकें एवं सम्मान-पत्र देकर ‘माँ लक्ष्मी देवी दीपशिखा सम्मान-2012’ से सम्मानित किया गया।
फोटो : काव्य-पाठ करते बरुन कुमार चन्द्रा |
के एल दीवान जी और दादा मानिक घोषाल के मध्य उमेश महादोषी |
इस अवसर पर श्री दीवान ने कहा- ’सच पूछा जाये तो मैं तो किसी लायक नहीं हूँ, मैं तो माँ सरस्वती का सेवक हूँ, उन्हीं के आदेशों का पालन करता हूँ। महादोषी जी ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए दीपशिखा को अपना प्यार दिया है, सम्मान दिया है, हम इनके आभारी हैं। ‘अविराम साहित्यिकी’ का अक्टूबर-दिसम्बर 2012’ अंक लघुकथा विशेषांक है, जिसके अतिथि संपादक जाने-माने प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. बलराम अग्रवाल हैं। उनके चिन्तन और अनुभव को भी दीपशिख मंच नमन करता है।’ श्री दिवान जी ने इस अवसर दीपशिखा की ओर से शीघ्र ही ‘अविराम साहित्यिकी’ के लघुकथा विशेषांक पर एक विचार गोष्ठी के आयोजन करने की भी घोषणा की। समारोह के मुख्य अतिथि थे- एवं आचार्य राधेश्याम सेमवाल।
इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। समारोह में सूर्यकान्त श्रीवास्तव, ज्वाला प्रसाद ‘दिव्य’, दादा माणिक घोषाल, कुंवरपाल सिंह ‘धवल’, दिनेश कुमार दिनेश, विवेक शर्मा, गीतकार रमेश रमन, मनीष जोशी, सीमा सदक, डा. श्याम बनोधा ‘तालिब’, बी.के. चन्द्रा, सुखपाल सिंह, श्याम सुन्दर, गिरिराज किशोर एवं शाहिद भाई आदि उपस्थिति रहे। (समाचार प्रस्तुति : के.एल दिवान, हरिद्वार)
ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह 'बिजूका' का लोकार्पण
लघुकथा की लोकप्रियता का ग्रॉफ सबसे ऊपर है : डॉ. सतीश दुबे
'लघुकथा की दुनिया बहुत बड़ी होती है। लघुकथा क्षण-विशेष में उपजे भाव, घटना या विचार की संक्षिप्त फलक पर शब्दों की कूंची और शिल्प से तराशी गई प्रभावी अभिव्यक्ति है। लघुकथा किसी क्षण विशेष की तात्विक अभिव्यक्ति है। कथ्य, पात्र, चरित्र-चित्रण, संवाद व उद्देश्य लघुकथा के मूल तत्व होते हैं। कथा-विधा में इसकी लोकप्रियता का ग्रॉफ सबसे ऊपर है।'
उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीश दुबे ने चर्चित युवा लेखिका ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह 'बिजूका' के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। जाल सभागृह में आयोजित इस सुअवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की। जानेमाने कवि-कथाकार श्री पंकज सुबीर बतौर प्रमुख वार्ताकार तथा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रुप में सुश्री अनुराधा शंकर शामिल हुईं। आरंभ में स्वागत संबोधन संजय पटेल ने दिया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह चानी, एनी और निवेदिता जैन ने प्रदान किए। अनुराधा शंकर का स्वागत मंजूषा मेहता ने, डॉ. सतीश दुबे का स्वागत प्रताप सिंह सोढ़ी ने तथा पंकज सुबीर का स्वागत हरेराम वाजपेयी ने किया। हेमंत बड़जात्या, राजू बड़जात्या तथा कोणार्क बड़जात्या ने पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का आयोजन भारत विकास परिषद के तत्वावधान में हुआ। लेखिका ज्योति जैन की इससे पूर्व तीन पुस्तकें(जलतरंग(लघुकथा संग्रह), भोरवेला(कहानी संग्रह) व मेरे हिस्से का आकाश(कविता संग्रह) साहित्य जगत में दस्तक दे चुकी हैं।
