अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 08-09, अप्रैल-मई 2012
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : केशव शरण की क्षणिकाएं।
केशव शरण
पांच क्षणिकाएं
(1) एक साथ
कोंपलों का बचपन
हरे पत्तों का यौवन
पीले पत्तों की अधेड़ावस्था
और तने का बुढ़ापा
अद्भुत है, देख
जिन्हें एक साथ
जी रहा है पेड़
(2) मेरा यही स्वभाव है
रेखांकन : बी.मोहन नेगी |
घटाओं पर
फिदा था
उमड़ती, घुमड़ती, बरसती घटाओं पर
अब चटख धूप पर हूँ
जो बहुत सुन्दर दिख रही है
गीले कपड़ों को सुखाती हुई
मेरा यही स्वभाव है
मुझे हर हसीन चीज़ से लगाव है
(3) नदी में परछाइयां
बादलों के अक्स
स्याह और सफे़द
पेड़ों की परछाईं हरी है
भादों का महीना है यह
और नदी भरी है
जिसमें एक नाव उल्टी चल रही है
और एक सीधी
और उस पंक्षी की उड़ान बहुत गहरी है
जो बहुत ऊँचाई पर उड़ रहा है
(4) पत्ता
एक ही पत्ता है
पेड़ पर
जाने, वह-
पहला है
या आखिरी!
(5) प्रेम
उसने
मेरे फूल स्वीकार कर लिये
और तोहफे़
जो समय-समय पर मैंने उसे दिये
फिर क्यों
आज फाड़ दिया प्रेमपत्र
और वह भी
पहला!
- एस 2/564, सिकरौल, वाराणसी कैन्ट-221002 (उ0प्र0)
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