अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 2, अंक : 4, दिसम्बर 2012
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संभावना {सम्भावना} : पिछले अंक तक अद्यतन।
प्रधान संपादिका : मध्यमा गुप्ता
संपादक : डॉ. उमेश महादोषी (मोबाइल : 09412842467)
संपादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन
ई मेल : aviramsahityaki@gmail.com
।।सामग्री।।
रेखांकन : पारस दासोत |
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अविराम विस्तारित :
काव्य रचनाएँ {कविता अनवरत} : इस अंक में डा. ऊषा उप्पल, डा. किशन तिवारी, डॉ. ऊषा यादव ‘ऊषा’, नित्यानन्द गायेन, बरुण कुमार चन्द्रा, डॉ. दशरथ मसानिया, देवी नागरानी एवं ब्रह्मानन्द झा की काव्य रचनाएं।
लघुकथाएँ {कथा प्रवाह} : इस अंक में पुष्पा जमुआर, राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’, सुरेश जांगिड ‘उदय’, कमल कपूर, सूर्यकान्त श्रीवास्तव की लघुकथाएं।
कहानी {कथा कहानी} : पिछले अंक तक अद्यतन।
क्षणिकाएँ {क्षणिकाएँ} : इस अंक में रामस्वरूप मूँदड़ा व ज्योति कालड़ा ‘उम्मीद’ की क्षणिकाएँ।
हाइकु व सम्बंधित विधाएँ {हाइकु व सम्बन्धित विधाएँ} : इस अंक में डॉ. अनीता कपूर के दस हाइकु एवं पाँच तांका।
हाइकु व सम्बंधित विधाएँ {हाइकु व सम्बन्धित विधाएँ} : इस अंक में डॉ. अनीता कपूर के दस हाइकु एवं पाँच तांका।
जनक व अन्य सम्बंधित छंद {जनक व अन्य सम्बन्धित छन्द} : विजय गिरि गोस्वामी ‘काव्यदीप’ के पाँच जनक छंद।
बाल अविराम {बाल अविराम} : इस अंक में डॉ. यशोदा प्रसाद सेमल्टी एवं प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कवितायेँ और उमेश महादोषी द्वारा बच्चों की पत्रिका "बालप्रहरी" का परिचय। साथ में बाल चित्रकारों आरुषी ऐरन, अभय ऐरन एवं मिली भाटिया के चित्र व पेंटिंग्स।
व्यंग्य रचनाएँ {व्यंग्य वाण} : गोविन्द चावला ‘सरल’ व रमेश मनोहरा की हास्य एवं व्यंग्य का पुट लिए कविताएँ।
लघु पत्रिकाएँ {लघु पत्रिकाएँ} : लघु पत्रिका 'रंग अभियान' की परिचयात्मक समीक्षा।
हमारे युवा {हमारे युवा} : पिछले अंक तक अद्यतन।
अविराम साहित्यिकी के मुद्रित संस्करण के पाठक सदस्य (हमारे आजीवन पाठक सदस्य) : अविराम साहित्यिकी के मुद्रित संस्करण के 31 दिसम्बर 2012 तक बने आजीवन एवं वार्षिक पाठक सदस्यों की सूचना।
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- दोस्तो, वर्ष 2012 कुछ ही क्षणों में विदा हो जायेगा। हम सब यही चाहेंगे, आने वाला समय वह दरिन्दगी और बहसीपन लेकर न आये, जो हमने बीते वर्ष में देखा। पर हमारी इस आशा की पंखुड़ियां कितनी खिल पाती हैं, यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने समाज, शासन-प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था को कितना मजबूत कर पाते हैं, सकारात्मक निर्णयों और कार्य-व्यवहार के प्रति उसमें कितनी इच्छा शक्ति पैदा कर पाते हैं।
- आज हम जिस मोड़ पर खड़े हैं, उसे सरकार, राजनैतिक एवं न्यायिक तन्त्र के साथ समाज को भी समझना पड़ेगा। दामिनी के सन्दर्भ में हमने देखा कि कई जगह कचहरियों और दूसरे सार्वजनिक कार्यों से संबन्धित कार्यालयों पर आये दूर-दराज के लोगों ने भी इस घटना का गम्भीर नोटिस लिया और उन्हीं स्थलों पर अपने सामूहिक आक्रोश एवं शोक को अभिव्यक्त किया। यह एक बड़ा संकेत है। किसी को इसे हल्के से नहीं लेना चाहिए। लोगों के दिलों में आग कौन सा रूप धारण कर रही है, इसके लिए एक संकेत काफी है। लेकिन यह भी सत्य है कि सरकारें और हमारा राजनैतिक तन्त्र अभी भी सोया पड़ा है। देखते हैं कि यह जागना पसन्द करता है या सोते-सोते अपने अन्जाम तक पहुंचने का विकल्प चुनता है।
- एक बात और। हमने पिछले दिनों में अनेक तरह की चर्चाएं देखी-सुनी हैं। क्या इन चर्चाओं से कोई दीर्घकालीन समाधान निकल पायेगा? क्या यह सच नहीं है कि हमारे समाज की कई ज्वलन्त समस्याओं की जड़ें एक-दूसरे से जुड़ी हैं? तब क्या हमें तात्कालिक उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक पैकेज समाधान की खोज की ओर नहीं बढ़ना चाहिए?
- ईश्वर करे नया वर्ष हमारे लिए कुछ ऐसी ही समझ और इच्छा शक्ति की भेंट लेकर आये।
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