पुस्तक में संकलित रचनाओं के विषय में प्रमुख चर्चाकार पंकज सुबीर ने कहा कि ज्योतिजी की लघुकथाओं ने मुझे चौंकाया है। आमतौर पर साहित्यकार जिन विषयों को स्पर्श करने से बचते हैं ज्योति जैन ने लगभग उन सभी विषयों पर अपनी कलम चलाई है। लघुकथा संक्षिप्तता में जीवन की बड़ी बात कहती है। ‘बिजूका’ शीर्षक के विषय में पंकज सुबीर ने कहा कि वर्तमान संदर्भ में यह बड़ा प्रासंगिक है और लगता है जैसे हम सभी बिजूका बन गए हैं। उन्होंने कमाल और पत्थर शीर्षक की लघुकथाओं का विशेष रूप से जिक्र भी किया। मुख्य अतिथि आईजी अनुराधा शंकर ने अपने सहज संबोधन में कहा कि पुलिस भी इन दिनों खेत में खड़ा बिजूका ही है सीधे-सादे कौवे उनसे डर जाते हैं लेकिन चतुर कौवे नहीं। ज्योति जैन की लघुकथाएं प्रयोजनयुक्त साहित्य कही जा सकती हैं। क्योंकि वे बोधगम्य है और सरलतम साहित्य के हर मानदंड पर खरी उतरती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीश दुबे के अनुसार जीवन अगर पौधा है तो लघुकथा उस पौधे में लगे खूबसूरत फूल की पांखुरी है। लघुकथा ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। लघुकथा की सशक्त परिभाषाओं पर ज्योति जैन की लघुकथाएं उपयुक्त बैठती हैं। लघुकथा जीवन के नन्हे पल में छुपे विराट अर्थ की तात्विक अभिव्यक्ति है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिव्या गुप्ता ने किया। अंत में लेखिका ज्योति जैन ने अपनी सृजन प्रक्रिया के साथ प्रतिभावना और आभार प्रकट किया। (समाचार प्रस्तुति : ज्योति जैन)
विगत दिनों अखिल भारतीय लघुकथा मंच द्वारा पटना में आयोजित राष्ट्र स्तरीय लघुकथा सम्मेलन में साहित्य समिति, चूरू, राजस्थान के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लघुकथाकार डा. रामकुमार घोटड़ को लघुकथा में उनके शोधपरक कार्यों के लिए ‘लघुकथा गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में देश भर के प्रतिष्ठित लघुकथाकार एवं लघुकथा-शोधार्थी उपस्थित हुए थे। इस उपलब्धि पर डा. घोटड़ को अनेक साहित्यकारों एवं शुभचिन्तकों ने बधाइयां एवं शुभकामनाएं दी हैं। (समाचार प्रस्तुति: अनिल शास्त्री, मंत्री, साहित्य समिति, राजगढ़, चुरू, राजस्थान)
राकेश 'मधुर' को "देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2012"
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वावधान में कम्पनी बाग, मुरादाबाद स्थित प्रेस क्लब सभागार में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, तथा स्व. श्री देवराज वर्मा की पुण्य स्मृति में उन्हें भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित की गयी। इसके पश्चात् आयोजित सम्मान समारोह में झज्जर (हरियाणा) के चर्चित युवा कवि श्री राकेश 'मधुर' को निर्णायक मंडल द्वारा चयनित उनकी काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' के लिए "देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2012" से सम्मानित किया गया। श्री मधुर को सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्र, सम्मानपत्र, श्रीफल नारियल एवं रु. 1100 की सम्मान राशि भेंट की गयी।
