अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 4, दिसम्बर 2012
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : रामस्वरूप मूँदड़ा व ज्योति कालड़ा ‘उम्मीद’ की क्षणिकाएँ।
रामस्वरूप मूँदड़ा
दो क्षणिकाएँ
1. चाह
चुभ रहा है
एक काँटा
बना ली है उसने
जगह अपनी
महसूस रहे हैं हम
हर दिन करते रहे
खाली क्षण
प्यार से समर्पित।
2. यादें
चारपाई की जाली में
छनकर आई धूप
उभार देती है
कई चोकोर खाने
उसमें खोकर
बनाते चले जाते हैं
रेखाचित्र
कभी आड़े-तिरछे
कभी सीधे सपाट
जुड़ जाते है
अनायास
बिछुड़े दो दीवाने।
ज्योति कालड़ा ‘उम्मीद’
तीन क्षणिकाएँ
1.
सारी बेटियाँ संस्कारी
फिर बहुओं में किसने भर दी
कूट-कूट कर मक्कारी?
2.
घर की माता
चौकी पर बैठकर
बर्तन माँजती है
और घर के लोग
करवाते हैं
माता की चौकी
3.
राम और अल्लाह का वास्ता देकर
पहले झगड़ों को
सुलझाया जाता था
आज
सुलगाया जाता है
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : रामस्वरूप मूँदड़ा व ज्योति कालड़ा ‘उम्मीद’ की क्षणिकाएँ।
रामस्वरूप मूँदड़ा
दो क्षणिकाएँ
1. चाह
चुभ रहा है
एक काँटा
बना ली है उसने
जगह अपनी
महसूस रहे हैं हम
हर दिन करते रहे
खाली क्षण
रेखांकन : बी मोहन नेगी |
2. यादें
चारपाई की जाली में
छनकर आई धूप
उभार देती है
कई चोकोर खाने
उसमें खोकर
बनाते चले जाते हैं
रेखाचित्र
कभी आड़े-तिरछे
कभी सीधे सपाट
जुड़ जाते है
अनायास
बिछुड़े दो दीवाने।
- पथ 6, द-489, रजत कॉलोनी, बून्दी-323001 (राज.)
ज्योति कालड़ा ‘उम्मीद’
तीन क्षणिकाएँ
1.
सारी बेटियाँ संस्कारी
फिर बहुओं में किसने भर दी
कूट-कूट कर मक्कारी?
2.
घर की माता
चौकी पर बैठकर
रेखांकन : सिद्धेश्वर |
और घर के लोग
करवाते हैं
माता की चौकी
3.
राम और अल्लाह का वास्ता देकर
पहले झगड़ों को
सुलझाया जाता था
आज
सुलगाया जाता है
- 2-जे/96 एनआईटी, फरीदाबाद (हरियाणा)।
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