इस अवसर पर सम्मान प्रक्रिया के सन्दर्भ में बताते हुए संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा -"सम्मान प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 35 साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित सम्मान हेतु प्रविष्टि आमंत्रण विषयक विज्ञप्ति के क्रम में देश के 8 राज्यों से कुल 28 काव्य -कृतियाँ प्राप्त हुयीं जिनमें से सर्वोत्कृष्ट काव्यकृति के चयन हेतु गठित निर्णायक मंडल द्वारा झज्जर (हरियाणा) के चर्चित युवा कवि श्री राकेश 'मधुर' की काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' का सम्मान हेतु चयन किया गया।" कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार नवगीतकवि श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा -"राकेश 'मधुर' की कवितायेँ भाषाई सहजता और बिम्बों की ताजगी की चाशनी में पगी हुयी होती हैं।" मुख्य अतिथि लखनऊ से पधरे वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधुकर अष्ठाना ने कहा -"मधुर की रचनाधर्मिता में समाज के सांस्कृतिक संकट की फ़िक्र साफ झलकती है।" विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ गीतकार श्री अनुराग गौतम ने कहा -"मधुर की कवितायेँ संवेदनात्मक अनुभूति जगातीं हैं।" विशिष्ट अतिथि प्रख्यात शायर डॉ. स्वदेश भटनागर ने इस अवसर पर कहा -" काव्यकृति 'चाँद को सब पता है' की कविताएँ आज की युवा कविता की चर्चा को में ला खड़ा हैं।" कार्यक्रम में सम्मानित कवि श्री राकेश 'मधुर' ने काव्यपाठ करते हुए कविता पढ़ी -"धुआँ / चूल्हे से उठकर / आँखों में जाता है / चुभता है सुई-सा /बहुत गुस्सा आता है / फिर दब भी जाता है / गुस्सा भूख से डर जाता है "
सम्मान समारोह में राम दत्त द्विवेदी, राजेश भारद्वाज, मनोज 'मनु', अशोक विश्नोई, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, डॉ . मीना नकवी, अंजना वर्मा, रामेश्वरी देवी, डॉ . प्रेमकुमारी कटियार, अतुल कुमार जौहरी, शिशुपाल मधुकर, अवनीश सिंह चौहान, विकास मुरादाबादी, निज़ाम हतिफ,सुप्रीत गोपाल आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल सञ्चालन मशहूर शायर डॉ . कृष्ण कुमार 'नाज़' ने किया। आभार अभिव्यक्ति संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने प्रस्तुत की। {समाचार प्रस्तुति : योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', संयोजक - 'अक्षरा' मुरादाबाद (उ.प्र.)}
कादम्बरी का ‘स्वामी प्रज्ञानन्द प्रज्ञाश्री सम्मान’ उमाशंकर मिश्र को
जबलपुर की प्रमुख संस्था ‘कादम्बरी’ ने अपने 10 वें अ.भा. साहित्यकार/पत्रकार सम्मान समारोह में हिन्दी के सतत् विकास हेतु वरिष्ठ पत्रकार/साहित्यकार श्री उमाशंकर मिश्र को ‘स्वामी प्रज्ञानन्द प्रज्ञाश्री सम्मान-2012’ से सम्मानित किया है। सम्मान स्वरूप श्री मिश्र को स्वामी प्रज्ञानन्द द्वारा प्रशस्ति पत्र, शाल तथा रु.11000/- की नकद राशि प्रदान की गई। श्री मिश्र चर्चित लघु पत्रिका ‘यूएसएम पत्रिका’ के संपादक हैं साथ ही ‘राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास’ के माध्यम से भी हिन्दी की सेवा कर रहे हैं। (समाचार प्रस्तुति : विकास मिश्र )
त्रिलोक सिंह ठकुरेला को 'राष्ट्रीय साहित्य गौरव ' सम्मान
साहित्यकार एवं इंजीनियर त्रिलोक सिंह ठकुरेला को उनके साहित्यिक योगदान के लिए निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान ,बस्ती ( उ .प्र .) द्वारा 'राष्ट्रीय साहित्य गौरव 'सम्मान से सम्मानित किया गया है । सत्येन्द्र गेस्ट हाउस में आयोजित भव्य समारोह में त्रिलोक सिंह ठकुरेला को बस्ती मंडल आयुक्त सुशील कुमार ,वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र परदेसी एवं निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष डॉ .रामकृष्ण लाल 'जगमग ' द्वारा शाल , स्मृति-चिन्ह एवं सम्मान -पत्र देकर सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से आये अनेक साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया .कार्यक्रम में 'हिंदी की दशा एवं दिशा ' विषय पर आयोजित गोष्ठी पर पंजाब केसरी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी एवं कथाकार बलराम सैनी तथा हरियाणा लोक साहित्य के अध्येता तथा छायाकार ओमप्रकाश कादयान ने अपने विचार व्यक्त किये। अन्तिम चरण में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मलेन में उपस्थित कवियों ने काव्य-पाठ करके श्रॊताओ को मन्त्र -मुग्ध कर दिया। (समाचार प्रस्तुति : त्रिलोक सिंह ठकुरेला)
'दक्षिण और हिन्दी' विषय पर प्रकाशन की महत्वपूर्ण योजना
'दक्षिण और हिन्दी' विषय पर प्रकाशन की महत्वपूर्ण बृहत् योजना बनी है, जिसमें दक्षिण भारत का हिन्दी को योगदान, दक्षिण के हिन्दी रचनाकार, हिन्दी जन संचार माध्यम इत्यादि के योगदान को लेकर अब तक प्रकाशित/अप्रकाशित आलोचनात्मक/विवरणात्मक सामग्री प्रकाशित करने करने का निर्णय हुआ है। इसके दस खण्ड होंगे।
प्रकाशन की इस योजना के विवरण (पत्र एवं विषय की रूपरेखा) हेतु आनंद पाटील, हिन्दी अधिकारी, तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कलक्टरी उपभवन, तंजावुर रोड, तिरुवारूर - 610 004 (तमिलनाडु), चलवार्ता : +91 94860 37432, दूरभाष : +91 94890 54257, ई मेल : anandpatil.hcu@gmail.com वेबसाइट : www.cutn.ac.in पर संपर्क कर सकते हैं। आपसे विनम्र निवेदन है कि इस विषय के किसी भी पहलू/पहलुओं पर आलेख भेजें। आलेख एकाधिक हो सकते हैं। { समाचार प्रस्तुति : आनंद पाटील, हिन्दी अधिकारी, तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कलक्टरी उपभवन, तंजावुर रोड, तिरुवारूर - 610 004 (तमिलनाडु)}
निधि पब्लिकेशन्स की साहित्यिक सम्मान योजना
जम्मू की संस्था ‘निधि पब्लिकेशन्स की ओर से विभिन्न विधाओं तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं में निम्न चार सम्मानों हेतु प्रविष्टियां सादर आमन्त्रित हैं। 1. पदम देव सिंह निर्दोश सम्मान, 2. गोगाराम साथी सम्मान, 3. लाला रामधन सम्मान तथा 4. स्वामी ब्रह्मानंद तीर्थ सम्मान।
साहित्यकारों से वर्ष 2009 से 2012 के मध्य प्रकाशित उनकी कृतियां 27फरवरी 2013 तक निम्न पते पर आमन्त्रित हैं।
निधि पब्लिकेशन्स, मुख्यालय: 524, पिण्डी दर्शन माता रानी दरबार, नरवाल पाई, सतवारी, जम्मू-180003
निधि पब्लिकेशन्स, शाखा कार्यालय: चमन निवास, गढ़ी विशना, ज्यौंड़ियां, अखनूर, जम्मू-181202
मोबाइल: 09796147708 एवं 07298430198
ई मेल : nidhipublication@gmail.com एवं dogriacademy@gmail.com (समाचार प्रस्तुति : ज्योति शर्मा एवं यशपाल निर्मल)
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